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आखिरी एपिसोड की स्क्रिप्ट पढ़कर डर गए थे प्रह्लाद पांडे, कहा था-मैं तो अच्छा एक्टर भी नहीं हूं!

पंचायत 2 के आखिरी ऐपिसोड ने सबको हैरान कर दिया था. किसी ने सीरीज के ऐसी ट्रैजिक एंडिंग की कल्पना नहीं की थी. सीरीज की जान रहे उप-प्रधान अका फैसल मल्लिक हमसे शेयर कर रहे हैं शूटिंग के जुड़े कई दिलचस्प किस्से..

फैसल मलिक फैसल मलिक
नेहा वर्मा
  • मुंबई,
  • 24 मई 2022,
  • अपडेटेड 6:40 PM IST
  • पंचायत को टर्निंग पॉइंट मानते हैं फैसल
  • लास्ट ऐपिसोड से जुड़े किस्से सुनाए

पंचायत सीरीज में उप प्रधान प्रह्लाद पांडे का किरदार निभाकर अभिनेता फैसल मलिक घर-घर में जाना-पहचाना नाम बन गए हैं. शो के रिस्पांस से वो गदगद हैं. बधाई देने वाले लगातार फोन घनघना रहे हैं. मैसेज भेजकर कोई खुद के भावुक होने की बात बता रहा है तो कोई अपना भी दर्द साझा कर रहा है. फैसल कहते हैं कि यह स्पेशल फीलिंग है, मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि इस लेवल पर इनसे कनेक्ट हो पा रहा हूं. 

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मैं अच्छा एक्टर भी नहीं हूं 
पंचायत सीरीज-2 का आखिरी ऐपिसोड काफी अलग था. किसी ने ये उम्मीद नहीं की थी कि कहानी को इतने इमोशनल ऐंड पर मोड़ दिया जाएगा. फैसल खुद इससे हैरान थे. उन्होंने कहा, ‘जब स्क्रिप्ट मैंने पढ़ी तो फौरन दोनों राइटर्स से बात की. उनसे पूछा कि कुछ ज्यादा ही भरोसा नहीं कर रहे हो मुझपर? ये तो बहुत ही अलग जोन में जा रहा है. यह तो शो के बिलीफ को बदलने की लड़ाई है. अगर सही से दर्शकों के बीच नहीं पहुंचा, तो लोग फौरन सवाल उठा देंगे. ऐसी अलग सी चीज छू रहे हैं, जिन्हें लेकर हमारा देश खासा सेंसेटिव व इमोशनल है. और ये सबकुछ बदलाव मेरे जरिए. मैं तो अच्छा एक्टर भी नहीं हूं. फिर भी उन्होंने कहा कि ये तो होगा और आप कर जाएंगे’. 

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चार-पांच घंटे प्रोस्थेटिक मेकअप से गुजरता था 
फैसल ने इस दौरान का अपना शूटिंग एक्सपीरियंस भी बताया. उन्होंने कहा कि हमने पूरा क्लाइमैक्स पांच-सात दिन में शूट किया था. बहुत बारीकी से इस पूरे किस्से को शूट किया गया. आप हर वक्त रो नहीं सकते हैं या तो आप रो कर आ रहे हों या फिर एक दम से सुन्न पड़े हों. इसकी तैयारी में इन राइटर्स ने बहुत साथ दिया. मैं तो डरा हुआ था कि अगर ये नहीं कर पाऊंगा, तो जितनी इमेज बनी है और फिर जितना प्यार मिला है, वो मिट्टी न हो जाए. मैंने इस सीन के लिए अपने अंदर के कई तार झकझोरे. कई एक्टर्स से बातचीत भी की. प्रोस्थेटिक मेकअप के जरिए बालों को छिपाया इसके लिए चार-पांच घंटे देना पड़ता था. मूंछ और दाढ़ी हटवा दी थी. 

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ये थोपा हुआ इमोशन नहीं, सच्चाई है

शहीद बेटे के अंतिम संस्कार के सीन को लेकर एक वर्ग का यह भी कहना है कि इसे जबरदस्ती इमोशनल बना दिया गया? फैसल मलिक भी कशमकश में थे. वो कहते हैं कि मैंने भी बार-बार कहा कि सोच लो यार. लेकिन वो लोग जानते थे कि वो क्यों कर रहे हैं. ये थोपा हुआ इमोशन नहीं है. ये सच्चाई है जीवन की. गांव का ही जवान आर्मी में जाता है. उनकी दाद देनी होगी कि वे इस तरह के रिस्क लेने को तैयार थे. मैंने तो पहले ही कह दिया था कि अगर अच्छा नहीं होता है, तो मुझे मारना-वारना मत. 

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उस सीन पर सब हंस पड़े थे

पंचायत सीजन-2 के एक सीन में प्रह्लाद पांडे और विकास खेत में विनोद से बोतल छीनते हैं. फैसल का ये पसंदीदा सीन है. वो कहते हैं कि गजब का सीन था वो, जितना आप देखकर हंसे, उतनी ही हंसी शूटिंग के वक्त भी आई. किसी को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर डायलॉग क्या बोलें. यहां तक की डायरेक्टर कट किए बिना ही सीन के बीच में हंसे जा रहे थे. वो पूरा दिन हंसते-हंसते गुजरा था. जहां तक पसंदीदा किरदार की बात है तो फैसल को को रघुबीर यादव का रोल बहुत पसंद है. वो कहते हैं कि रघु भाई बहुत खूबसूरत तरीके से करते हैं. इस शूटिंग के दौरान मैंने उनसे एक चीज जो सीखी है, कि मैं सीन ओके होने के बाद मॉनिटर कभी नहीं देखता. 

तो ये असल जिंदगी में पार्टी का कोड 
पंचायत में जब भी पार्टी का मूड होता है तो प्रह्लाद पांडे या उनके दोस्त Hi लिखकर मैसेज करते हैं. हालांकि फैसल का असल जिंदगी में भी एक कोड है जिसका खुलासा उन्होंने खुद किया. वो बताते हैं कि असल जिंदगी में तो बस कॉल लगाकर कह दिया कि 'और' तो सामने वाला समझ जाता है कि अच्छा पार्टी की बात हो रही है. यह 'और' ऑटो पायलट मोड पर होता है. बिल्डिंग में दोस्त होते हैं, तो 'और' सुनकर कंपाउंड तक पहुंच जाते हैं. ऑफिस वाले 'और' सुनकर बताए गए डेस्टिनेशन पर. इसी कोडवर्ड पर जिंदगी चलती है. 

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एक्टर भाग गया था, मजबूरन करनी पड़ी थी एक्टिंग 

वैसे आपको बता दें कि एक्टिंग फैसल का पार्ट टाइम जॉब है. उनको खुद का प्रोडक्शन हाउस है. उन्होंने कई फिल्म व सीरीज बनाई हैं. गैंग्स ऑफ वासेपुर में भी उन्होंने प्रोडक्शन का भार संभाला था. अनुराग और उन्होंने कई प्रॉजेक्ट्स में काम किया है. शूटिंग के दौरान एक एक्टर सेट से भाग गया तो उनको कहा गया कि बस चार घंटे की ही शूटिंग की बात है, तुम कर लो. वहां से फैसल के एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई. फैसल बताते हैं कि उस फिल्म के बाद मुझे हजारों पुलिस के किरदार ऑफर हुए. मैं तो बोलने लगा कि भई सच में पुलिस बनाओगे सब, घर पर वर्दी सिलवाकर रख लूं ताकि रोज पहनकर शूटिंग के लिए निकल जाऊं. फिर पंचायत आया और उसने तो सबकुछ बदल दिया है. मेरी कोशिश है कि ज्यादा काम न करूं, ज्यादा कैमरे के सामने दिखूंगा, तो लोगों का इंट्रेस्ट खत्म हो जाएगा. कम काम करूं लेकिन अच्छा काम करूं.

पंचायत में पेठे के लिए ललचाते फैसल को क्या पेठा पसंद है, इस सवाल के जवाब में वो कहते हैं कि शूटिंग के दौरान इतना पेठा खा लिया है कि अब जिंदगी भर नहीं खाऊंगा.

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