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पंचायत-2 का बनराकस...जो विलेन होने के बाद भी सीरीज की रीढ़ है

Panchayat season 2: अमेजन प्राइम पर हाल ही में रिलीज़ हुई पंचायत-2 वेब सीरीज़ ने लोगों को प्रभावित किया है, सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा है. साथ ही चर्चा एक ऐसे किरदार की है, जिसने अपने स्क्रीन प्रेजेंस से हर किसी को हैरान किया. किरदार का नाम भूषण, जिसे बनराकस भी कहा जाता है.

पंचायत 2 पंचायत 2
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2022,
  • अपडेटेड 8:02 PM IST
  • दमदार है पंचायत 2 में भूषण का किरदार
  • सीरीज की जान बने गए हैं एक्टर

हिन्दी फिल्म इतिहास की सबसे पॉपुलर फिल्मों में से एक ‘शोले’ में अगर गब्बर सिंह नहीं होते तो शायद ये फिल्म ऐतिहासिक हो ही नहीं पाती. यहां तक सांभा का किरदार निभाने वाले मैकमोहन का डायलॉग ना होता, तो भी शायद फिल्म में आपको कुछ कमी नज़र आती. क्योंकि शोले का नाम जब भी आता है, तब इन दो किरदारों की ज़िक्र आता ही है. ये किसी भी कहानी के निगेटिव या साइड किरदार की ताकत है, जो किसी मेन हीरो से ज्यादा छाप छोड़ने का माद्दा रखता है.

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बड़े पर्दे से निकलकर साइड एक्टर्स की ताकत अब मोबाइल फोन तक आ गई है, जहां घर-घर उनकी पहचान बनने लगी है. अमेजन प्राइम पर हाल ही में रिलीज़ हुई पंचायत-2 वेब सीरीज़ ने लोगों को प्रभावित किया है, सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा है. साथ ही चर्चा एक ऐसे किरदार की है, जिसने अपने स्क्रीन प्रेजेंस से हर किसी को हैरान किया. किरदार का नाम भूषण, जिसे बनराकस भी कहा जाता है.  

पंचायत-2 को एक पूरी वेबसीरीज़ के आधार पर देखेंगे तो यह एक बेहद ही औसत शो है, जिसकी कहानी उससे भी ज्यादा औसत है. क्योंकि शुरुआत से लेकर अंत तक आप चीज़ों को प्रीडिक्ट करते हुए दिखते हैं, फिर भी यह सीरीज़ आपको बांधकर रखती है. ये कहानी की वजह से नहीं बल्कि उसके किरदारों की वजह से. सीरीज़ की कहानी से जब आप उबने लगते हैं, तब इन्हीं किरदारों के ऐसे मोमेंट आते हैं जो आपको रोक लेते हैं.

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इन्हीं किरदारों में सबसे बेहतरीन किरदार भूषण (दुर्गेश कुमार) का है, जो हर बात में कमी निकाल रहा है. बॉलीवुड की भाषा का इस्तेमाल किया जाए, तो भूषण पंचायत-2 का विलेन है. बॉलीवुड की भाषा से निकलकर गांव-देहात और देसी भाषा में जाएं, तो भूषण घर में होने वाली शादी का वो फूफा है जिसे हर बात में नुक्स निकालना है. या आपका वो दोस्त जो गोवा जाने का प्लान हर बार कैंसल कर देना चाहता है. इनकी खासियत यह है कि आप इनके बिना रह भी नहीं सकते हैं और यही भूषण का किरदार है, उनके बिना पंचायत-2 हो ही नहीं सकती है. 

क्योंकि कोई भी कहानी, फिल्म बिना साइड कैरेक्टर के चल ही नहीं सकती है. आपको कोई फिल्म, सीरीज़ या किताब की कहानी तब याद रहती है, जब आप उन किरदारों से जुड़ पाएं. जब आप उन किरदारों को अपने आस-पास महसूस कर पाएं. किसी भी कहानी की यही ताकत होती है. महाभारत का हीरो अर्जुन बताया जाता है, लेकिन कहानी के किरदारों में झांकिए आपका मन बदलेगा, आप अर्जुन नहीं कर्ण को ही हीरो बताएंगे. 

बॉलीवुड ने साइड एक्टर को हमेशा साइड में ही रखा, डिजिटल/ओटीटी ने वो कसक खत्म कर दी है. क्योंकि यहां आप 30 सेकंड दिखकर भी काफी कुछ कह सकते हैं और लोगों की याद में हमेशा के लिए दिख सकते हैं क्योंकि उनके पास रिकॉर्ड, क्लिप, स्क्रीनशॉट का मौका है. यही वजह है कि पंचायत-2 के हीरो अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र) के अलावा भी हर किरदार के बारे में बात की जा रही है और उनके डायलॉग लोगों की ज़ुबान पर और सोशल मीडिया की गलियों में घूम रहे हैं. पंचायत-2 भी सिर्फ सचिव जी की कहानी नहीं है, जो पिछले दो साल से गांव से निकलने की कोशिश में हैं लेकिन ये सिर्फ कोशिश ही है. 

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पंचायत की पूरी कहानी उसके साइड कैरेक्टर्स की है, जिसमें ‘बनराकस’ यानी भूषण सबसे अलग किरदार करते सामने आए हैं. पंचायत-2 के एक एपिसोड में जब भूषण अपने प्लान के मुताबिक विनोद को बागी होने के लिए उकसा रहा है, तब एक डायलॉग आता है. ‘क्रांति बिना कुर्बानी के नहीं आती.’ या उस डांस गर्ल का सचिव जी को बड़े ही आराम से कह देना, ‘नाच तो हम सब ही रहे हैं सचिव जी’. पूरी सीरीज़ के सबसे बेहतरीन डायलॉग में से एक हैं और दोनों ही साइड कैरेक्टर्स के हवाले हैं. 

तंबाकू रगड़कर हल्की मुस्कान के साथ ताना मारते हुए दुर्गश कुमार ने भूषण के किरदार को इस तरह निभाया है कि आपको उस कैरेक्टर्स से नफरत होगी, लेकिन उसके बिना आप पूरी सीरीज़ नहीं देख पाएंगे. यही पंचायत-2 के बनराकस की ताकत है.

 

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