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किरण राव ने 'लापता लेडीज' में क्यों नहीं लिए बड़े स्टार? ऋचा चड्ढा ने बताई प्रोड्यूसर बनने की वजह

'लापता लेडीज' डायरेक्टर किरण राव ने अपनी आखिरी फिल्म 'धोबी घाट' 2011 में डायरेक्ट की थी. उन्होंने बताया कि दो फिल्मों के बीच इतना लंबा गैप क्यों आ गया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को अपने लिए हेल्प मांगने पर भी ध्यान देना चाहिए.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024 में किरण राव, ऋचा चड्ढा, गुनीत मोंगा (क्रेडिट: मंदार देवधर) इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024 में किरण राव, ऋचा चड्ढा, गुनीत मोंगा (क्रेडिट: मंदार देवधर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 25 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:30 PM IST

ऋचा चड्ढा को जनता एक्ट्रेस के तौर पर ही ज्यादा जानती है, मगर अब वो प्रोड्यूसर भी बन चुकी हैं. उनके प्रोडक्शन में बनी पहली फिल्म 'गर्ल्स विल बी गर्ल्स' को सनडांस फिल्म फेस्टिवल 2024 के लिए चुना जाना एक बड़ी अचीवमेंट थी. डायरेक्टर किरण राव की फिल्म 'लापता लेडीज' हाल ही भारत की तरफ से ऑस्कर्स 2024 में ऑफिशियल एंट्री बनी है. और दो ऑस्कर विनिंग प्रोजेक्ट प्रोड्यूस कर चुकीं गुनीत मोंगा की फिल्म 'किल' हाल ही में अपने धुआंधार एक्शन के लिए बहुत चर्चा में थी. 

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024 के मंच पर इन तीनों ने इस बार में बताया कि एक महिला फिल्ममेकर के तौर पर फिल्म इंडस्ट्री कितनी चैलेंजिंग जगह है और उनकी जर्नी कितनी अलग होती है. 

'धोबी घाट' के बाद किरण को अगली फिल्म में क्यों लगे 10 साल?
'लापता लेडीज' डायरेक्टर किरण राव ने अपनी आखिरी फिल्म 'धोबी घाट' 2011 में डायरेक्ट की थी. इतने लंबे गैप के बारे में बात करते हुए, सुपरस्टार आमिर खान की एक्स-वाइफ किरण ने कहा, 'मैं जो कुछ लिख रही थी उससे संतुष्ट नहीं थी. मेरी क्रिएटिविटी का बड़ा हिस्सा मां बनने के साथ जुड़ी चीजों में लगा रहा. और इससे मैं क्रिएटिवली भी बहुत रिच हुई. लेकिन इस बीच मैंने बहुत सारी ऐसी चीजें लिखीं जिन्हें मैं अब स्क्रीन पर लेकर आऊंगी.' 

किरण ने आगे कहा, 'हमें रुककर और भी मदद मांगनी चाहिए. लेकिन एक महिला के तौर पर हम इस बात की बहुत चिंता करते हैं कि हमारे साथ सभी आगे बढ़ते रहें इसलिए खुदपर ध्यान ही नहीं जाता.' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को अपने लिए हेल्प मांगने पर भी ध्यान देना चाहिए. 

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अपनी एक्टिंग को आगे ले जाने के लिए प्रोड्यूसर बनीं ऋचा
हाल ही में मां बनीं ऋचा चड्ढा ने कहा कि उन्होंने प्रोड्यूसर बनने का फैसला अपनी एक्टिंग को आगे बढ़ाने के लिए ही किया. उन्होंने कहा, 'मैं प्रोड्यूसर के तौर पर आगे बढ़ने की कोशिश इसलिए भी कर रही हूं ताकि एक आर्टिस्ट के तौर पर मुझे और ज्यादा कंट्रोल मिले. मैं ज्यादा अच्छे से ये कंट्रोल कर पाऊं कि मुझे किस तरह का काम करना है, किस तरह के रोल करने हैं. ये एक्टिंग का ही एक्सटेंशन है.' ऋचा ने कहा कि अब इसीलिए ज्यादा एक्ट्रेसेज प्रोड्यूसर बन रही हैं. 

ऋचा ने आगे बताया कि जब वो अपनी फिल्म के लिए क्रू में महिलाओं को खोज रही थीं तो उनका ध्यान गया कि लाइटिंग डिपार्टमेंट में लड़कियां है ही नहीं. फिर उन्होंने एक कोलेबोरेशन के जरिए इस फील्ड में इंटरेस्टेड लड़कियों को खोजा, एक इंस्टिट्यूट के साथ कोलेबोरेट करके कोर्स तैयार करवाया. उन्होंने स्टाइपेंड देकर 10 लड़कियों को कोर्स करने भेजा और उनमें से एक ने फिर उनकी फिल्म के लाइटिंग डिपार्टमेंट में काम किया. 

'लापता लेडीज' में इस वजह से नहीं लिए गए बड़े एक्टर
ऐसी कास्ट जिसमें बड़े चेहरे नहीं हैं, मैसेज बहुत धमाकेदार तरीके से स्क्रीन पर डिलीवर नहीं किया जा रहा. बल्कि लाइट कॉमेडी के जरिए डिलीवर किया जा रहा है, क्या ऐसी फिल्म प्लान करना किरण राव के लिए मुश्किल काम था? 

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इस सवाल के जवाब में किरण ने कहा, 'आमिर और मेरा दोनों का जोर इस बात पर था कि कास्ट में बड़े नाम न हों. ताकि आप फिल्म देखते हुए चेहरों पर ध्यान न दें, उनकी कहानी में खो जाएं. हम लेक्चर की तरह मैसेज नहीं देना चाहते थे, क्योंकि लोग थिएटर्स में लेक्चर देखने नहीं जाते. जब हम मुश्किल बातों पर ह्यूमर के जरिए बात करते हैं तो हम कन्वर्सेशन के लिए स्पेस बनाते हैं. 

ऑस्कर में कैसे बढ़ेगी इंडिया की प्रेजेंस?
ऑस्कर अवॉर्ड्स में भारत की तरफ से एक रेगुलर चेहरा बनती जा रहीं गुनीत मोंगा ने, किरण की फिल्म 'लापता लेडीज' को ऑस्कर के लिए चुने जाने पर उन्हें बधाई भी देते हुए कहा, 'मैं यकीनन कहूँगी कि लापता लेडीज इस साल की सबसे बेहतरीन हिंदी फिल्म है.' 

इंडियन सिनेमा को ऑस्कर अवॉर्ड्स में अपनी मौजूदगी मजबूत करने के लिए क्या करना चाहिए, ये बताते हुए गुनीत ने कहा, 'ये समझना जरूरी है कि ये अमेरिकन अवॉर्ड्स हैं और अमेरिकन फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है. वहां पर फिल्म को रिलीज करना और फिल्म को पहचान दिलवाना बहुत जरूरी है.' गुनीत ने कहा कि नॉमिनेशन तक जाना भी बहुत बड़ी बात है. लेकिन इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर्स के तौर पर लगातार ये देखते रहना पड़ता है कि यूएस में हमें जगह मिलती रहे. 

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महिलाओं के लिए एक बेहतरीन मैसेज के साथ सेशन खत्म करते हुए किरण ने कहा, 'हम कभी एक दूसरे के लिए कॉम्पिटीशन नहीं थे, बल्कि हम हमेशा एक दूसरे के साथी थे. ये बात तो पेट्रियार्की कहती है. जबकि एक महिला जब आगे जाती है तो और कईयों के लिए जगह बनाती है.' 

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