
एक्ट्रेस कंगना रनौत, 20 साल की अपनी जानी-समझी फिल्मी दुनिया से हटकर अब एक नए सफर पर निकल रही हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में हिमाचल के मंडी से प्रत्याशी बन चुकीं कंगना एक नए मिशन पर हैं. इस बार उन्होंने अपने किरदार और फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि अपनी पार्टी के विजन और नीतियों को जनता के सामने रखना है. उन्हें ये काम फिल्मों से ज्यादा आसान लग रहा है या मुश्किल?
आज तक के साथ एक खास बातचीत में कंगना ने इस बारे में दिल खोलकर बात की. कंगना ने भारतीय जनता पार्टी में अपनी ही तरह फिल्म इंडस्ट्री से आईं अपनी सीनियर हेमा मालिनी पर, एक कांग्रेस नेता की टिप्पणी को लेकर भी करारा जवाब दिया.
कंगना ने हेमा मालिनी पर टिप्पणी का दिया तीखा जवाब
हेमा मालिनी पर कांग्रेस नेता के एक कमेन्ट की हाल ही में काफी आलोचना हुई थी. हालांकि, बयान को लेकर इन नेता ने कहा था कि इसे तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है. इसपर बात करते हुए कंगना ने कहा, 'तो इसे और किस नजर से देखा जाए? अगर वो एक जवान स्त्री को देखते हैं तो उनके अंगों को लेकर कमेन्ट करते हैं. और एक 75 साल की सीनियर महिला, जो क्लासिकल भरतनाट्यम की डांसर हैं, उनको नचनिया कहते हैं या नाचनेवाली और इस तरह के अपशब्द कहते हैं. एक बुजुर्ग महिला को भी वो लोग छोड़ते नहीं हैं, वो क्या चाहते हैं कि महिलाएं किस तरह से रहें...वो अपनी कब्र खोदकर उसमें गड़ जाएं तो ही बेहतर होगा?'
हेमा पर कमेन्ट के जवाब में वेदों का उदाहरण देते हुए कंगना ने कहा, 'इस तरह की नीच सोच एक महिला के लिए, वो भी उस आर्टिस्ट के लिए जिसने अपना पूरा जीवन कला को समर्पित कर दिया है. कोई ऐसा दिन नहीं गया होगा, जब उन्होंने 3-4 घंटे रियाज नहीं किया होगा. क्या हमारे वेदों में से एक सामवेद नहीं है, जिसमें संगीत और नृत्य पर विस्तृत चर्चा हुई है. तो उनको एक ज्ञानी या ऋषि या एक महान व्यक्तित्व की तरह न देखकर उनपर अभद्र टिप्पणी करने वालों की सोच किसी से छिपी नहीं है.'
राजनीति मुश्किल है या एक्टिंग?
कंगना ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'दोनों ही मुश्किल हैं. ये जरूर कहूंगी कि 20 साल वो काम करके मैंने उसमें इतना एक्सपीरियंस कमा लिया है कि उसमें निपुण हो गई हूं. तो शायद वो मुझे अब आसान काम लगता है.'
उन्होंने आगे बताया कि वो कोई भाषण तैयार नहीं करतीं और जिस तरह के लोग होते हैं, जैसा माहौल होता है वैसी बात करती हैं. लेकिन सरकार की योजनाओं, नीतियों, आगे के कार्यक्रमों और विजन को लेकर जो डाटा वगैरह है वो उन्हें पढ़ना पड़ता है.
अपने इस नए सफर की मुश्किलों पर बात करते हुए कंगना ने कहा, 'हमें हमेशा भीड़ से बचाया गया है और अभी इस तरह से माहौल बनाया जा रहा है कि भीड़ इकट्ठी की जाती है और हमें वहां छोड़ दिया जाता है. जाहिर सी बात है कि लोगों का जिस तरह से प्यार है और आजकल हर हाथ में मोबाइल फोन है. और कोविड के बाद से ज्यादा घुलने-मिलने से थोड़ी घबराहट भी होती है. कहीं कोई फोन चेहरे पर न लग जाए. कोई चोट न लग जाए, मुझे या किसी और को. कई बार लोग हार डालने के लिए आते हैं तो वो मुझपर ही पूरी तरह से गिर जाते हैं. भीड़ को बार-बार संभालना... और दिन भर में 4-5 इवेंट के बाद थकान भी हो जाती है. मैं ये नहीं कहूंगी कि इसमें दिक्कत या परेशानी नहीं हो रही, पर अब जैसी परिस्थिति होती है, वैसे इंसान को खुद को बदलना पड़ता है.'
कंगना को अब जीवन में मिले हैं खुद से इंटेलिजेंट लोग
कंगना अभी तक बेधड़क अंदाज में अपने फैसले लेती आई हैं. मगर अब उन्हें पार्टी के अनुशासन, अपने शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन को फॉलो करना है. ये कंगना के लिए कितना मुश्किल है?
इसका जवाब देते हुए कंगना ने कहा, 'आज तक मैंने मनमानी इसलिए भी की थी क्योंकि मुझे लगा नहीं कि मुझे अपने से ज्यादा इंटेलिजेंट लोग मिले हैं. हमेशा मुझे ऐसी फीलिंग हुई कि ये तो कुछ जानते नहीं हैं मुझे क्या समझाएंगे. मगर अब जिस तरह की व्यवस्था में मैं हूं, वहां न जाने ऐसे कितने लोग हैं, खासकर हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी.' कंगना ने कहा कि पार्टी में उन्हें बहुत सारे ऐसे वरिष्ठ नेता या कार्यकर्ता ऐसे मिलते हैं जो उन्हें खुद से ज्यादा बेहतर लगते हैं.