
इंडियन सिनेमा को हमेशा के लिए बदल के रख देने वाली, देश की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक 'शोले' का आईडिया तैयार हो चुका था. प्रोड्यूसर जी. पी. सिप्पी के बेटे रमेश सिप्पी, 'सीता और गीता' की शानदार कामयाबी के बाद अपनी मल्टीस्टारर फिल्म के लिए एक्टर्स फाइनल करने में लगे थे. और इसी बीच उनके घर पर एक पार्टी चल रही थी. इस रोल को पाने की आस में एक एक्टर अमिताभ बच्चन भी इस पार्टी में पहुंचा था.
ये पार्टी साल 1973 की एक सर्द रात में हो रही थी और अमिताभ को पहले से ही 102 बुखार था. तारीखें बताती हैं कि तब 'जंजीर' रिलीज नहीं हुई थी, लेकिन फिल्म के राइटर्स सलीम-जावेद ने रमेश सिप्पी के सामने अमिताभ के नाम पर अपना भरोसा जताया था. 'शोले: द मेकिंग ऑफ अ क्लासिक' किताब में दर्ज किस्सा बताता है कि फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर इस बात के खिलाफ थे कि सिप्पी अपनी फिल्म में अमिताभ को कास्ट करें. क्योंकि 'वो पतले थे, दब्बू से दिखते थे और करिश्माई नहीं लगते थे.'
मगर अपनी पहली फिल्म में, इसी 'पतले-लंबे आदमी' के होने की बात से एक लड़की 'सीक्रेटली' बहुत खुश थी. उसका मानना था कि ये एक्टर 'डिफरेंट है और एक ऐसी फिल्म के लिए परफेक्ट होगा जो हीरो-हिरोइन के नॉर्मल रोमांटिक सब्जेक्ट से हटकर है'. और वो लड़की थीं जया भादुड़ी, जो अब जया बच्चन हैं. उन्हें 'सात हिंदुस्तानी' देखने के बाद से ही यकीन था कि ये अमिताभ बच्चन एक्टर अच्छे हैं और समय आने पर इनका नाम खूब चमकेगा.
सिर्फ 15 साल की उम्र में सत्यजित रे की फिल्म 'महानगर' (1963) में काम कर चुकीं जया को अपने पिता, जाने-माने जर्नलिस्ट तरुण कुमार भादुड़ी से पता चला था कि एक्टिंग सीखी भी जा सकती है. पुणे के 'फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट' (FTII) में वो यही करने आई थीं. पास आउट होते-होते कई बड़े फिल्ममेकर्स के लिए ऑडिशन देने के बाद, जया को ऋषिकेश मुखर्जी की 'गुड्डी' (1971) में काम मिल गया था.
फिल्म में एक ऐसा रोल था जिसके लिए थोड़े कम पॉपुलर एक्टर अमिताभ बच्चन को भी चुना गया था. लेकिन तबतक 'आनंद' रिलीज हो गई और अमिताभ को लोग पहचानने लगे, तो उनके हाथ से 'गुड्डी' निकल गई. जया की भविष्यवाणी सिर्फ अमिताभ के मामले में ही सच साबित नहीं हुई, बल्कि उन्होंने कई और मौकों पर ऐसी बातें कहीं, जो बाद में सच हुईं. और इतने अच्छे तरीके से, मानो जया बच्चन सच में कोई पहुंची हुई 'ज्योतिष' हों और पहले से सब देख चुकी हों. आइए बताते हैं वो बातें जो जया बच्चन ने कहीं और उनका सच होना सिनेमा फैन्स के लिए बहुत अच्छा रहा:
'वो एक दिन इंडस्ट्री पर राज करेगा'
'गुड्डी' रिलीज हुई और तारीफ पाने के साथ-साथ हिट भी रही. जया पॉपुलर हो गईं. अब वो ऋषिकेश मुखर्जी की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक 'बावर्ची' (1972) के लिए, उस दौर के सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ शूट कर रही थीं. अमिताभ के हाथ से 'गुड्डी' तो निकल गई, लेकिन उन्होंने जया को कहीं नहीं जाने दिया और दोनों अब अक्सर मिलने लगे थे. 'बावर्ची' के सेट पर भी अमिताभ अपने दोस्तों के साथ आ जाया करते थे.
रिपोर्ट्स बताती हैं कि सीनियर स्टार राजेश ने जया को सलाह दी कि वो अमिताभ से न मिला करें, उनका इंडस्ट्री में कोई भविष्य नहीं है. जया को गुस्सा आ गया और बताया जाता है कि उन्होंने राजेश खन्ना को कहा 'जिस आदमी को वो कम आंक रहे हैं, वो एक दिन फिल्म इंडस्ट्री चलाएगा.' जया जी के अलावा कौन जानता था कि ये अमिताभ बच्चन हिंदी सिनेमा में एक फिनोमिना बन जाएंगे!
किस्से पर वापस चलते हैं... जिस अमिताभ बच्चन को 'शोले' में न लेने की सलाह डिस्ट्रीब्यूटर रमेश सिप्पी को दे रहे थे, उनकी 'जंजीर' रिलीज हो गई. अमिताभ अब एंग्री यंगमैन थे. जया के साथ 'बंसी बिरजू' और 'एक नजर' में फ्लॉप रही उनकी जोड़ी अब हिट थी. इसी बीच 'शोले' में जया ने सिर्फ अमिताभ के लिए काम किया. 1975 में जबतक 'शोले' बनकर रिलीज हुई. अमिताभ और जया सिर्फ एक सुपरहिट स्क्रीन-कपल ही नहीं, रियल लाइफ पति-पत्नी थे और उनकी बेटी श्वेता का जन्म हो चुका था.
'एक सिंपल नाम रख लो'
जया के FTII वाले दिनों में वापिस चलते हैं... सिक्किम के बुद्धिस्ट परिवार में पैदा हुए शेरिंग फिन्त्सो डेन्जोंग्पा, आर्मी जॉइन करने का पैशन छोड़कर एक्टर बनने FTII पहुंचे. वो जया के ही बैचमेट थे. सीनियर्स के सामने इंट्रो देने के बाद से ही उनके नाम का मजाक बनाया जाने लगा. जया अपने बैचमेट के साथ ये होता नहीं देख पा रहीं थीं. उन्होंने जाकर कहा, 'नाम सिंपल रख लो न' और शेरिंग फिन्त्सो डेन्जोंग्पा का नाम 'डैनी' रख दिया.
FTII से पास आउट होते-होते डैनी को भी काम मिलने लगा. वो इंडस्ट्री के ऐसे टॉप विलेन बने जिन्हें हीरो से भी ज्यादा फीस मिलने लगी थी. 'अग्निपथ', 'हम' और 'घातक' वगैरह उनकी कुछ बेहद पॉपुलर फिल्में हैं. उनका नाम इतना यूनीक था कि उनकी सॉलिड एक्टिंग के साथ जनता के मन में बैठ गया. बहुत से स्टार्स ने इंडस्ट्री में डेब्यू करने से पहले एस्ट्रोलॉजर की सलाह पर अपने नाम बदले हैं. जया का 'डैनी' नाम देना शायद इस आइकॉनिक एक्टर के लिए कुछ ऐसा ही कमाल कर गया.
'ये लड़का सुपरस्टार बनेगा'
1991 के नवंबर में बॉक्स ऑफिस पर एक कमाल घटना हुई. 'चांदनी' जैसी बड़ी हिट के बाद यश चोपड़ा अनिल कपूर-श्रीदेवी के साथ 'लम्हे' लेकर आए. 4 नवंबर को रिलीज हुई फिल्म ने शुरुआत तो अच्छी की, मगर फिर फिल्म की कमाई गिरती चली गई. उन दिनों फिल्में महीनों चलती थीं. इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि शायद कुछ दिन बाद 'लम्हे' चल निकले. मगर इसी बीच 22 नवंबर को 'फूल और कांटे' रिलीज हो गई. दो बाइक पर सवार अजय देवगन की एंट्री ने थिएटर्स भर दिए.
'लम्हे' की कमाई का चांस बिल्कुल खत्म हो गया. बॉक्स ऑफिस को एक नई हिट मिली और इंडस्ट्री को अपना एक्शन स्टार अजय देवगन मिल गया. बताया जाता है कि इंडस्ट्री में अजय के डेब्यू को लेकर बहुत पॉजिटिव माहौल नहीं था, मगर जया बच्चन वो अकेला बड़ा नाम थीं, जिन्होंने कहा था कि वो सुपरस्टार बनेंगे! अजय की एंट्री को मॉडर्न हिंदी सिनेमा में एक्शन स्टार्स की शुरुआत माना जाता है.
'इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की ताकत है रीजनल सिनेमा'
पुराने दौर से वापस लौटते हैं आज के दौर में. अभी कुछ ही महीने पहले तेलुगू इंडस्ट्री में बनी, एस एस राजामौली की RRR ने ऑस्कर अवॉर्ड जीतकर इंडियन सिनेमा का नाम ऊंचा कर दिया है. 'बाहुबली' के समय से साउथ में बनी फिल्मों ने हिंदी फिल्मों को जो टक्कर देनी शुरू की उसका असर KGF फ्रैंचाइजी, पुष्पा और कांतारा जैसी तमाम फिल्मों पर दिखा. आज एक्टर्स बात कर रहे हैं कि अब कोई बॉलीवुड, कॉलीवुड, टॉलीवुड जैसे नामों की जगह एक नाम इस्तेमाल किया जाना चाहिए- इंडियन फिल्म इंडस्ट्री.
2011 में केरल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में जया बच्चन चीफ गेस्ट बनकर पहुंची थीं और उन्होंने मंच से अपने बयान में तभी ये बदलाव लाने की मांग की थी, जो हम आज देख रहे हैं. उन्होंने कहा था कि हॉलीवुड इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के सही सेक्टर्स को तबाह कर देगा. जया जी ने मीडिया से कहा था कि 'बॉलीवुड' शब्द इंडिया के फिल्म सेक्टर्स को बांटता है, अब 'इंडियन फिल्म इंडस्ट्री' कहा जाना चाहिए. उन्होंने तभी ये कहा था कि रीजनल लैंग्वेज सिनेमा, भारतीय सिनेमा की एक एक्स्ट्रा पावर है. उनके बयान का सबसे तीखा हिस्सा था, 'हॉलीवुड हमें खराब तरह से दिखाने की कोशिश कर रहा है, जैसा वो खुद ऑस्कर जीतने वाली 'स्लमडॉग मिलियनेयर' वाले लड़के की नजर से देखता है.'
जया बच्चन की ये भविष्य के लिए ये जितनी बातें कहीं, सब सही साबित हुईं. ये बताता है कि वो सिर्फ एक दमदार एक्ट्रेस ही नहीं, बल्कि सिनेमा विजनरी भी हैं. ये बात भी शायद कम लोगों को पता हो कि अमिताभ की प्रोडक्शन कंपनी ABCL से काफी पहले, जया ने सरस्वती ऑडियो विजुअल्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक प्रोडक्शन हाउस शुरू किया था. उनकी इस कंपनी ने ही 'देख भाई देख' (1993) शो बनाया था.
लंदन के टीवी एशिया चैनल के लिए बने इस शो को पहले तो बहुत अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला. लेकिन जब दूरदर्शन को एक नया प्रोग्राम लॉन्च करने की जरूरत थी तो वहां से जया बच्चन को कॉल किया गया. 'देख भाई देख' को आज बीते दौर के सबसे आइकॉनिक शोज में गिना जाता है. शेखर सुमन, देवेन भोजानी, उर्वशी ढोलकिया और अमर उपाध्याय जैसे नामी एक्टर्स के करियर बनाने में इस शो का बड़ा योगदान था. अमिताभ बच्चन ने जब ABCL बनाई तो जया की कंपनी भी उसी में मर्ज हुई. ये जानकारी पढ़ने के बाद तो आप भी इस बात से सहमत होंगे कि जया जी की बातें किसी पहुंचे हुए ज्योतिषी की भविष्यवाणी से कम नहीं साबित हुईं!
जया बच्चन की जानदार एक्टिंग बड़े पर्दे पर मिस करने वालों के भी अच्छे दिन जल्द आने वाले हैं. वो करण जौहर की फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में आलिया भट्ट, रणवीर सिंह, शबाना आजमी और धर्मेंद्र के साथ नजर आने वाली हैं. ये फिल्म 28 जुलाई को थिएटर्स में रिलीज होगी.