
90s में अपने डेब्यू के साथ ही जनता के फेवरेट हीरो बन जाने वाले अजय देवगन, बॉलीवुड के सबसे पॉपुलर मास एक्शन स्टार्स में से एक हैं. 90s वाले मसाला एक्शन फिल्मों के दौर में, एक एक्शन स्टार के रूप में अजय का जलवा बहुत तगड़ा था. 'दिलवाले', 'विजयपथ', 'जान' और 'दिलजले' जैसी फिल्मों ने उन्हें जनता का फेवरेट बना दिया था. उनकी जिन फिल्मों ने जनता में खूब माहौल बनाया, उनमें से एक 'कच्चे धागे' भी है. अपने दौर की बड़ी हिट्स में से एक ये फिल्म एक बेहतरीन म्यूजिकल भी थी जिसके गाने जबरदस्त हिट हुए थे.
'कच्चे धागे' में अजय ने, ग्रेनेड की तरह फटने के लिए तैयार बैठे एक गुस्सैल लड़के का रोल किया था. जो एक बड़े बिजनेसमैन का नाजायज बेटा था. फिल्म में सैफ अली खान भी थे और उन्होंने अजय के सौतेले भाई का किरदार निभाया था. दोनों भाइयों को एक मुश्किल से उबरने के लिए एक दूसरे की जरूरत पड़ती है और ये जरूरत उनके लिए एक एक्शन भरा सफर बन जाती है.
'कच्चे धागे' को रिव्यू बहुत अच्छे नहीं मिले थे लेकिन गानों, अजय की परफॉरमेंस और एक्शन ने इस फिल्म को धीरे-धीरे एक कल्ट फॉलोइंग दिला दी. 'कच्चे धागे' ने पर्दे पर जनता को जितना एंटरटेन किया, इसके बनने के वक्त की कुछ कहानियां भी उतनी ही दिलचस्प हैं.
'कच्चे धागे' को 'शोले' से जोड़ती एक ट्रेन
'कच्चे धागे' देखने वाले कभी भी फिल्म में ट्रेन पर एक्शन वाला सीक्वेंस नहीं भूल सकते. देखने वालों को ये एक्शन सीक्वेंस, आइकॉनिक हिंदी फिल्म 'शोले' की याद भी दिला सकता है. समानता इतनी है कि दोनों फिल्मों में दो-दो हीरोज हैं और दोनों सीक्वेंस में मालगाड़ी का गार्ड केबिन एक्शन का अड्डा है. लेकिन 'कच्चे धागे' में एक्शन सीक्वेंस में समस्या का लेवल बदल दिया गया था.
'शोले' में अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र का एक्शन ट्रेन के मोशन से नहीं था बल्कि वो डाकुओं से लड़ रहे थे. पुलिस ऑफिसर बने संजीव कुमार अपने इन दोनों अपराधियों को लेकर पहले से ट्रेन के गर्द केबिन में बैठे हुए थे और बाहर से डाकुओं का हमला हुआ था. जबकि 'कच्चे धागे' में सैफ और अजय का एक्शन, ट्रेन के मोशन के खिलाफ था. सौतेले भाइयों का किरदार निभा रहे अजय और सैफ पुलिस के शिकंजे से बचकर, रेगिस्तान के बीच एक सुनसान इलाके में दौड़ रही मालगाड़ी के गार्ड केबिन में लटककर भाग निकलते हैं. मगर पुलिस की फायरिंग में ट्रेन का ड्राईवर मर चुका है.
ट्रेन रुकना संभव नहीं है और सामने एक सड़क की क्रॉसिंग है, जहां बीच में एक ट्रक फंसा हुआ है. ट्रेन रुक नहीं पा रही इसलिए टक्कर होना तय है. अब हल एक ही है कि किसी तरह मैकेनिकल तरीके से, गार्ड केबिन को ट्रेन से अलग कर दिया जाए. फिल्म में अजय चलती ट्रेन से लटककर ये काम करते नजर आते हैं. एक झटका लगता है और अजय फिसलकर वो केबिन के नीचे लटके मिलते हैं. तो सीन ये है कि ट्रेन दौड़ रही है और अजय पटरी और केबिन के बीच में लटके हैं. उन्हीं के साथ एक ही हथकड़ी से बंधे हुए सैफ उन्हें ऊपर खींचने की जद्दोजहद कर रहे हैं. ये पूरा सीन अजय ने बिना बॉडी डबल के खुद शूट किया था.
मरते-मरते बचे थे अजय देवगन
इस सीन के बारे में 'कच्चे धागे' के डायरेक्टर मिलन लुथरिया ने एक इंटरव्यू में बताया, 'ये सीन मुश्किल था क्योंकि तब केबल नहीं होती थीं, ड्रोन नहीं होते थे और एक पॉइंट के बाद कोई सेफ्टी नहीं होती थी. हमने इसे फिल्म के हाईलाइट के तौर पर प्लान किया था ताकि लोग इसे याद रखें.' उन्होंने बताया इस सीन के शूट में वो वॉकी-टॉकी लेकर खुद उस केबिन में होते थे जिसमें दोनों एक्टर्स थे. एक्शन डायरेक्टर टीनू वर्मा वॉकी-टॉकी के साथ ट्रेन के इंजन में होते थे और ड्राईवर को बताते रहते थे कि कब स्पीड बढ़ानी है कब घटानी है.
मगर शूट में सीन बिगड़ा और ऐसे बिगड़ा कि अजय की जान पर बन आई थी. मिलन ने बताया, 'जब अजय नीचे गिरते हैं, तो हमने उनका क्लोज अप शॉट लगा रखा था. उन्होंने एक हैंडल पकड़ा हुआ था और हमने कहा था कि वो ऊपर ना देखें क्योंकि जब हम ऊपर देखते हैं तो हमारा सिर पीछे की तरफ जाता है. उनका शरीर लटका हुआ था, उन्होंने अपना सिर जरा सा हिलाया और उन्हें एक पत्थर लग गया. उन्होंने कहा 'रोको'. टीनू ने भी कहा 'रोको.' मगर इंजन के शोर में ड्राईवर ने सुना- 'गो, गो, गो.' और उसने स्पीड बढ़ा दी. अजय का कुर्ता, बनियान सब फट गए थे और उनकी पीठ घायल हो गई थी. हमने उन्हें ऊपर खींचा और कुछ देर शूट रोक दिया. लेकिन उन्होंने कहा, 'चलो ये करते हैं. इसके बिना शूटिंग में क्या मजा.''
सैफ को 'गुरु दक्षिणा' में मिला तमाचा
ट्रेन वाले शूट का एक और किस्सा एक्शन डायरेक्टर टीनू वर्मा ने मुकेश खन्ना के साथ एक बातचीत में बताया था. उन्होंने बताया कि इस सीन में मूवमेंट बहुत थी और साथ कैमरों का सेटअप लगाया गया था. एक्टर्स को ट्रेन से कूदना भी था. शॉट को सही से पूरा भी करना था और साथ ही शूट देखने जुटी चीड को भी मैनेज करना था. इस शॉट में अजय और सैफ साथ थे.
टीनू ने बताया कि जैसे ही उन्होंने 'एक्शन' कहा, सैफ डांस करने लगे. इस तरह कई बार हुआ और शॉट रोकना पड़ा. सीक्वेंस बहुत लंबा चौड़ा था और सैफ की इस हरकत से टीनू गुस्से में थे. उन्होंने सैफ को बुलाया और पूछा कि वो कोऑपरेट क्यों नहीं कर रहे? तो कथित रूप से सैफ ने उन्हें कहा कि ट्रेन की आवाज सुनकर उनका डांस करने का मन करने लगता है. टीनू ने बताया कि सैफ का जवाब सुनकर गुस्से में उनका हाथ चल गया. उन्होंने सैफ को एक तमाचा जड़ दिया और वो गिर गए. टीनू ने सैफ को कहा, 'जब तुम टेक्नीशियन की इज्जत करने लगोगे, मैं तब आकर शूट करूंगा.'
मगर उसी रात तब सैफ के पत्नी रहीं अमृता सिंह उन्हें माफी मांगने के लिए टीनू के कमरे में लेकर आईं. सैफ ने उन्हें 'सॉरी' भी कहा. टीनू ने याद करते बताया कि उन्होंने तब सैफ को क्या सबक सिखाया, 'सैफ, जिंदगी में अगर आगे जाना है, तो तुम्हें उन टेक्नीशियन्स की इज्जत करनी पड़ेगी जो एक्टर को प्रेजेंट करते हैं. अगर आपको उनकी इज्जत नहीं है तो मत काम करो उनके साथ. छोड़ दो पिक्चर. नवाब के बेटे हो ना, बाप का दिया बहुत कुछ है. इंसल्ट मत करो.' टीनू ने आगे कहा कि वो सैफ की पहली फिल्म 'परंपरा' में उनके गुरु की तरह थे और इस थप्पड़ को उन्होंने सैफ की 'गुरु दक्षिणा' बताया.
ट्रेन से बचे, तो जीप के नीचे आने वाले थे अजय
मिलन ने अपने इंटरव्यू में 'कच्चे धागे' के एक और एक्शन सीन का किस्सा बताया, जिसमें अजय फिर से खतरे में आ गए थे. उन्होंने बताया कि क्लाइमेक्स में अजय को एक शॉट करना था, जिसमें एक जीप में ब्लास्ट होता है और वो जमीन पर गिर जाते हैं. शॉट शुरू हुआ अजय जीप से कूदकर जमीन पर गिरे. ब्लास्ट से जीप हवा में कई फीट ऊपर उछल चुकी है, अभी नीचे नहीं गिरी है. लेकिन गिरने के बाद अजय की आंखों में मिट्टी चली गई है और वो वहीं पड़े हैं, जहां जीप गिरने वाली है.
मिलन ने बताया, 'भगवान के कृपा से मेरा और टीनू का प्रेजेंस ऑफ माइंड काम किया और हम दोनों शॉट में कूद गए. हमें सिखाया जाता है कि फ्रेम में नहीं घुसना है, लेकिन हम घुस गए. हमने इतने सटीक टाइम पर अजय को घसीटा और जीप बिल्कुल वहीं गिरी जहां अजय थे. अजय ने कहा- 'आज मैं मर जाता.''
'कच्चे धागे' के शूट के बारे में पढ़कर ऐसा लगता है कि अजय ने ये फिल्म शूट नहीं की है, बल्कि इसके शूट से जान बचाकर निकले थे. लेकिन इतनी खतरनाक घटनाओं से गुजरते हुए फिल्म शूट करने का फायदा ये हुआ कि 'कच्चे धागे' का वो ट्रेन वाला सीक्वेंस आज भी आइकॉनिक है और लोगों को याद है.