
सोशल मीडिया पर जॉनी लीवर और उनकी बेटी अक्सर वीडियोज में एक दूसरे की खिंचाई करते हुए नजर आ जाते हैं. बाप-बेटी की बॉन्डिंग काफी जबरदस्त नजर भी आती है लेकिन क्या आपको पता है जैमी के लिए एक वक्त ऐसा भी था, जब वे अपने पापा के दीदार के लिए महीनों तरस जाया करती थी. जैमी कई बार अपने पापा से महीने में एक बार ही मिल पाती थीं.
आजतक से बातचीत के दौरान जैमी ने बताया, मेरा पूरा बचपन कह लें, जो स्कूलिंग टाइम गुजरा है. उस वक्त पापा थे ही नहीं. 90वें दशक पापा के करियर का पीक टाइम था. पापा उस दशक में इतनी फिल्में की हैं, जिसे गिन पाना मुश्किल है. पापा बताते हैं कि एक दिन में वे पांच फिल्मों की शूटिंग किया करते थे. उस वक्त स्टूडियोज भी आसप-पास हुआ करते थे. पापा एक सेट से निकलकर दूसरे सेट पहुंच जाते थे. तो कह लें, उस टाइम लगातार टीवी पर नजर आने वाले जॉनी लीवर, को हमने रियल लाइफ में देखा ही नहीं. महीने में एकाध बार उनसे मुलाकात हो जाती थी. ऐसे में पापा अपने गिल्ट को छुपाने के लिए हम बच्चों के लिए ढेर सारे खिलौने व गिफ्ट्स लेकर आते थे.
'मुझ पर निगरानी रखते थे पापा'
कॉलेज के दिनों में जब उन्होंने सिलेक्टेड काम करना शुरू किया, तो वे घर पर बैठे होते थे और मुझपर निगरानी रखते थे. इतनी देर से क्यों जा रही हो. किससे मिलने वाली हो. कब घर लौटोगी.. पापा के ये सारे सवाल तब मुझे चुभने लगे थे. मैं गुस्से में मम्मी से कहती थी कि ये अब क्यों कह रहे हैं. ये सारे डायलॉग तो मम्मी के हुआ करते थे. तब मुझे अजीब लगता था कि पापा हमें क्यों डिसिप्लिन सिखा रहे हैं, यह रोल तो मम्मी का है. क्योंकि बचपन में पापा के पास हमें डांटने तक का वक्त नहीं था. जब पापा ने पूरी तरह ब्रेक ले लिया, तो उस वक्त भले लोगों को हंसाने वाले एक्टर होंगे, लेकिन हमारे लिए तो हिटलर ही थे. हालांकि धीरे-धीरे हमारा बॉन्ड गहरा होता गया. जब से इंडस्ट्री में आई हूं, तो पापा से एक आर्टिस्ट टू आर्टिस्ट वाला बॉन्ड बना है. मैं उनकी बेटी अब बाद में हूं, खुद को फैन मानती हूं. वे सीनियर आर्टिस्ट के तौर पर अपने अनुभव शेयर करते रहते हैं. अब तो घर पर ही मास्टर क्लास चलता रहता है.
पापा नहीं चाहते थे कि मैं इंडस्ट्री में आऊं
असल जिंदगी में अगर कोई जॉनी लीवर को जान ले तो हैरान हो जाएगा. वे बेहद ही शांत और सख्त मिजाज के हैं. वे वक्त के बहुत पक्के हैं. घर पर वे हर रूटीन डिसिप्लिन के साथ ही फॉलो करते हैं. वे पढ़ते बहुत हैं. अब भी जब वो कॉल करते हैं, तो मैं सहम जाती हूं. मेरे दोस्तों को पता चल जाता है कि पापा का फोन आ गया है. मेरे चेहरे का रंग ही उड़ जाता है. मैं उनसे हमेशा डरकर रहती हूं. पापा नहीं चाहते थे कि मैं इंडस्ट्री में आऊं. वे तो चाहते थे कि मैं पढ़ाई-लिखाई कर सेटल हो जाऊं. जब लंदन में मेरी जॉब लगी, तो वे बड़ा खुश हुए कि मेरी बेटी अब जॉब कर वहां किसी गोरे संग शादी कर सेटल हो जाएगी. पापा मुझे लेकर खास प्रोटेक्टिव रहे हैं. वे नहीं चाहते थे कि मैं इतनी मेहनत करूं, वे मेरी स्ट्रगल वाली लाइफ नहीं चाहते थे.
हालांकि लंदन में मैंने एक साल सेल्स मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव का जॉब करने के दौरान मुझे एहसास हुआ कि यहां के लिए मैं मिसफिट हूं.. तमाशा फिल्म में जो वेद का हाल हुआ था न, वैसा ही फील करने लगी थी. यही वजह है कि मैं सब छोड़कर मुंबई आ गई. पापा पहले शॉक्ड हुए लेकिन उन्हें मेरा कन्विक्शन स्ट्रॉन्ग लगा, तो उन्होंने मेरे इस डिसीजन पर हामी भर दी. मैंने अपना पहला जॉब पांच हजार रुपये में स्टार्ट किया था. पहले स्टेज शो से मिले पैसे को मैंने चैरिटी में दे दिया था.