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Sahitya Aajtak 2024: सोनू निगम ने किया रिजेक्ट, नहीं मानी हार, जुबिन नौटियाल बोले- अगर उस समय...

पहले दिन मंच पर जुबिन नौटियाल ने 'प्रभु राम' पर गाए भजनों को सुनाकर समा बांधा. साथ ही बातचीत भी की. उन्होंने बताया कि सोनू निगम ने जब उन्हें रिजेक्ट किया तो कैसा महसूस हुआ था. आज दोनों के बीच रिश्ते कैसे हैं.

जुबिन नौटियाल जुबिन नौटियाल
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 8:22 PM IST

लखनऊ में साहित्य आजतक 2024 का मंच सज चुका है. पहले दिन मंच पर जुबिन नौटियाल ने 'प्रभु राम' पर गाए भजनों को सुनाकर समा बांधा. साथ ही बातचीत भी की. उन्होंने बताया कि सोनू निगम ने जब उन्हें रिजेक्ट किया तो कैसा महसूस हुआ था. आज दोनों के बीच रिश्ते कैसे हैं. साथ ही जुबिन ने अपने उस मोमेंट पर बात की, जब उन्हें पता चला ता कि प्रधानमंत्री जी ने उनके भजन को ट्वीट किया है. 

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पॉपुलैरिटी पर बोले जुबिन
जुबिन ने कहा, "सोच, असल में अगर सोच होती तो शायद ये हो ही नहीं पाता. इसके पीछे सिर्फ प्यार था. मैं देवभूमि से हूं उतराखंड से. उसे देवभूमि इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वहां देवी-देवताओं का वास है. और उनमें अगर बातचीत थोड़ी जोर से हो जाए तो वो गाना बन जाता है." जुबिन ने सेशन में मेरे घर राम आए हैं... सॉन्ग गुनगुनाया. 

प्रधानमंत्री जी का किया शुक्रिया अदा
गाना पहले गाया गया था. इस गाने को लिखा है मनोज मुंतशिर जी ने. कंपोज किया है पायल ने. जब गाना बनाया तो मन में ऐसा कुछ नहीं था. न पता था प्राण प्रतिष्ठा को लेकर. बस ये गाना लिख दिया गया था. एक साल पहले ये गाना गाया गया था. जब पत्थर लाया गया था. उस वक्त ये गाना लिखा गया था और गाया गया था. और देखिए हमारे प्रधानमंत्री जी ने इसे शेयर किया. तो खुशी हुई.

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अक्सर मुंबई में सुबह ऐसी होती है कि सब लेट उठते हैं. उस दिन मैं जल्दी उठ गया. मेरे पास जब फोन आने लगे तो मुझे पता लगा कि प्रधानमंत्री जी ने मेरा गाया गाना शेयर किया है. हर आम जनता से, हर इंसान से कनेक्ट करना, एक पर्सनल टच देना, ऐसा पहले कभी किसी ने किया नहीं है. तो मेरे लिए प्रधानमंत्री जी द्वारा यह फील कराना बहुत अद्भुत था. 

रिजेक्शन्स झेला?
मैं सिर्फ ये कहना चाहूंगा. मैं और किसी था चीजें नहीं चाहता था. जिस रियलिटी शो में गया, मैं हर चीज को जर्नी का पार्ट मानता हूं. जो हूं आज मैं इन रिजेक्शन्स की वजह से ही हूं. अगर ये सब नहीं होता तो मैं इतनी मेहनत करके इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाता. इतनी ऊपर पहुंचकर लगता है कि ईश्वर का हाथ रहा है. माता-पिता का आशीर्वाद रहा है और लोगों का प्यार रहा है. 

सोनू निगम ने किया था रिजेक्ट
मैं और सोनू जी जब भी मिलते हैं तो हम दोनों खूब प्यार से मिलते हैं, प्यार देते हैं. वो और मैं हम दोनों ही एक-दूसरे को इज्जत देते हैं. सोनू जी बहुत ही 'खतरनाक' आर्टिस्ट हैं, मंझे हुए आर्टिस्ट हैं. सोनू जी को मैंने अपने इंटरव्यूज में बोला है कि जब मुझे रियलिटी शो में रिजेक्ट किया तो उस रिजेक्शन ने मेरी बहुत मदद की. उस समय अगर ऐसा नहीं होता तो मैं आज यहां नहीं होता. उस समय अगर तारीफ कर देते तो शायद वो मेरे सिर चढ़ जाती. उस समय सोनू जी जैसे गुणी व्यक्ति ने मुझे रिजेक्ट किया तो मैंने मेहनत की. मुझे पुश मिला और मैं यहां तक पहुंच पाया हूं. कई बार बुराई भी आपके लिए अच्छाई बन जाती है जो आपको बाद में पता लगती है. 

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राम मंदिर का बनना कितना पर्सनल?
मेरे पिता का नाम रामशरण नौटियाल हैं तो हमारे तो घर में श्री राम हैं. और माता-पिता के रूप में ही मैं भगवान को देखता हूं. पूरे देश-विदेश में दिवाली जैसा त्योहार धूमधाम से मनाता है. और आज हमारे पास एक केंद्रबिंदू है. प्रभु राम, अयोध्या में पधारने वाले हैं. हर कोई प्राण प्रतिष्ठा का इंताजर कर रहा है. पूरा देश एकजुट होने को है. वो सिर्फ भगवान राम की वजह से है. 

भजन की चल पड़ी इंडस्ट्री
बीच में भजन नहीं हो रहे थे तो भूषण कुमार जी का टी सीरीज प्रोडक्शन एक ऐसा माध्यम रहा है, जिसने समय-समय पर भजन को बढ़ावा दिया है. भजन चल पड़े हैं, सब गा रहे हैं भजन. बहुत सुंदर लगता है ये सब देखना. इस मौके पर जुबिन ने प्रेम प्रभु का... सॉन्ग गुनगुनाया. 

युवाओं में भजन को लेकर क्रेज
जिस वक्त संगीत सीख रहा था, उस समय छोटे-छोटे बच्चे रैप कर रहे थे. उन्हें नहीं पता था क्या रैप कर रहे हैं. उसका मतलब नहीं पता था. मैंने खुद को कहा कि ये गलत है. मैं नहीं करूंगा. मैं भजन गाऊंगा. सोचता था कि छोटे-छोटे बच्चों को भजन गाने चाहिए, तब नहीं हुआ, लेकिन आज देखिए छोटे-छोटे बच्चे भजन गा रहे हैं. मुझे खुशी है. 

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राष्ट्रवाद और भजन साथ है?
मुझे लगता है कि राष्ट्रवाद और भजन हर व्यक्ति के अंदर कहीं न कहीं है. हर इंसान में इमोशन्स हैं. आज के समय में ऐसे लगता है कि लोग खुद से दूर हो गए हैं, लेकिन संगीत एक ऐसी चीज है, जिन्हें सुनकर इंसान खुद से कनेक्ट कर सकता है. 

सिंगर ने किया पिता का शुक्रिया अदा
जुबिन ने पिता का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि हम एक छोटे से गांव से हैं. मेरी जीवन में मेरे पिता का बहुत बड़ा हाथ है. सिंपल परिवार से आता हूं. पिता ने अपनी लाइफ में बहुत उतार-चढ़ाव देखे. जब वो खराब समय देख रहे थे तो वो शांत थे. और जब अच्छा समय उन्होंने जीवन में देखा तो वो और भी शांत रहे. तो इससे हम लोगों ने उनसे बहुत चीजें सीखीं. 

प्रधानमंत्री जी के बारे में क्या कहा?
देश में ऐसा माहौल पहले कभी ऐसा महसूस नहीं किया. कभी इतनी यूनिटी देखी नहीं मैंने. बहुत अच्छा काम किया गया है हमारे प्रधानमंत्री की ओर से. बहुत सारी कठिनाइयों को पार करते हुए वो सबके लिए काम कर रहे हैं. यूथ को उनसे बहुत सारी चीजें सीखनी चाहिए. सीएम योगी आदित्यनाथ जी के लिए जुबिन ने कहा कि जब भी उनसे मुलाकात होगी मैं उनके पैर छूकर जरूर आशीर्वाद लूंगा. 

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प्राण प्रतिष्ठा को लेकर क्या भावना है? 
बजाओ ढोल स्वागत में... जुबिन ने ये गाना गुनगुना. 

भगवान राम के नाम पर पॉलिटिक्स हो रही?
जुबिन ने कहा, "मैं इंटेशन के बारे में बात नहीं करना चाहूंगा. पर रिजल्ट अच्छा है. हर कोई भक्ति के बारे में बात कर रहा है. हर कोई भजन गा रहा है, गुनगुना रहा है." 

भगवान राम के चरित्र की कौन सी चीज प्रभावित करती है?
बहुत सारी चीजें हैं जो बहुत अच्छी हैं. कुछ ऐसे सिद्धांत हैं जो हम सबको सीखने चाहिए. पहला है कि एक परिवार की तरह साथ रहना. एक मुट्ठी में जो शक्ति होती है वो अकेली एक उंगली में नहीं होती. दूसरी हर वक्त कितनी भी कठिन परिस्थिति हो, हमेशा सच्चाई की राह चुनना. ये चीदें हमें पता है लेकिन अप्लाई नहीं करते अपने जीवन में. तीसरी हर प्राणी को प्यार करना. अगर ये तीन चीजें हर इंसान सीख ले और अपना ले तो बहुत चीजें अच्छी हो जाएंगी. 

मन में क्या डर रहता है?
नियति का नियम है जो ऊपर जाती है चीज उसको नीचे आना होता है. जब मैं संगीत के क्षेत्र में घुसा था तो ये सोचकर घुसा था कि मैं किसी दिन संगीतकार बन पाऊं या न बन पाऊं लेकिन संगीत को नहीं छोड़ूंगा. अगर मुझे काम नहीं मिलता है तो किसी दिन रेस्त्रां में बैठकर गिटार बजाएंगे और परफॉर्मे करेंगे.

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सिंगर ने सुनाया स्कूल का किस्सा
जब स्कूल में था 12वीं में था. मैं बहुत बदमाश था. मां डरती थी कि ये बादमाशी में ज्यादा न जाए. तो 12वीं में था. 2-3 महीने रह गए थे कि स्कूल के बीच में तय हुआ कि यूनिफॉर्म बदल देंगे. पहले ब्राउन होती थी और 12वीं को स्पेशल ब्रेलजर मिलता था. जब ब्लेजर पहनने का समय आया तो यूनिफॉर्म बदलने का ऐलान हुआ. हमने कहा कि सर मत करिए. कुछ बच्चे आए उन्होंने हौसला बढ़ाया कि तुम लोग लड़ो. मैं अपने द्वारा इस चीज को करने पर गर्व महसूस नहीं करता हूं. तो मैंने कुछ 3-4 बच्चों के साथ मिलकर हमने यूनिफॉर्म में स्कूल के अंदर आग लगा दी. तो इस चीज का गिल्ट मुझे है. मैंने गलत किया था. हमने अपने टीचर्स से माफी मांगी. उनसे गुजारिश की कि वो हमें बोर्ड एग्जाम्स में बैठने दें. 

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