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Exclusive: Cannes पहुंचकर बोले Nawazuddin Siddiqui, ये मेरे लिए मक्का, यहां बॉक्स ऑफिस नहीं सिर्फ सिनेमा की बात होती है

नवाजुद्दीन सिद्दीकी कान्स फिल्म फेस्टिवल में इन दिनों शिरकत करने पहुंचे हैं. नवाज के अनुसार, उनके लिए यह फिल्म फेस्टिवल किसी मक्का से कम नहीं है. कान्स से जुड़ी अपनी मेमोरी नवाज हमसे शेयर करते हैं.

नवाजुद्दीन सिद्दीकी नवाजुद्दीन सिद्दीकी
नेहा वर्मा
  • मुंबई,
  • 18 मई 2022,
  • अपडेटेड 11:10 PM IST
  • Cannes से जुड़ा दिलचस्प किस्सा शेयर किया नवाज ने
  • Cannes फेस्टिवल को सिनेमा का मक्का मानते हैं नवाज

बॉलीवुड  एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी इन दिनों कान्स में शिरकत कर रहे हैं. कान्स से नवाज का जुड़ाव लंबे समय का रहा है. आजतक डॉट इन से एक्सक्लूसिव बातचीत कर नवाज हमसे कान्स स्पेशल मेमोरी शेयर कर रहे हैं. 

कान्स फेस्टिव से जुड़ी आपकी कोई स्पेशल मेमोरी, जिसे भूल नहीं सकते? 
कान्स से जुड़ी सबसे यादगार मेमोरी मेरी यही रही थी. एक बार मेरी तीन फिल्में यहां गई थी. मॉनसून शूटआउट, लंच बॉक्स और बॉम्बे टॉकीज. मेरी तीनों टीम रेड कॉर्पेट पर खड़ी हुई थी. मेरे साथ बहुत मजेदार किस्सा रहा. मैंने पहली टीम के साथ वॉक किया फिर वापस भागकर सेकेंड टीम के पास पहुंचा और फिर उनके साथ वॉक करने के बाद मैं फौरन खड़ी तीसरी टीम के पास जा लौटा. एक दिन में ही में मैंने कान्स के रेड कॉरपेट पर तीन बार वॉक कर लिया था. वहां खड़े लोग सोच भी रहे थे कि ये बंदा इतना भाग क्यों रहा है, बाद में उन्हें पता चला कि ये तो तीनों फिल्मों का हिस्सा है. दूसरी मेमोरी भी उसी साल की है कि यह पूरे देश के लिए गौरान्वित भरी बात थी कि एक कंट्री से तीन-तीन फिल्म शिरकत कर रही थी. क्योंकि कान्स फेस्टिवल सिनेमा की बात करता है और हमारे देश से तीन-तीन फिल्मों का जाना वाकई में प्राउड वाली बात थी. 

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आपने जब पहली बार कान्स के रेड कार्पेट पर वॉक किया था, तो उस वक्त क्या अहसास थे. नर्वस थे? 
- नर्वस तो नहीं था लेकिन मुझे एहसास जरूर हुआ कि पहली बार ऐसा कोई मंजर था, जहां केवल और केवल सिनेमा की बात हो रही है. वर्ल्ड की जो इंडिपेंडेंट फिल्में हैं, उनकी बात करता है. यहां कोई भी बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की बात नहीं कर रहा था, बस और बस सिनेमा और आर्ट फिल्म की बात हो रही थी. आर्टिस्टिक एक्सप्रेशन की ही बात होती थी, जो मुझे बड़ा सुकून देती थी. 

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कान्स से आपका एक लंबा जुड़ाव रहा है. आप कितना जुड़ा हुआ महसूस करते हैं? 
-यहां जब एक्टर की फिल्में आती हैं, तो वे इस जमीन से जुड़ाव महसूस करते हैं. मेरे डायरेक्शन की फिल्म जब आएगी, और पूरी दुनिया उसे देखेगी, उसका अहसास अलग ही होगा. मैं तो कान्स को सिनेमा का मक्का मानता हूं. हर आर्टिस्ट को यहां अपना घर होने का अहसास होता है. मैं जिस चीज से सबसे ज्यादा जुड़ा हूं या पसंद करता हूं, तो वो सिनेमा है. जब सिनेमा के ऐसे दिग्गज व लवर्स एक प्लैटफॉर्म पर मिलते हैं, तो मैजिकल माहौल होता है. 

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कान्स जैसे इंटरनैशनल फेस्टिवल में इंडिया की दावेदारी कितनी मजबूत हुई है?
हमारा देश इस साल कंट्री ऑफ ऑनर है. यह हम सभी इंडियंस के लिए गर्व की बात है. लेकिन अफसोस इस साल हमारे यहां से कोई फिल्म नहीं थी ,जो सिलेक्ट की गई थी. देखें, लोग कंफ्यूज हो जाते हैं, मैं बता दूं यहां फिल्मों का प्रीमियर कोई भी कर सकता है. आप अपनी फिल्म को भी यहां लाकर इसका प्रीमियर करवा सकते हैं, ये बड़ी बात नहीं होती है. यह समझना जरूरी है कि कान्स में जो ऑफिशियल सेलेक्शन प्रोसेस से फिल्म गुजरती हैं, वो देश के लिए गर्व की बात होती है. कान्स में ऑफिशियल सेलेक्टेड फिल्मों की वैल्यू मायने रखती है. 

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