
बिहार के चर्चित कॉप अमित लोढ़ा की किताब और लाइफ पर बना शो 'खाकी: द बिहार चैप्टर' बहुत पसंद किया जा रहा है. नेटफ्लिक्स के इस शो में करण टैकर ने अमित का किरदार निभाया है और अविनाश तिवारी एक गैंगस्टर चंदन महतो के रोल में हैं. 'स्पेशल 26' और 'बेबी' जैसी फिल्में बनाने वाले नीरज पांडे 'खाकी' के क्रिएटर हैं और उनका इस बात पर खास ध्यान रहता है कि कहानी का फील एकदम रियल हो.
करण टैकर ने एजेंडा आजतक 2022 पर बताया कि इस शो का शूट रियल लोकेशंस पर किया गया है और एक्टर्स के पास स्टूडियो वाली लग्जरी नहीं थी. झारखण्ड के डाल्टनगंज, मैकलुस्कीगंज, हजारीबाग जैसे इलाकों के साथ-साथ बिहार के पटना में भी किया गया है. मुंबई में ही पैदा हुए करण ने बताया कि कस्बाई जगहों पर जा कर शूट करना उनके लिए एक बहुत नया अनुभव था. शो का शूट 85 दिन चला और इन 85 दिन तक शो की पूरी टीम, जिसमें करीब 200 लोग शामिल थे, वहीं पर रहे.
रेस्टोरेंट भी नहीं
एजेंडा आजतक 2022 में शनिवार को पहुंचे 'खाकी' के एक्टर्स शूट के अनुभव बता रहे थे. अविनाश ने कहा कि डाल्टनगंज जैसा छोटा टाउन कई बार बाहर से पहुंचे इन लोगों की जरूरतें नहीं पूरी कर पाता. उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया, 'जैसे मान लीजिए मैं डाइट पर चल रहा हूं. मुझे ग्रिल्ड चिकन चाहिए. तो वहां रेस्टोरेंट में वो मिल ही नहीं रहा.' इसपर करण ने उन्हें टोंकते हुए पूछा, 'रेस्टोरेंट?' तब अविनाश ने कहा, 'हां, वहां ऐसा कोई रेस्टोरेंट नहीं था.'
शूट से बढ़ जाती है जीडीपी
अविनाश ने कहा कि इसके बावजूद उन्होंने डाल्टनगंज को जिस तरह जरूरतें पूरी करने के लिए तैयार होते देखा वो कमाल का अनुभव था. अविनाश ने कहा कि शूट के लिए जब भी कोई यूनिट किसी जगह जाती है तो वहां का माहौल बदलने लगता है. बाहर से आए लोगों की जरूरतें पूरी करने के लिए लोग पूरी कोशिश करने लगते हैं और इससे फायदा तो होता ही है.
मोतिहारी की पैदाइश
करण टैकर- असली इंसान की कहानी स्क्रीन पर उतारते हैं, तो मोटिवेशन. उस आदमी को निराश नहीं करना चाहते. 18 घंटे शूट 20 मिनट की फुटेज, उतनी ही देर शूट 3 मिनट की शूट. बायोपिक नहीं है, वैसे ट्रीट भी नहीं कर रहे हैं. अपनी पूरी फैमिली को छोड़कर जाना. 4 दिन पहले अमित लोधा से मुलाकात. झारखण्ड में डेल्टनगंज. हजारी बाग़. लगभग 85 दिन शूट किया. अविनाश ने कहा, 'मुझे लगता है कि जहां भी फिल्म का शूट होता है, उस इलाके, उस कस्बे का जीडीपी जरूर बढ़ जाता होगा. कम से कम उस क्वार्टर में तो जरूर बढ़ जाता होगा.'