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किसान आंदोलन पर बॉलीवुड की चुप्पी, नसीरुद्दीन शाह ने साधा निशाना

नसीरुद्दीन शाह ने लॉकडाउन फेज के बारे में भी अपनी विचार साझा किए. उन्होंने इसी दौरान बॉलीवुड के कुछ नियमों की आलोचना की और फिल्म सिटी में काम करने वाले वर्कर्स और हेल्पर्स के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं.

नसीरुद्दीन शाह नसीरुद्दीन शाह
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 8:22 PM IST

बॉलीवुड एक्टर नसीरुद्दीन शाह देश के सबसे वर्सेटाइल एक्टर्स में से एक रहे हैं और अपनी एक्टिंग के लिए उन्हें इंडस्ट्री का हमेशा से सम्मान मिलता आया है. उन्होंने शानदार अभिनय के लिए अपने करियर में कई सारे पुरस्कार जीते हैं. इसके अलावा एक्टर अपने बयानों को लेकर भी हमेशा सुर्खियों में रहते हैं.

नसीरुद्दीन शाह अपनी बात बेबाकी से रखने के लिए जाने जाते रहे हैं. उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान किसान आंदोलन के बारे में बातें कीं. इसके अलावा उन्होंने लॉकडाउन फेज के बारे में भी अपनी विचार साझा किए. उन्होंने इसी दौरान बॉलीवुड के कुछ नियमों की आलोचना की और फिल्म सिटी में काम करने वाले वर्कर्स के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं. 

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नसीरुद्दीन शाह ने किसान आंदोलन पर अपनी बात रखी और किसानों का पक्ष लिया. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की पूरी उम्मीद है कि किसान आंदोलन और बढ़ेगा और आने वाले वक्त में आम जनता भी इससे जुडे़गी. नसीर साहब ने बॉलीवुड इंडस्ट्री पर निशाना साधते हुए कहा कि ये हम नहीं कह सकते अब कि किसान कड़कती सर्दी में सड़क पर बैठा रहेगा और हम खामोश रह जाएं. कुछ ना बोलें. नसीर ने कहा कि खामोश रहना जुल्म करने वाले की तारीफ करने के बराबर है. 

 

नसीर ने कहा कि हमारी बॉलीवुड इंडस्ट्री के बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो खामोश बैठे हुए हैं और कुछ नहीं बोलते. उन्हें ऐसा लगता है कि बोलकर वे बहुत कुछ खो सकते हैं. इंडस्ट्री में लोगों ने इतना पैसा कमा लिया है कि उनकी 7 पुश्ते आराम से खा सकती हैं. फिर भी लोगों के मन में डर है. बता दें कि नसीर उन कलाकारों में से एक हैं जो हमेशा से बॉलीवुड के उस खेमे की आलोचना करते आए हैं जो किसी भी मुद्दे पर कुछ भी बोलने से कतराते हैं. आवाम के हक के लिए जो आवाज नहीं उठाते और खामोश रह जाते हैं. 

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लॉकडाउन फेज को किया याद

नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान माइग्रेंट्स की तस्वीरें देख कर उन्हें बहुत दुख होता था. उनका दिल टूट जाता था. जिस तरह से पुलिस इनके ऊपर ज्यादती कर रही थी वो देख कर अफसोस होता था. नसीर ने कहा कि एक खामखां का रूल बना दिया गया कि जो 65 साल के ऊपर हैं वे काम नहीं कर सकते. क्या जो 64 साल का होगा उसे कोई दिक्कत नहीं होगी. ये कैसी बात हुई कि अगर आप 64 साल के हैं तो ठीक हैं और अगर आप 65 साल के हो गए तो आप खतरनाक हो गए. उनलोगों के बारे में सोच कर बहुत दुख होता था जो इंडस्ट्री में हमारे बीच इतने समय से हैं और हेल्पर का काम करते हैं. लाइटबॉय, चाय वाला, मेकअप आर्टिस्ट और हेयर ड्रेसर के बारे में सोच कर ही मायूसी होती थी कि कैसे उन्होंने मुश्किल घड़ी में गुजारा किया होगा.

 

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