
फ्लूट मायस्ट्रो और ग्रैमी अवॉर्ड विनर रह चुके राकेश चौरसिया, इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई में आए. यहां उन्होंने अपने संगीत और ग्रैमी अवॉर्ड जीतने पर बात की. गुरु पंडित हरी प्रसाद चौरसिया जी के बारे में बताया.
राकेश चौरसिया ने कहा- मेरे लिए ग्रैमी अवॉर्ड जीतना सौभाग्य की बात थी. मुझे गर्व है कि मैं देश के लिए ये जीत पाया. मेरे गुरु पंडित हरी प्रसाद चौरसिया जी रहे हैं. अगर आपके पास ओपन माइंडेड गुरु हैं तो आपके लिए ये सौभाग्य की बात है. वो हमेशा कहते थे कि अपना दिमाग खुला रखो. सीखो. अपने आसपास से सीखो. उन्होंने बहुत एक्स्पेरिमेंट किया है और ये देखते हुए हम लोगों ने सीखा है. हमारे लिए बहुत सारे दरवाजे खुले और काम मिला. काम किया.
भगवान कृष्णा को फ्लूट काफी प्रिय थी. मैं फ्लूट को एक ऑर्गैनिक इंस्ट्रूमेंट मानता हूं. ये आर्टिफिशियल नहीं. ये एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है जिसे सबको बजाना चाहिए. कोई भी इसको प्ले कर सकता है. मुझे लगता है कि किसी को भी कोविड नहीं हुआ, जो ये इंस्ट्रूमेंट बजाता रहा है, क्योंकि ये आपके फेफड़ों को खुला रखता है. जब आप इसको प्रैक्टिस करते हैं तो एक अलग खुशी का अहसास होता है. मेरे साथ तो ऐसा है.
म्यूजिक आपके लिए क्या है?
मेरे लिए म्यूजिक खाने की तरह है,. जिस तरह आपके सोल को खाना चाहिए होता है, ऐसे ही मुझे फ्लूट बजाना अच्छा लगता है. मैं सुबह 5-6-7 के करीब फ्लूट (बांसुरी) बजाने की प्रैक्टिस करता हूं. मुझे बहुत अच्छा लगता है फ्लूट बजाना.
पहली बात ये कि म्यूजिक एक ऐसी चीज है जिसकी हर जगह तारीफ होती है. म्यूजिक आयुर्वेद, योग, मेडिटेशन हर चीज के लिए बन चुका है. हर इंसान के लिए ये काफी कनेक्टेड है. मैंने देखा है कि क्लासिकल म्यूजिक को लोग पसंद करते हैं फिर चाहे उनको समझ आए या नहीं. 7 नोट्स, 7 चक्र, आपको नहीं पता किसी व्यक्ति को म्यूजिक किस तरह टच कर रहा है. कितने लोग म्यूजिक सुनकर इमोशनल हो जाते हैं.
काफी यंग टैलेंट है जो आगे आ रहा है म्यूजिक में. और ये बहुत अच्छी बात है. हमें ये ग्रैमी अवॉर्ड इसलिए मिला, क्योंकि हमने कोलैबोरेट किया था. इतना अच्छा टैलेंट सामने आ रहा है, बहुत अच्छी चीज है.
मुझे अपने गुरु से सिर्फ एक मंत्र मिला वो है प्रैक्टिस. इससे आपकी डेडिकेशन का पता लगता है. म्यूजिक आसान नहीं, लेकिन जब आप करने लगते हैं, रोज प्रैक्टिस करते हैं तो इसमें माहिर हो जाते हैं. हम लोगों के लिए म्यूजिक प्ले करना वो भी 2 घंटे के लिए बहुत आसान होता है, लेकिन 2 मिनट बोलना मुश्किल हो जाता है. ये बोलते हुए राकेश चौरसिया ने साइन ऑफ किया.