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19 सितंबर के दिन देश को नई संसद मिल गई है. ये हर किसी के ऐतिहासिक पल है. इस खास मौके पर पीएम मोदी और उनके मंत्रियों ने देशवासियों को बधाई दी. नए संसद के उद्घाटन के ऐतिहासिक पलों की गवाह दो बॉलीवुड डीवा भी बनीं. कंगना रनौत और ईशा गुप्ता नई संसद पहुंचीं. दोनों एक्ट्रेसेज को स्पेशल इंवाइट मिला था.
नए संसद पहुंचीं कंगना-ईशा
कंगना रनौत और ईशा गुप्ता का संसद भवन के बाहर से वीडियो सामने आया है. दोनों एक्ट्रेसेज एथनिक लुक में नजर आईं. कंगना व्हाइट साड़ी में दिखीं, वहीं ईशा गुप्ता पीच कलर के सूट में गॉर्जियस लगीं. कंगना और ईशा ने फोटोग्राफर्स को हंसते हुए पोज दिए.
महिला आरक्षण बिल पर क्या बोलीं कंगना?
कंगना ने महिला आरक्षण बिल पर बात की. उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के कामकाज की तारीफ की. कंगना ने बताया कि राजनीति में महिलाओं के लिए करियर बनाना कितना मुश्किल होता है. कंगना ने कहा कि नए संसद का पहला सेशन वूमन एम्पावरमेंट को समर्पित होना सम्मान की बात है. वो कहती हैं- पीएम मोदी ने जबसे देश के प्रधानमंत्री बने हैं उन्होंने काफी कुछ किया है. इसका सारा क्रेडिट उन्हें जाता है. अब हमें महिलाएं कॉम्बैट फील्ड जैसे सेना, एयरफोर्स में ज्यादा नजर आती हैं. ये नया युग है. एक्ट्रेस ने संसद की नई बिल्डिंग को खूबसूरत बताया.
कंगना रनौत अपने विचार खुलकर रखने के लिए जानी जाती हैं. वो राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर राय रखने से पीछे नहीं हटतीं. कई दफा वो पीएम मोदी की तारीफ कर चुकी हैं. राजनीति में कंगना का इंटरेस्ट देख उनके पॉलिटिक्स में एंट्री की अटकलें भी लगती रहती हैं. लेकिन फिलहाल उनका सारा फोकस फिल्मों पर है. एक्टिंग के साथ वो डायरेक्शन में भी कदम रख चुकी हैं. कंगना की अपकमिंग फिल्मों में तेजस, चंद्रमुखी, इमरजेंसी शामिल हैं. फिल्म इमरजेंसी को वो खुद डायरेक्ट कर रही हैं.
पीएम का सांसदों को सुझाव
नए संसद भवन का श्रीगणेश 'गणेश चतुर्थी' के शुभ अवसर पर हुआ. नई पार्लियामेंट में संसदीय कार्यवाही भी शुरू हो चुकी है. मालूम हो, 5 दिवसीय संसद का विशेष सत्र चल रहा है. इस सत्र का पहला दिन सोमवार को पुराने संसद भवन में हुआ था. दूसरे दिन की कार्यवाही नए भवन में हो रही है. संसद के विशेष सत्र के दौरान पीएम ने सेंट्रल हॉल से सांसदों को संबोधित करते हुए पुरानी संसद को 'संविधान सदन' बनाने का सुझाव दिया.
पीएम ने कहा, पुरानी संसद हमेशा हमारे जीन की प्रेरणा बनी रहे. जब हम इसे संविधान सदन पुकारेंगे तो यह उन महापुरुषों की भी याद दिलाएगी, जो कभी संविधान सभा में बैठा करते थे. भावी पीढ़ी को यह तोहफा देने का अवसर जाने नहीं देना चाहिए.