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Pandit Shivkumar Sharma passes away: 500 रुपये लेकर मुंबई आए पंडित शिव कुमार, क्यों कहते थे हमेशा रहूंगा पत्नी का शुक्रगुजार

पंडित शिव कुमार शर्मा अब हमारे बीच नहीं रहे. 84 साल की उम्र में उनका निधन हो गया है. 1938 में जन्मे पंडित शिव कुमार शर्मा कश्मीरी फैमिली से ताल्लुक रखते थे और उन्होंने ही संतूर को पहचान दिलाई है.

पंडित शिव कुमार शर्मा पंडित शिव कुमार शर्मा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2022,
  • अपडेटेड 2:25 PM IST
  • पंडित शिव कुमार शर्मा का निधन हो गया है
  • संतूर को पंडित शिव कुमार शर्मा ने दिलाई है पहचान

म्यूजिक की दुनिया का एक चमकता सितारा आज हमेशा के लिए बुझ गया है. दिग्गज म्यूजिशियन और संतूर प्लेयर पंडित शिव कुमार शर्मा 84 साल की उम्र में इस दुनिया से रुख्सत हो गए हैं. संतूर को सही पहचान दिलाने का श्रेय पंडित शिव कुमार शर्मा को ही जाता है. उन्होंने 13 साल की उम्र में ही संतूर सीखना शुरू कर दिया था. लेकिन अब ये रौशन सितारा हमारे बीच नहीं रहा. 

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संतूर के साथ तबला भी बजाते थे पंडित शिव कुमार शर्मा

1938 में जन्मे पंडित शिव कुमार शर्मा कश्मीरी फैमिली से ताल्लुक रखते थे. वे बचपन से ही म्यूजिक की दुनिया से जुड़ गए थे. संतूर में उन्हें महारत हासिल थी. वे तबला भी काफी अच्छा बजाते थे. 15 साल की उम्र में उन्होंने जम्मू रेडियो में ब्रॉडकास्टर के तौर पर भी काम किया था. 

पंडित शिव कुमार शर्मा को धीरे-धीरे एहसास हुआ की उनके दिल को संतूर बजाने में सबसे ज्यादा खुशी मिलती है. इसके बाद अपना पैशन फॉलो करने के लिए वो मुंबई आ गए. पंडित जी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था- मैं सिर्फ 500 रुपये लेकर मुंबई आया था. ये मेरी जिंदगी का दूसरा सबसे बड़ा जुआ था. पहला तो तबला छोड़ना ही था. 


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इस फिल्म में कंपोज किया बैकग्राउंड म्यूजिक

पंडित शिव कुमार शर्मा अपने पैशन को कड़ी मेहनत के साथ फॉलो करते रहे और उन्हें कामयाबी भी मिली. लेकिन उनकी जिंदगी इतनी आसान भी नहीं थी. उन्होंने 1955 में आई फिल्म झनक झनक पायल बजे के एक सीन के लिए बैकग्राउंड म्यूजिक कंपोज किया था. इस फिल्म में पहली बार संतूर का इस्तेमाल किया गया था, जो बहुत हिट हुआ था. 

पंडित शिव कुमार शर्मा को संतूर से इतना प्यार था कि उन्होंने फिल्मों के लिए मिले कई ऑफर्स को ठुकरा दिया. कमर्शियलाइजेशन से हटकर उन्होंने संतूर पर रिसर्च करना जारी रखा. उस समय उन्होंने कई मुश्किल हालातों का सामना किया. कई बार उन्हें भूखे पेट भी सोना पड़ता था. लेकिन वो अपने पिता से कहा करते थे कि सब कुछ ठीक है.  

संतूर को दिलाई पहचान

लेकिन कहते हैं ना मेहनत हमेशा रंग लाती है. पंडित शिव कुमार शर्मा को संतूर के लिए उनके प्यार ने उन्हें खूब शौहरत दिलाई. कई सालों की कड़ी मेहनत और डेडीकेशन के बाद पंडित शिव कुमार शर्मा संतूर को एक खास पहचान दिलाने में कामयाब हुए. 

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अपनी जर्नी पर बात करते हुए उन्होंने एक बार कहा था- जब भी मैं पीछे मुड़कर देखता हूं कि मैंने किन मुश्किल हालातों का सामना किया है तो बस एक ही चीज का एहसास होता है और वो यह है कि जितना बड़ा रिस्क होगा, कामयाबी भी उनती ही बड़ी मिलेगी. 

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उन्होंने अपने बारे में यह भी कहा था- मैं म्यूजिशियन नहीं हूं. मैं सिर्फ एक माध्यम हूं, जिसे सरस्वती ने इसके लिए चुना है. मैंने बजाते समय अपने हाथों में ईश्वर की मौजूदगी का एहसास किया है. 

पंडित शिव कुमार शर्मा अपनी पत्नी मनोरमा शर्मा से भी बहुत प्यार करते थे. उन्होंने एक बार अपनी पत्नी के बारे में कहा था- मैं आज जो भी हूं उसके लिए अगर मैं मेरे पिता और गुरु के बाद मैं किसी का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा तो वो मेरी पत्नी होंगी. वो हर मुश्किल समय में मेरे साथ चट्टान की तरह खड़ी रहीं. कई बार ऐसा भी समय आता था जब वो भी नर्वस हो जाती थीं, लेकिन उन्होंने कभी मेरा साथ नहीं छोड़ा. 

सिंपल चीजें पसंद करते थे पंडित शिव कुमार शर्मा

पंडित शिव कुमार शर्मा की पत्नी ने उनके बारे में बताया था- शिव कुमार की कोई हाई डिमांड्स नहीं होती. लेकिन उनको अपना स्पेस चाहिए होता है और उसमें गहरी सोच, साइलेंस और मेडिटेशन होता है. उन्हें सिंपल चीजें पसंद हैं. लेकिन हर चीज परफेक्शन के साथ होनी चाहिए. उनका खाना बिल्कुल परफेक्ट, फ्रेश और  सिंपल होना चाहिए. ये बहुत छोटी चीजें हैं, लेकिन उनके घर में बहुत मायने रखती हैं. वे अपना ज्यादातर समय अपने रियाज के कमरे में घंटों प्रैक्टिस करके गुजारते थे. 

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पंडित शिव कुमार शर्मा अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन म्यूजिक की दुनिया में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा. 

 

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