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लेजेंडरी सिंगर लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं रहीं. कई लोगों के लिए वो मिसाल रही हैं. हमने लता दीदी के बारे में सिंगर कविता कृष्णमूर्ति से बात की, उन्होंने लेजेंडरी सिंगर के बारे में कई हमसे बात की.
कविता के लिए लकी रही थीं लता मंगेशकर
कविता ने कहा- मेरी जिंदगी में लता मंगेशकर जी लकी मास्केट रही हैं. हम तो उन्हें मां सरस्वती का दर्जा देते हैं. बचपन में रेडियो पर ही उनकी आवाज सुनी है, उनका चेहरा कभी देखने का मौका नहीं मिला था. मुझे याद है, जब भी रेडियो पर वो आती थीं, तो बताया जाता था कि उन्होंने सफेद साड़ी पहनी है. मैं हमेशा उन्हें एंजल के रूप में ही सोचा करती थीं. फिर मैं बॉम्बे आ गई. यहां मैंने उन्हें अवॉर्ड फंक्शन में किशोर दा के साथ परफॉर्म करते देखा था. मुझे आज भी याद है गाना था, अच्छा तो हम चलते हैं. उन्हें उस साल अवॉर्ड भी मिला था. मैं तो उन्हें देखकर रो रही थी. उस वक्त पूरे सम्मुखानंद हॉल में एक से बढ़कर एक स्टार्स मौजूद थे लेकिन सच कहूं लता दीदी के सामने मुझे कोई दिखा ही नहीं. मुझे तो सबसे खूबसूरत दीदी ही नजर आ रही थीं.
लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दें
जब कॉलेज के दिनों में हेमंत दा के साथ गाने लगी, तो एक दिन हेमंत दा ने मुझसे कहा कि तुम कल क्या कर रही हो. तो मैंने उनसे कहा कि मैं तो कॉलेज जा रही हूं. तो दादा कहते हैं कि एक दिन कॉलेज छोड़ दो और राजकमल स्टूडियो पहुंच जाओ. तुम सुबह साढ़े दस बजे तक आ जाना. बस इतनी ही बात हुई थी, मैं अपनी आंटी के साथ स्टूडियो पहुंच गई थी. उस वक्त हेमंत दा ने मुझे टैगोर बांगला गीत के दो लाइन देकर सीखाने लगे. वो गाना सीखने के बाद मैं चुप बैठी हुई थी. थोड़ी देर बाद दरवाजा खुलता है और लता जी सामने आती हैं. मैं चौंक पड़ी, क्योंकि मुझे पता ही नहीं था कि लता जी यह गाना गा रही हैं. यह बात 1971 की है, उन्हें सामने देख मेरे तो रौंगटे खड़े हो गए थे. वो आईं चुपचाप अपना रिहर्सल किया. उस वक्त हम एक ही कैबिन में रिकॉर्डिंग किया करते थे. लता जी की माइक सेंटर में और मेरी ठीक उनके पीछे माइक लगी थी. मैं इतनी नर्वस हो गई थी कि अपनी लाइन्स भूल गई थी. लता जी समझ गई कि क्या हुआ, वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थीं, कुछ कहा नहीं. लता जी हमेशा फर्स्ट टेक में ओके कर देती हैं. पहली बार उन्हें मेरी वजह से दूसरा टेक देना पड़ा था.
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1978 से 85 तक मैंने लता के लिए डब किया है
आगे चलकर मैं लता के लिए बहुत से गाने डब किया करती थी. मतलब शूटिंग के लिए मैं गाती थी फिर मेरा टेप जाता था लता जी के घर और वो फाइनल उनकी आवाज छपती थी. एक दो बार मैंने यह भी सुना है कि लता जी ने कहा है कि आप प्लीज कविता से गवा लो, मैं नहीं गा पा रही हूं. मैंने इतने सारे गाने उनके लिए गाए हैं. जब मैं अपनी और लता जी के गानों की तुलना करती थी, तो मुझे लगता था कि नहीं, उन्होंने उसे बखूबी गा लिया, वे पूरी तरह परफेक्ट हैं. यह मेरे लिए एक बेहतरीन लर्निंग प्रोसेस साबित हुआ. इसके बाद मैंने डर फिल्म में उनके साथ गाया. गाना रिकॉर्डिंग के बाद लता जी ने मुझसे कहा कि कितने साल के बाद कविता मैं तुम्हारे साथ गा रही हूं. मैं हैरान हो जाती थी कि उन्हें मैं याद हूं. वो विनम्रता से कहतीं कि तुम वही छोटी सी लड़की हो, जो मेरे लिए डब किया करती थी. मैंने लगभग 1978 से लेकर 1985 तक उनके लिए गाना डब किया था. राम जी बड़ा दुख देना जैसे कई गीत हैं, जो मैंने उनके लिए डब किया है.
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एक बार वो मुझे मिलीं, तो उन्होंने कहा कि तुम्हें याद है, हमने डर में कोरस गाना गाया था. मैं रिकॉर्डिंग के बाद दोबारा गाना जाकर ठीक से गाकर आई. मैं झेंप गई, मैंने कहा दीदी आप कह देतीं, मैं भी साथ चलती, तो उन्होंने कहा कि तुम परफेक्ट थी, मैंने अच्छे से नहीं गाया था. यह उनके परफेक्शन की परिभाषा है. मुझे ऐसे लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है, ये पैसे के लिए नहीं गाते हैं. इनके अंदर काम को लेकर जबरदस्त जुनून है. मैंने लता जी को जाकर भी कहा है कि आज जो भी हूं आपकी बदौलत हूं. मेरे करियर को नई दिशा दिलाने में आपका बहुत बड़ा योगदान रहा है.