Advertisement

तिहाड़ जेल पर राज करता था चार्ल्स शोभराज, 'ब्लैक वारंट' के जेलर की नौकरी लगवाने में भी था हाथ

तिहाड़ जेल के पूर्व जेलर सुनील गुप्ता ने सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज से जुड़े कई किस्से सुनाए. उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें पुलिस की नौकरी दिलवाने में सीरियल किलर का बड़ा हाथ था. साथ ही वो बताते हैं कि कैसे चार्ल्स शोभराज तिहाड़ जेल पर राज किया करता था.

सुनील गुप्ता, चार्ल्स शोभराज सुनील गुप्ता, चार्ल्स शोभराज
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 5:23 PM IST

नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई सीरीज 'ब्लैक वारंट' में दिल्ली के तिहाड़ जेल की कहानी दिखाई गई है. हाल ही में इसका एक ट्रेलर भी रिलीज किया गया है. कपूर परिवार की चौथी पीढ़ी से जहान कपूर इस शो में लीड रोल प्ले करने जा रहे हैं.

जहान, शशि कपूर के पोते हैं. फिल्ममेकर विक्रमादित्य मोटवानी की ये वेब सीरीज, तिहाड़ जेल के पूर्व जेलर सुनील कुमार गुप्ता की लिखी हुई किताब 'ब्लैक वारंट' पर आधारित है. इसमें पूर्व जेलर ने अपने तिहाड़ जेल में कार्यरत कई सारे किस्सों का वर्णन किया है.

Advertisement

सुनील गुप्ता ने कुछ समय पहले 'द लल्लनटॉप' से बातचीत में अपने तिहाड़ जेल के दिनों के बारे में बात की थी. उन्होंने इस बीच सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज के किस्से साझा किए. साथ ही उन्होंने तिहाड़ जेल में हुए कई सारे अनसुने किस्सों को भी बताया.

'बिकिनी किलर' चार्ल्स शोभराज से साथ हुआ वाकया

सुनील गुप्ता ने अपने इंटरव्यू में पुलिस की नौकरी को जॉइन करने का किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि तिहाड़ जेल में उनकी नौकरी लगाने में एक बड़ा हाथ 'सीरियल किलर' या कहें 'बिकिनी किलर' चार्ल्स शोभराज का था. वो बताते हैं, 'जब मैं तिहाड़ जेल में आया, वो हमारा पहला बैच था दिल्ली का, जिसे जेल को संभालना था. हमसे पहले हरियाणा और पंजाब से पुलिस अफसर आया करते थे तिहाड़ को संभालने. उस वक्त हमारे जो सुपरिटेंडेट थे वो भी हरियाणा के ही थे.'

Advertisement

'जब मैं वहां गया तो जो सुपरिटेंडेट थे उन्होंने मुझे बुलाया और पूछा कि आप यहां क्यों आए हैं. मैंने बताया कि मैं यहां सहायक अधीक्षक की नौकरी करने आया हूं. उन्होंने जवाब दिया कि यहां ऐसी कोई पोस्ट की जरूरत नहीं. मैंने बोला कि आपको बता चुका था कि मैं दो महीने बाद जॉइन कर रहा हूं. मैं अपनी रेलवे की नौकरी छोड़कर आया हूं. लेकिन उन्होंने मुझे मना कर दिया. मैं जाकर बाहर बैठ गया. इतने में मेरे पास एक बड़ा जेनटलमैन टाइप आदमी आया. मैं काफी निराश बैठा था. मैं उसे देखकर खड़ा हो गया. मुझे लगा कि वो शायद जेल के कोई बड़े ऑफिसर होंगे क्योंकि उनके साथ भी और लोग खड़े थे. 

'उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम यहां क्या करने आए हो? मैंने उन्हें जवाब दिया कि मैं यहां बतौर सहायक अधीक्षक जॉइन करने आया था. वो मुझे कहते कि मैं जानता हूं तुम यहां किस वजह से आए हो लेकिन मैं जेल सुपरिटेंडेट को जानता हूं, वो तुम्हें जीने नहीं देगा. वो तुम्हें नौकरी पर नहीं रखेगा. उसने मुझे कहा कि तुम यहां इंतजार करो, मैं तुम्हें जॉइन कराता हूं. मैं हैरान हो गया, सोचने लगा कि भगवान ने ऊपर से किसी को मेरे लिए भेजा. वो बाद में आए और मेरे हाथ में जॉइनिंग लेटर थमा गए. मुझे बाद में जाकर पता चला कि वो चार्ल्स शोभराज था. उन दिनों वो तिहाड़ जेल पर राज करता था. तब उसके बड़े किस्से आते थे. उसको जानता था लेकिन कभी सोचा नहीं था कि मेरी मुलाकात उससे ऐसे होगी.'

Advertisement

'तिहाड़ जेल पर था सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज का रूल'

सुनील गुप्ता ने बताया कि सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज की तिहाड़ जेल में काफी चलती थी. उनके सामने बाकी सभी पुलिस अफसर फीके से लगते थे क्योंकि वो काफी बन-ठनकर चला करता था. उन्हें मिलने जेल में अक्सर महिलाएं ज्यादा आया करती थीं. वो बताते कि उस समय वहां आईजी सिस्टेम हुआ करता था. और उसमें भी आईजी की उतनी नहीं चला करती थी, जितनी चार्ल्स शोभराज की चलती थी.

चार्ल्स शोभराज का चेहरा और बात करने का तरीका लाजवाब था. वो जहां भी जाता था, जिस भी लड़की से मिलता था बहुत सारा परफ्यूम लगाकर जाता था. उसका गोवा में क्राइम का अड्डा हुआ करता था, वो विदेशी लड़कियों से संबंध बनाता था और उन्हें लूटकर निकल जाता था. उसके झांसे में हर लड़की फंस जाती थी. वो कई बड़ी हस्तियों के साथ रिलेशन में भी रहा है जो आज के समय में बहुत बड़ी पोस्ट पर हैं.

सुनील गुप्ता ने बताया- चार्ल्स शोभराज की उस समय खबर चलती थी कि वो तिहाड़ जेल पर राज करता है. क्योंकि उसके पास एक छोटा सा टेपरिकॉर्डर हुआ करता था. जिसमें वो बड़े-बड़े सुपरिटेंडेंट की बातों को रिकॉर्ड करके उन्हें ब्लैकमेल करता था. उन रिकॉर्डिंग्स में जेल सुपरिटेंडेंट उससे पैसा मांग रहे होते थे. उसके दम पर वो डिप्टी सुपरिटेंडेंट और सुपरिटेंडेंट से कुछ भी काम करवा लेता था. वो उसके सामने हाथ जोड़कर खड़े रहते थे कि आप जो कहेंगे, हम वो कर देंगे.

Advertisement

'औरतें जेल में लड़का होने की चाह रखकर आती थीं'

सुनील गुप्ता ने आगे खुलासा किया कि वो जिस वक्त जेल में कार्यरत थे, तभी अचानक उनके पास कई सारे बच्चों के जन्म होने के केस सामने आए. वो बताते हैं कि जहां एक समय जेल के अंदर एक साल में सिर्फ 15-20 बच्चे पैदा हुआ करते थे. वहीं ये संख्या एक साल में 45 बच्चों की बढ़ गई थी जो उनके लिए सोचने वाली बात बन गई थी. 

सुनील गुप्ता ने कहा, 'एक समय 1990 के दशक की बात है, ये अफवाह उड़ी थी कि जेल में अगर बच्चा पैदा होगा तो वो लड़का होगा. जो औरतें होती थीं 6-7 महीने की प्रेग्नेंट, वो जानबूझकर क्राइम करके जेल में आ जाती थीं. वो गैरकानूनी तरीके से अपने घरों में शराब की बोतलें रख लेती थीं और अपने साथी से पुलिस को फोन कराती थीं कि इनके घर में शराब की बोतले हैं. पुलिस आती थी, औरतें उन्हें चाय पिलाती थीं और कहती थीं कि हमें आप अरेस्ट कर लीजिए.'

'उन दिनों किरण बेदी के कारण तिहाड़ जेल का नाम बहुत इज्जत से लिया जाता था. हमारे यहां काफी अच्छे डॉक्टर्स थे जो इन गर्भवती महिलाओं की देखभाल किया करते थे. सारा इलाज करते थे. वो औरतें क्या करती थीं कि अपना बच्चा तो जेल में डिलिवर करती थीं, लेकिन एक महीने के बाद जब बच्चा फिट हो जाता था तब वो अपनी बेल करवाकर चली जाती थीं. अब जिनका लड़का पैदा होता था, वो बाहर निलकलर इसे और भी फैला देते थे कि जेल में लड़का होता है. जब ऐसा ज्यादा होने लगा, तब हमने सोचा कि कुछ करना पड़ेगा.'

Advertisement

सुनील गुप्ता ने बताया कि उन्होंने इस मुसीबत से निपटने के लिए क्या पैंतरा आजमाया. वो बताते हैं, 'हमारे लिए इस मामले में कुछ करना बेहद जरूरी हो गया था क्योंकि एक इंसान अपनी लाइफ रिस्क में डालकर जेल में आ रहा है. वो भी लड़के होने की कामना के लिए. तो मैंने जाकर एक प्रेस रिलीज दी जिसमें हमने बताया कि एक साल में हमारी जेल में करीब 45 बच्चे पैदा हुए, जिनमें से लड़कियों की संख्या ज्यादा थी. जिसके बाद, महिलाओं के जेल में आने के मामलों में थोड़ी गिरावट आई.'

निर्भया केस के आरोपी राम सिंह के पेट में मिली शराब

अपने इंटरव्यू के अंत में, सुनील गुप्ता ने निर्भया केस के आरोपियों के बारे में भी खुलकर बात की जो तिहाड़ जेल में कैद थे. उन्होंने आरोपी राम सिंह की आत्म हत्या पर भी बात की. राम सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके पेट में शराब निकली थी. वो बताते हैं, 'हमारे जेल में तीन तरह के लोग रहते हैं, एक आम कैदी, एक रोजाना वाले और एक आतंकवादी या गैंगस्टर जिनकी जान को खतरा होता है. जब निर्भया वाले आरोपी जेल में आए, बहुत लोग उनके खिलाफ थे तो एक तरह से खतरा काफी ज्यादा था. मैंने अपने डीजी से कहा कि राम सिंह को हम हाई सिक्योरिटी सेल में रखेंगे. मुझे लग रहा था कि लोगों की भावनाएं इनके खिलाफ इतनी है कि कहीं उसको मार ना दें. बतौर जेलर ये मेरी जिम्मेदारी थी कि उसकी सुरक्षा का ध्यान रखूं.' 

Advertisement

'जो लोग रेप करके जेल में आते हैं, उन्हें जेल में भी अच्छी नजर से नहीं देखा जाता. उन लोगों की मार-पिटाई कैदी सबसे ज्यादा करते हैं. मैं इसके खिलाफ रहा हमेशा. ज्यादातर मेरी बात मानी जाती थी लेकिन जब राम सिंह के बारे में बात हुई तो उन्होंने कहा कि नहीं इसे मरने दो. तो उस वक्त मेरे मन में एक खटका हो गया कि हमारी बॉस भी नहीं चाहती हैं कि उसे कोई सुरक्षा मिले. उन्होंने उसे तीन खुराफाती कैदी थे, उनके साथ रख दिया. मुझे लगा था कि ये बहुत बड़ी हार है लेकिन उन्होंने नहीं मानी. एक रात हमारे जेल में हूटर बजा. मैंने पूछा कि क्या हुआ, तो सभी ने बताया कि राम सिंह ने आत्महत्या कर ली. मेरा मानना तो यही है कि अगर आज भी इंवेस्टिगेशन हुई, तो उसमें आ सकता है कि ये आत्महत्या नहीं बल्कि सचमुच की हत्या ही थी.'

डायरेक्टर विक्रमादित्य मोटवाने की बनाई सीरीज 'ब्लैक वारंट' 10 जनवरी को नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होगी. जिसमें और भी कई सारे किस्से कहानियों के बारे में बताया जाएगा.  

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement