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indiatoday Conclave East 2021: ऊषा उत्थुप बोलीं- अब हरे कृष्णा हरे राम गाने से लगता है डर

फैशन जर्नी, आइकॉनिक बिंदी और कांजीवरम साड़ी के बारे में बात करते हुए ऊषा ने कहा- ये 1969 में शुरू हुआ. लेकिन उन दिनों में कांजीवरम साड़ी खरीद सकने में सक्षम नहीं थी. मैं मीडिल क्लास फैमिली से आती हूं. मेरे पिता पुलिस में थे. मैं ऐसे परिवार से आती हूं जहां 6 बच्चे थे.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 में ऊषा उत्थुप इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 में ऊषा उत्थुप
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 3:45 PM IST

इंडियन प्लेबैक सिंगर ऊषा उत्थुप ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 में शिरकत की. उनके सेशन का नाम था Nostalgic Notes: Let’s do cha cha cha: India’s original rock star. सेशन की शुरुआत ऊषा के सुरों से हुई. यहां उन्होंने अपनी पर्सनल और म्यूजिकल जर्नी के बारे में बात की.  

मीडिल क्लास परिवार में हुआ था ऊषा का जन्म
फैशन जर्नी, आइकॉनिक बिंदी और कांजीवरम साड़ी के बारे में बात करते हुए ऊषा ने कहा- 'ये 1969 में शुरू हुआ. लेकिन उन दिनों में कांजीवरम साड़ी खरीद सकने में सक्षम नहीं थी. मैं मीडिल क्लास फैमिली से आती हूं. मेरे पिता पुलिस में थे. मैं ऐसे परिवार से आती हूं जहां 6 बच्चे थे, लेकिन हम दो जोड़ी यूनिफॉर्म के साथ खुश थे. एक धुलने के लिए और एक पहनने के लिए.  मेरे जीवन में एक समय ऐसा था जहां मेरे पास कोई गहने नहीं थे.'

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'जैसा कि मैंने कहा, परिवार में 6 बच्चे थे जिनमें चार बेटियां और मेरे पिता प्रिंसिपल फॉलो करने वाले व्यक्ति हैं. मुझे अपनी शादी के लिए शायद ही कुछ मिला और ये बस 14 कैरेट का सोना था. लेकिन ये मजेदार था. मैं मोती पहनती थी, खुद के लिए मोतियों से नैकलेस बनाती थी. हम लोगों के पास एक छोटी लिक्विड की बोतल होती थी, जिसमें एक डंडी होती थी और हम उससे एक छोटी सी बिंदी लगाते थे.  तमिल में इसे chand putt कहा जाता था. फिर जब मैंने गाना शुरू किया, तब श्रृंगार का आगमन हुआ. बहुत सारे रंगों की बिंदी. मैं खुद अपनी बिंदी बनाती थी. धीरे धीरे इसका आकार भी बड़ा होता गया. बिंदी मेरे लिए बहुत बड़ा हिस्सा है.'  

सिंगिंग के बारे में बात करते हुए आगे ऊषा ने कहा- 'क्या मेजिकल टाइम था, जब मैंने दम मारो दम गाया. आपको बता दूं कि ये गाना मूल रूप से आरडी बर्मन चाहते थे कि मैं फिल्म में गाऊं. इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि आशा जी ने इसे इतने शानदार तरीके से गाया था. उन्होंने मुझे गाने के लिए अंग्रेजी वाला भाग दिया.'

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"मैंने नाइट क्लब सिंगर के रूप में अपना करियर शुरू किया था. तो प्लेबैक सिंगर के बजाय लाइव परफॉर्मेंस और नाइट कलबिंग में मेरा जन्म हुआ. उन्होंने एक नाइट क्लब में इस मद्रासी लड़की के बारे में सुना था. वो मुझे सुनने के लिए आए और उन्होंने मुझे परफॉर्म करने का मौका दिया. देव आनंद साब, शशि कपूर, आरडी बर्मन सभी मेरे परफॉर्मेंस को देख रहे थे. शो खत्म होने के बाद, देव आनंद साहब मेरे पास आए और पूछा कि क्या मैं गाऊंगी, उनके प्रोजेक्ट हरे रामा हरे कृष्णा में. यहीं से पूरी बात शुरू हुई."  


मुझे अब हरे कृष्ण हरे राम गाने में डर लग रहा- ऊषा

हरे कृष्णा हरे राम वो सॉन्ग है जो ऊषा का पर्याय बन गया. लेकिन क्या अब गाने का एक विशिष्ट अर्थ है? खासकर जब पश्चिम बंगाल में चुनाव की तैयारी है? ऊषा ने कहा, "मुझे अब हरे कृष्णा हरे राम गाने से डर लग रहा. और तब तो हरि ओम हरि भी था. मैंने भगवान के नाम के कई गाने गाए थे, (हंसते हुए). 

टाइपकास्ट होने पर क्या बोलीं ऊषा?
फीमेल सिंगर्स को अक्सर बॉलीवुड में टाइपकास्ट किया जाता है, और उषा स्वीकार करती हैं कि वो इससे अलग नहीं थी. लेकिन उषा इसे तोड़ आगे बढ़ी. उषा ने कहा, "मैंने कई प्रोजेक्ट्स में श्रीजीत मुखर्जी के साथ काम किया है, और मैं आभारी हूं कि मुझे ऐसा करने को मिला, क्योंकि यही एक तरीका है, जिससे आप स्टीरियोटाइप को तोड़ सकते हैं. संतुलन बनाना बहुत जरूरी है."

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जब मिथुन के लिए ऊषा ने दी आवाज
इसके अलावा ऊषा ने एक खुलासा और किया. उन्होंने बताया- मैंने बहुत सी हीरोइन के लिए गाया. क्या आप इमेजिन कर सकते हैं मैं मिथुन चक्रवर्ती के लिए भी गाया. मैं शायद एकमात्र फीमेल सिंगर हूं जिसने मेल एक्टर के लिए गाया है. ये फिल्म रोटी की कीमत का गाना है. गाने का टाइटल है आंखों से पी ले. ये बहुत बड़ा हिट बन गया था. 

 

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