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'कल्कि 2898 AD' के डायरेक्टर बोले 'मुझे लगा था ये आखिरी फिल्म होगी, महाभारत को छूने का सोचकर लगा डर'

'कल्कि 2898 AD' में अमिताभ बच्चन को अश्वत्थामा के रोल में जाता ने बहुत पसंद किया है. फिल्म में उनका स्क्रीनटाइम प्रभास से भी ज्यादा है और एक्शन करते हुए वो बहुत शानदार लग रहे हैं. अब 'कल्कि 2898 AD' के डायरेक्टर नाग अश्विन ने बताया है कि उन्हें लग रहा था ये उनकी आखिरी फिल्म होने वाली है.

अमिताभ बच्चन, नाग अश्विन अमिताभ बच्चन, नाग अश्विन
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 19 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 3:40 PM IST

सुपरस्टार प्रभास की फिल्म 'कल्कि 2898 AD', भारत की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक बन चुकी है. वर्ल्डवाइड 1000 करोड़ से ज्यादा कमा चुकी इस फिल्म में साइंस-फिक्शन के साथ माइथोलॉजी का कॉम्बिनेशन, जनता ही नहीं क्रिटिक्स को भी बहुत पसंद आया. प्रभास के साथ फिल्म में अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण और कमल हासन जैसे बड़े कलाकारों ने काम किया. 

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'कल्कि 2898 AD' में अमिताभ बच्चन को अश्वत्थामा के रोल में जाता ने बहुत पसंद किया है. फिल्म में उनका स्क्रीनटाइम प्रभास से भी ज्यादा है और एक्शन करते हुए वो बहुत शानदार लग रहे हैं. अब 'कल्कि 2898 AD' के डायरेक्टर नाग अश्विन ने बताया है कि उन्हें लग रहा था ये उनकी आखिरी फिल्म होने वाली है. 

अश्विन ने कहा कि उन्होंने वो कहानी उठाई थी जो भारत की महाग्रंथों में से एक, महाभारत में खत्म हो गई और उसे इमेजिनेशन के आधार पर आगे लेकर गए. अश्विन ने कहा कि उन्हें ये काम 'दुस्साहस' जैसा लगा, लेकिन उनका मानना था कि किसी ने अभी तक ये आईडिया उठाया नहीं है, इसलिए एक बार ट्राई करना तो बनता है.

बॉलीवुड को देखकर मिली 'कल्कि 2898 AD' बनाने की हिम्मत 
'कल्कि 2898 AD' के मेकर्स वैजयंती मूवीज ने यूट्यूब पर एक नया वीडियो शेयर किया. इसमें अमिताभ बच्चन, नाग अश्विन से खास बातचीत करते नजर आ रहे हैं. फिल्म के आईडिया पर बात करते हुए अश्विन ने बताया, 'बिल्कुल ईमानदारी से बताऊं तो मुझे लगा था कि ये आखिरी फिल्म होगी जो मैं बना पाऊंगा. मेरे पास एक छोटी कहानी थी, जो इसके जितनी एम्बिशियस नहीं थी. लेकिन 'महानती' के बाद मुझे अचानक से इंटरनेट पर इस तरह के आर्टिकल या वीडियो खूब दिखने लगे जिनमें चिरंजीवियों के बारे में लिखा गया था.' 

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अश्विन ने कहा कि उन्हें कुछ ऐसे आर्टिकल भी दिखे कि बॉलीवुड में कुछ प्रोडक्शन हाउस महाभारत पर बेस्ड इस तरह की कहानियों पर काम कर रहे हैं. तबतक उनके दिमाग में एक स्टोरी का बहुत छोटा सा आईडिया था और उन्हें लगा कि शायद अब इस कहानी को बक्से से बाहर निकालने का वक्त आ गया है.

उन्होंने आगे कहा, 'ये कहानी 6000 साल पहले शुरू होती है. भगवान कृष्ण के शरीर त्यागने का समय कई जगह 3102 ईसापूर्व बताया गया है, तो वहां से 6000 साल बाद का वक्त लगभग 2898 AD होता है. अश्वत्थामा के श्राप वाली पूरी चीज कुरुक्षेत्र में पांडवों की जीत के लगभग 18 दिन बाद हुई थी. ये महाभारत में हुई लगभग सबसे अंतिम चीज थी. और ये मुझे लगा कि ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती.'

डायरेक्टर को क्यों लगा कि 'दुस्साहस' है ये फिल्म बनाना?
अश्विन ने अश्वत्थामा के किरदार में अपनी दिलचस्पी एक्सप्लेन करते हुए बताया कि महाभारत में भी अश्वत्थामा को श्राप मिलता है और वो जंगलों में चले जाते हैं. उन्हें ये जिज्ञासा थी कि उसके बाद क्या हुआ? अश्विन ने कहा, 'एक व्यक्ति जो उस काल के सबसे बड़े योद्धाओं में से एक है और इस पूरे कलियुग में इतनी घटनाओं के बावजूद वो मौजूद तो है, लेकिन किसी चीज में दखल नहीं दे रहा. यानी उसके पास कोई बहुत बड़ा मकसद है, जिसके लिए उसने खुद को बचा रखा है. तो मुझे लगा ये मेरा एक दुस्साहस है कि मैं ऐसी कहानी कहना चाह रहा हूं जिसे महाभारत में अधूरा छोड़ा गया है. लेकिन मुझे लगा कि किसी ने अभी तक इस कहानी को छुआ नहीं हिया तो मुझे ट्राई तो करना ही चाहिए.'  

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अश्वत्थामा के बारे में बात करते हुए अश्विन ने बताया कि उन्हें 'कल्कि 2898 AD' के एक डायलॉग बहुत पसंद आया, जो फिल्म की शुरुआत में है. अश्वत्थामा, कृष्ण के सामने बैठे हैं और कह रहे हैं कि मैं मृत्यु के लिए तैयार हूं. लेकिन कृष्ण कहते हैं कि मृत्यु दंड नहीं है. 'मुझे ये बात बहुत दिलचस्प लगी कि महाभारत में सैकड़ों-हजारों लोग मारे गए, लेकिन कृष्ण कह रहे हैं कि ये दंड नहीं है. जीवित रहना दंड है. मुझे महसूस हुआ कि इस चीज में कर्मफल से जुड़ा एक पूरा मैसेज है.' 

अश्विन को लगता है कि अपनी जगह अश्वत्थामा का गुस्सा भी जायज था, जिस तरह उसके पिता को बहुत अन्यायपूर्ण तरीके से मारा गया. और उनका पश्चाताप भी जायज ही होगा, क्योंकि वो हमेशा से कोई बुरे व्यक्ति नहीं थे. 

उन्होंने आगे बताया, 'लोग कहते हैं कि गुरु द्रोण ने भगवान शिव से घनघोर ताप के बाद वरदान मांगा था कि वो उनके पुत्र के रूप में जन्म लें, तब अश्वत्थामा का जन्म हुआ था. महाभारत में कुछ बहुत खूबसूरत पन्ने हैं जिनमें बताया गया है कि जब अश्वत्थामा रात में पांडवों के कैंप में पहुंचे तो भगवान कृष्ण ने पांडव सेना की सुरक्षा के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करके एक घेरा बना दिया था और अपने सबसे वीर योद्धा वहां तैनात कर दिए थे. जब अश्वत्थामा को ये दिखा तो वो रौद्र रूप में आ गए और इतने भयानक दिखने लगे कि कृपाचार्य जैसा महान योद्धा घबराकर भाग खड़े हुए. तो इस किरदार के लिए मुझे हमेशा से बहुत जिज्ञासा थी.'

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'कल्कि 2898 AD' के पीछे अपनी इंटेंशन और आईडिया को समझाते हुए अश्विन ने कहा, 'सबसे महानतम योद्धाओं में से एक का पुत्र, जो भगवान शिव के एक रूप जैसा है... और ये न जान पाना कि उसकी कहानी में आगे क्या हुआ, ऐसा हो ही नहीं सकता!' अश्विन की फिल्म 27 जून को थिएटर्स में रिलीज हुई थी और अभी भी थिएटर्स में चल रही है. 

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