
इंडिया की सबसे दमदार एक्ट्रेसेज को लेकर कोई भी लिस्ट बने, विद्या बालन का नाम लिए बिना बात पूरी ही नहीं हो सकती. 'भूल भुलैया' 'इश्किया' से लेकर पिछले सालों में रिलीज हुईं 'शेरनी' और 'जलसा' तक उनकी एक-एक परफॉरमेंस बेहतरीन एक्टिंग की एक मिसाल है. आज विद्या का टैलेंट किसी पहचान का मोहताज नहीं है. मगर इसी दमदार एक्ट्रेस के लिए पहली हिंदी फिल्म मिलना अपने आप में एक तगड़ा संघर्ष बन गया था. आखिरकार, 'परिणीता' के डायरेक्टर प्रदीप सरकार ने प्रोड्यूसर विधु विनोद चोपड़ा को एक छोटा सा बदलाव सुझाया, जिससे कई बार ऑडिशन में रिजेक्ट हो चुकीं विद्या को उनकी पहली हिंदी फिल्म मिली.
प्रदीप सरकार अब हमारे बीच नहीं रहे. 24 मार्च की सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली. उनका नाम सिनेमा की टैलेंटेड हस्तियों में गिना जाता था. डायरेक्शन ही नहीं, एडिटिंग और राइटिंग के जरिए भी उन्होंने सिनेमा में अपना बहुमूल्य योगदान दिया. विद्या बालन को 'परिणीता' में लीड रोल मिलने का किस्सा, इस बात की गवाही देता है कि कई फिल्मी हस्तियों के प्यारे 'दादा', प्रदीप सरकार टैलेंट को पहचानने में कितनी बारीक नजर रखते थे.
लगातार रिजेक्ट हो रही थीं विद्या
90s के पॉपुलर टीवी सीरियल 'हम पांच' में विद्या बालन को एक टीनेजर के रोल में काफी नोटिस किया गया. और इस रोल के चलते पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान ही उन्हें मलयालम इंडस्ट्री के सुपरस्टार मोहनलाल की फिल्म 'चक्रम' में लीड रोल भी मिल गया. बड़े एक्टर के साथ लीड रोल मिलने का फायदा विद्या को जबरदस्त मिला और उन्हें धड़ाधड़ 12 मलयालम फिल्मों के लिए साइन कर लिया गया. लेकिन इधर 'चक्रम' पर काम रुक गया.
उन दिनों मोहनलाल बड़े स्टार थे और उनकी फिल्मों का बंद हो जाना एक अनसुनी घटना थी. 'चक्रम' के बंद हो जाने का ये असर हुआ कि इंडस्ट्री के लोगों ने विद्या को 'मनहूस' का तमगा दे दिया. मोहनलाल के साथ काम करने के फायदे में उन्हें जो फिल्में मिली थीं, उन सभी में उन्हें रिप्लेस कर दिया गया. लेकिन ये सिलसिला मलयालम इंडस्ट्री तक ही नहीं रुका, बल्कि 'बाला' और 'रन' जैसी तमिल फिल्मों में भी विद्या के साथ यही हुआ.
विद्या का सफ़र जिन वजहों से एक बेहतरीन इंस्पिरेशन है, उनमें से एक ये है कि उनके हाथ से फिल्में जाती रहीं, मगर इस दौरान उन्होंने टीवी सीरियल्स, ऐड फिल्म्स और म्यूजिक वीडियोज में काम करना जारी रखा. इन ऐड फिल्मों और म्यूजिक वीडियोज में कई बार उन्हें प्रदीप सरकार ने डायरेक्ट किया. जिन प्रोजेक्ट पर दोनों ने साथ काम किया उनमें पलाश सेन के बैंड यूफोरिया का म्यूजिक वीडियो 'कभी आना तू मेरी गली' भी था.
विद्या, परिणीता और प्रदीप सरकार
फिल्मों में काम पाने के लिए विद्या लगातार स्ट्रगल करती रहीं और इसी सिलसिले ने उन्हें फिल्ममेकर विधु विनोद चोपड़ा के ऑफिस पहुंचा दिया, जो उस समय 'परिणीता' के लिए कास्टिंग कर रहे थे. 'परिणीता' के म्यूजिक कम्पोजर शांतनु मोइत्रा ने मुंबई मिरर के एक इंटरव्यू में बताया था कि विधु के ऑफिस में जब विद्या उन्हें मिलीं, तबतक वो करीब 75 बार ऑडिशन में रिजेक्ट हो चुकी थीं.
शांतनु ने बताया कि विद्या जिस दिन उनसे मिलीं, उस दिन वो शाम में मशहूर सिंगर ब्रायन एडम्स के कॉन्सर्ट में जाने का प्लान बना चुकी थीं. लेकिन वो प्रदीप सरकार के बुलाने पर 'एक आखिरी ऑडिशन' के लिए आई थीं. प्रदीप सरकार ने विधु से कहा था कि फिल्म की एक्ट्रेस के लिए एक नया लुक ट्राई किया जाए क्योंकि पहले वाला असरदार नहीं लग रहा. विद्या को अबतक रिजेक्ट होने की इतनी आदत हो चुकी थी कि ऑडिशन देने के बाद चुने जाने का कोई चांस भी नहीं नजर आया.
'ललिता' मिल गई!
दैनिक भास्कर से एक बातचीत में प्रदीप सरकार ने 'परिणीता' की कास्टिंग का किस्सा याद करते बताया था कि विधु ने 13-14 बार विद्या का टेस्ट लिया था. 15वीं बार में उन्होंने अपनी पत्नी को बुलाकर कहा था 'देखो, मेरी ललिता मिल गई.' उधर विद्या को इस बार भी रिजेक्ट हो जाने का इतना यकीन था कि जब प्रदीप ने उन्हें कॉल किया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया. उल्टा उन्हें कॉन्सर्ट का मजा लेने में डिस्टर्बेंस हो रहा था इसलिए वो फोन बंद करने का सोच रही थीं. शांतनु मोइत्रा ने बताया, कि किसी ने विद्या को मैसेज किया था- 'तुम परिणीता बन गई हो, ये (स्ट्रगल) ख़त्म हो चुका है.' विद्या कॉन्सर्ट से बाहर आईं और घुटनों पर बैठकर रोने लगीं.
प्रदीप सरकार से ही हो गई थी विद्या की लड़ाई
प्रदीप सरकार ने विधु को एक छोटा सा बदलाव सुझाया था जिसके बाद विद्या 'परिणीता' के लीड रोल में परफेक्ट लगने लगी थीं. मगर फिल्म के शूट के दौरान इन्हीं प्रदीप से विद्या का मनमुटाव भी हो गया था. हालांकि तब एक्टर्स ने दोनों के डिफरेंस को सुलझाया और फिल्म पूरी हुई. 'परिणीता' के लिए प्रदीप सरकार को 'बेस्ट डेब्यू फिल्म डायरेक्टर' का नेशनल अवॉर्ड मिला और विद्या को मिली क्रिटिक्स और फैन्स की वो तारीफ, जो आज भी उनके लिए उसी शिद्दत से की जाती है.
'परिणीता' जैसे बेहद कामयाब प्रोजेक्ट के बाद विद्या और प्रदीप सरकार को फिर से साथ काम करने में काफी लंबा समय लगा. कहा जाता है कि जब सरकार ने अपनी फिल्म 'लागा चुनरी में दाग' के लिए रानी मुखर्जी को कास्ट किया, तो विद्या को ये बात पसंद नहीं आई और उन्होंने अपने 'दादा' से बातचीत बंद कर ली. लेकिन ये दूरी ज्यादा दिन नहीं चली और करीब 5 साल बाद दोनों ने जब फिर से एक ऐड शूट में काम किया, तो पहले दिन गले मिलने से शुरुआत की.