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खत्म हो रही बोल्ड सीन्स से अभिनेत्रियों की हिचकिचाहट और डर, क्योंकि सेट पर आए इंटीमेट को-ऑर्डिनेटर!

बॉलीवुड इंडस्ट्री में इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर एक नया टर्म जुड़ चुका है. फिल्म मेकिंग के दौरान कौन होते हैं ये इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर और कैसे चलता है इनका काम, खुद बता रहे हैं.

इंटीमेट सीन इंटीमेट सीन
नेहा वर्मा
  • मुंबई,
  • 01 जून 2023,
  • अपडेटेड 3:58 PM IST

कई बॉलीवुड एक्ट्रेस ने अपने इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया है कि इंटीमेट सीन या किसिंग सीन्स करने के दौरान उन्हें कई तरह के मेंटल ट्रॉमा से गुजरना पड़ा था. एक ओर जहां सेट पर केवल मेल डॉमिनेट क्रू होने की वजह से उन्हें इस तरह के बोल्ड सीन्स में असहजता होती थी, तो दूसरी तरफ कई बार को-ऐक्टर्स इसका फायदा उठाकर अपनी लाइन क्रॉस कर जाते थे. कई एक्ट्रेसेज तो इसी वजह से इस तरह के सीन्स करने से हिचकती हैं. हालांकि पिछले कुछ समय से पश्चिम की तरह भारत में भी इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर का ट्रेंड जोर पकड़ रहा है. दो कैरेक्टर्स के बीच गार्ड की तरह काम करते ये इंटीमेट को-ऑर्डिनेटर्स उनकी असहजता और हिचक को खत्म करते हैं. 

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हालांकि अब भी बॉलीवुड इंडस्ट्री के कई लोगों के लिए इंटीमेट को-ऑर्डिनेटर शब्द नया है. इंटीमेट को-ऑर्डिनेटर टर्म दीपिका पादुकोण की फिल्म गहराइयां के दौरान काफी चर्चा में आया था. फिल्म में दीपिका के बोल्ड अवतार के पीछे इन्हीं कुछ टेक्निकल लोगों का हाथ था. धीरे-धीरे हर सेट पर इन्हें हायर करने का प्रचलन शुरू हुआ है. आइए जानते हैं क्या होते हैं इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर और किस तरह करते हैं ये अपना काम. 


कौन होते हैं इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर

इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर फिल्म यूनिट का एक हिस्सा होते हैं, जो मूल रूप से एक्टर, परफॉर्मर, डायरेक्टर और प्रोडयूसर के बीच की बातचीत क्लियर करवाते हैं. वो सुनिश्चित करते हैं कि फिल्म में अगर कोई इंटीमेट या सेंसेटिव सीन है, तो वो एक निश्चित तौर-तरीके और नियम-कायदों में रहकर शूट किया जाए. इसका सबसे बड़ा रूल ये है कि एक्टर्स की हां या ना को हमेशा दिमाग में रखा जाए. जो भी सीन वो शूट करने वाले हैं उसमें एक्टर का कंफर्ट लेवल और रजामंदी सबसे जरूरी होता है.

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गहराइयां से हुई है इस ट्रेंड की शुरूआत
इंटीमेट कोऑर्डिनेटर आस्था कहती हैं कि भारत में सबसे पहले मस्तराम नाम का एक शो आया था, जिसके लिए एक इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर को कनाडा से बुलाया गया था. वो पहली बार था, जब किसी प्रॉडक्शन हाउस ने इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर को अड्रेस करते हुए उसे क्रेडिट दिया था. वैसे बॉलीवुड में पहली बार इस ट्रेंड की शुरुआत फिल्म गहराइयां से हुई.

हालांकि उससे पहले भी कई बार छोटे-छोटे प्लेटफार्म पर इंटमेसी कोऑर्डिनेटर हायर किए गए थे. लेकिन दीपिका पादुकोण की फिल्म गहराइयां के बाद यह टर्म लाइमलाइट में आया. आस्था बताती हैं कि उससे पहले फेम गेम नाम का एक नेटफ्लिक्स शो था, जिसमें उन्होंने ही बतौर इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर काम किया था. कोबाल्ट ब्लू एक फिल्म थी जिसमें इंटमेसी कोऑर्डिनेटर का इस्तेमाल किया गया था.

 

इंटीमेसी को-ऑर्डिनेशन हॉलीवुड में आम है. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में इसे शुरू करने में क्या दिक्कत आईं, इसके जवाब में आस्था कहती हैं, दिक्कतें तो बहुत आईं, लेकिन मुझे इन दिक्कतों का अंदाजा था. मैं यह बखूबी जानती थी कि ये रास्ता आसान नहीं होगा. जैसे एक उदाहरण दूं, तो कई बार हमें फिल्म सेट पर बुला लिया जाता था कि चले आओ, काम करो लेकिन उन्हें इस बात की समझ नहीं थी कि ये काम क्या है? उन्हें ये समझ नहीं आता था कि हम इतने पैसे क्यों मांगते हैं, तो वो पैसे देने को राजी नहीं होते थे. हमें डायरेक्टर व एक्टर के कहने पर सेट पर बुलाया गया लेकिन हमारे बजट को कभी बैलेंस शीट पर नहीं डाला गया. हमें देने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते थे. फिर मैंने इस काम के लिए एक फिक्स रेट डाल दिया और मुझे लगता है ऐसा करने से हमें थोड़ा सा फायदा हुआ. दरअसल दिक्कत इस बात की थी कि बहुत सारे लोगों को इस काम के बारे में पता नहीं है. लोगों को इस काम की ना तो कोई समझ है, और ना ही उन्हें पता है कि ये होता क्या है. यही कारण है कि उन्हें लगता है कि इसकी जरूरत नहीं है और वो इस काम की इज्जत नहीं कर पाते. बहुत सारे लोग हैं इंडस्ट्री में जिन्होंने अभी तक एक्सप्लोर भी नहीं किया कि इंटमेसी कोऑर्डिनेटर को अगर सेट पर लेकर आएंगे तो उनका काम क्या होगा.

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लेस्बियन वाला इंटीमेट सीन हो गया था ऑकवर्ड
आस्था एक किस्सा बताती हैं, एक बार मैंने एक लेस्बियन किसिंग और मेकआउट शो किया था. इस शो में दोनों एक्टर्स स्ट्रेट थे, जाहिर सी बात है, वो एक दूसरे के साथ बहुत असहज हो रहे थे. आमतौर पर इसी कारण से हमारी कोशिश होती है कि जब हम किसी कम्युनिटी को रि-प्रेजेंट कर रहे हैं, तो हम उन्हीं लोगों को कास्ट करें, पर कई बार ऐसा हो नहीं पाता है. स्ट्रेट एक्टर्स के सामने जब इस तरह की सिचुएशन आती है, तो असहजता साफ नजर आती है. हमने उस वक्त उन दोनों से कुछ एक्सरसाइज करवाईं, काफी बातचीत भी की, जिससे वे दोनों दोस्त बन गए. जब वे आपस में एक दूसरे पर ट्रस्ट करने लगे, तो फिर वो ज्यादा कंफर्टेबल हो गए. हालांकि उस दिन सेट पर भी बाकी लोग थोड़े से ऑकवर्ड थे, सभी नर्वस हो रहे थे, पर फिर उस पावर डायनैमिक को रोक कर मैंने उस एक्टर को कहा कि आओ लीड लो और सामने वाले को इनवाइट करो और उसे कंफर्टेबल फील कराओ. फिर थोड़ी सी बातचीत करके, छोटी से छोटी चीज को ब्लॉक करके हमने वो सीन शूट किया.

 

गहराइयां और फेम गेम से हुई करियर की शुरुआत
आस्था बताती हैं कि नेटफ्लिक्स के शो फेम गेम से मैंने बतौर इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर अपने पहले प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. मैं दो एक्टर्स के साथ काम कर रही थी दानिश सूद और लक्षवीर शरन. फिर मैंने एक और सीन किया था जिसमें मैंने मुस्कान जाफरी की साथ काम किया था. हमें इतना मजा आया वो सीन करके और इतनी सहजता से वो सीन शूट हो गया कि हम तीनों आज अच्छे दोस्त बन चुके हैं. हुआ ये था कि दोनों लड़कों को एक दूसरे को किस करना था उस सीन के लिए. दोनों काफी यंग हैं और काफी ज्यादा नर्वस थे. सीन के पहले दोनों ने अपना सारा ट्रस्ट मुझे सौंप दिया. मैंने पूरा वर्कशॉप करने के बाद उस सीन को कोरियोग्राफ कर एक्टर्स को समझाया. आज देखें, तो वो सीन स्क्रीन पर बहुत ही खूबसूरत लगता है. उसी समय गहराइयां की भी शूट चल रही थी, जहां मैं बतौर DAB हायर की गई थी. अपनी शुरुआत के प्रोजेक्ट में मैं दोनों ही फिल्मों के बीच भागदौड़ कर रही थी. गहराइयां के लिए हर दिन सेट पर रहना पड़ता था. छोटी मोटी दिक्कतें आईं पर ओवरऑल बहुत मजा आया.

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क्लास के सेट पर सेक्स पुलिस बुलाते थे
आस्था अपने काम के दौरान का मजेदार किस्सा सुनाती हैं. वे हालिया रिलीज सीरीज क्लास की भी इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर है. इसमें काफी ज्यादा इंटीमेट सीन्स हैं. एक सीन है जिसमें बल्ली नहा रहा है और सरन उसको नहाते हुए देख रहा है. आस्था बताती हैं वो सीन जब हम शूट कर रहे थे तब मैने कुछ टूल किट्स निकाले थे ताकी हम जो कैमरे पर दिखा रहे हैं वो ऑथेंटिक नजर आए. फिल्म के डायरेक्टर असीम ने मुझसे कहा था कि हम एक्टर्स को बिना मतलब के कन्फ्यूज नहीं करेंगे. तो किस्सा ये है कि हम एक सीन क्लोज करने की कोशिश कर रहे थे. तभी मैं वहां मौजूद लोगों पर चिल्लाने लगी कि बाहर चले जाइए अब बस हो गया. तो असीम ने पीछे से चिल्ला कर कहा कि चलो-चलो सेक्स पुलिस ने बोला है कि अब निकल जाना है. फिर बाकी के पूरे शूट पर मेरा नाम सेक्स पुलिस हो गया मुझे ये बहुत फनी लगा था. मैंने ये असीम से कहा था कि जब आप इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर हायर करते हो, तो ऐसा नहीं होता है कि आपने जो लिखा या सोचा है वो कमजोर हो जाता है बल्कि आपने जो पेपर पर लिखा है वो और बेहतर होता है. वो इसलिए होता है क्योंकि एक्टर को पता है कि क्या सीन शूट करना है. अगर आप उन्हें एक सेफ माहौल देंगे और एक्टर आपको ट्रस्ट करते हैं तो ऐसे में वो लोग बेहतर परफॉर्म करेंगे और वो भी क्रिएटिवली आकर कहेंगे कि चल इसको ऐसे करते हैं.

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एक्टर्स में ट्रस्ट लाने के लिए इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर का सीन के बारे में क्लियर बातचीत करना कि उनसे क्या उम्मीद की जा रही है ये बहुत जरूरी है. असीम की वजह से मुझपर सेक्स पुलिस वाला जो टैग लगा था वो आज तक भूली नहीं हूं मैं. जब क्लास के फिल्म सेट के बारे में सोचती हूं तो सब अच्छी यादें ही हैं. वो एक ऐसा फिल्म सेट था जिसपर काम करके हमें इतना मजा आया और इतना कुछ करने को मिला.

आस्था कहती हैं कि बॉलीवुड आज इस ट्रेंड को स्वीकार चुका है. वैसे ये एक ट्रेंड नहीं है क्योंकि ट्रेंड आते हैं और फिर चले जाते हैं. आप इसको एक पूरा का पूरा जॉब रोल या एक इंडस्ट्री बोल सकते हैं. मैंने हिंदी के साथ साथ तेलुगू, तमिल और बंगाली फिल्म इंडस्ट्री में भी काम किया है. काम चाहे छोटे प्रोजेक्ट्स के लिए रहे हों या बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए हर जगह हमें बहुत ज्यादा सम्मान और इज्जत मिली और खुली बांहों से लोगों ने हमारा स्वागत किया. जिन लोगों को हमारे काम के बारे में पता है वो प्रोत्साहन करते हैं. हमारी दिक्कत सिर्फ वहां आती है जहां लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं है. जहां लोगों को पता नहीं है वहां अपने काम के बारे में बताने का अवसर नहीं मिलता है. अब हम भी धीरे-धीरे इस इंडस्ट्री का अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं.

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मेरा यही लक्ष्य है कि हर सेट जहां इंटीमेसी का कोई सीन शूट हो रहा है, वहां एक इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर को हायर किया जाए. जैसे आज के दिन में ये जरूरी है कि अगर आप कोई एक्शन सीन कर रहे हों तो एक एक्शन डायरेक्टर को हायर करना रूल है. तो मैं चाहती हूं इंटमेसी कोऑर्डिनेटर भी इसी तरह से एक जरुरी रूल बन जाए. एक्शन डायरेक्टर को इसलिए हायर किया जाता है ताकि सेफ्टी प्रोटोकॉल्स मेनटेन किया जा सकें और किसी को चोट ना लगे पर हमें ये भी सोचना चाहिए कि मानसिक चोट सालों तक रहती है. हमने me too मूवमेंट में ये देखा है कि लोगों ने सालों बाद आकर ये बोला कि उनके साथ क्या हुआ था. इस कारण से मुझे लगता है कि सारे फिल्म सेट्स पर एक इंटमेसी कोऑर्डिनेटर हो.

कैसे काम करते हैं इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर
आस्था बताती हैं कि आमतौर पर एक प्रोजेक्ट के लिए एक इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर होता है जो की HOD है. उसके साथ में एक असिस्टेंट या कई बार दो असिस्टेंट होते हैं लेकिन ये काम कर निर्भर करता है कि कितना काम है. शूटिंग का प्रोसेस काफी सिंपल होता है. हम आमतौर पर जब शूट करते हैं तो हम पहले तो एक्टर्स से बातें कर लेते हैं जिससे उनकी सीमाओं और सहमति हमको समझ आ जाती है. हम डायरेक्टर से बात करते हैं तो हमें समझ आ जाता है कि वो क्या चाहता है. फिर हम कोरियोग्राफी करते हैं और फिर एक्टर्स के साथ उसकी रिहर्सल करते हैं. फिर हम उनके साथ में वर्कशॉप करते हैं. हम कॉस्टयूम और पॉप्स के साथ में कोऑर्डिनेट करते हैं कि हमें सीन के लिए क्या चाहिए होगा. उसके बाद हम शूट पर आ जाते हैं और शूट पर हम एक क्लोज सेट रखते हैं. उस क्लोज सेट पर 5-8 लोग ही हो सकते हैं उससे ज्यादा नहीं ताकि माहौल सेफ हो. फिर हम कैमरे के साथ रिहर्सल करते हैं जिसे ड्राई रिहर्सल बोला जाता हैं. जैसे डांस कोरियोग्राफी में रिहर्सल होता है वैसे ही यहां भी होता है. शूट करने के बाद हम एक क्लोजअप प्रैक्टिस करते हैं. क्लोजअप प्रैक्टिस मतलब एक्टर्स को अगर जरूरत पड़े तो उनके लिए समय निकालना होता है. जब सम्मान के साथ पूरा सीन शूट हो जाता है तो एक्टर्स एक-दूसरे को थैंक्यू बोलते हैं और उसके बाद फिर सेट खोल दिया जाता है.

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दस साल बाद इंटीमेट सीन्स के लिए हुई राजी- अनुरिता झा
अनुरिता झा ने गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म में एक छोटे से रोल से अपना एक्टिंग डेब्यू किया था. अनुरिता लंबे समय से इंडस्ट्री में हैं लेकिन अनुरिता कभी स्क्रीन पर किसिंग इंटीमेट सीन्स को लेकर सहज नहीं थीं. अनुरिता बताती हैं, मैंने कई बड़े प्रोजेक्ट बस इसी बात पर रिजेक्ट किए क्योंकि उसमें भर-भरकर इंटीमेट सीन्स होते थे. कई बार तो ऐसा लगता था कि जबरदस्ती ठूंसे गए है. इंडस्ट्री में मुझे लगभग दस साल होने को हैं, मैं एक साल पहले ही इस तरह के बोल्ड रोल्स के लिए हामी भर पाई हूं लेकिन यहां भी मेरी यही शर्त है कि डायरेक्टर सुंदरता से उसे पर्दे पर दिखा पाए.

यही वजह है कि प्रकाश झा सर की आश्रम के बोल्ड सीन्स के लिए मैं राजी हुई थी. मैंने हाल ही में एक और फिल्म की शूटिंग पूरी की है, जो थोड़ी सेंसुअल है लेकिन यहां कहानी ही कुछ ऐसी बुनी गई है. हालांकि मैं थोड़ी नर्वस भी थी लेकिन डायरेक्टर ने मुझे भरोसा देते हुए कहा था कि आप टेंशन न लें, सेट पर इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर होंगे. शूटिंग करते वक्त मैं आस्था और नेहा के रूप में इंटीमेट को-ऑर्डिनेटर से मिली. कॉन्सेप्ट थोड़ा नया है, आश्रम में सीन्स थोड़े कम थे, वहां एक्सपर्ट डायरेक्टर प्रकाश झा थे. ऐसे डायरेक्टर पर आपका ट्रस्ट पहले ही बना होता है. आपको यकीन है कि वे चीजों को फूहड़ता नहीं बल्कि कलात्मक रूप में प्रेजेंट करेंगे. तो आप मानसिक रूप से इसके लिए तैयार होते हो. दिक्कत तब आती है, जब एक नए डायरेक्टर के साथ काम करना हो. आपको डर होता है कि कहीं खूबसूरत कहानी सेंसुअल और सेक्सुअल की पतली सी लाइन के बीच उलझ कर न रह जाए, अगर इस सेंसेटिव मामले में कोई टेक्निकल डिपार्टमेंट आ जाए, तो चीजें आसान हो जाती हैं.

उन्होंने इंटीमेट सीन्स को बिलकुल कोरियोग्राफ के रूप में तैयार कर दिया. जैसे गाना या एक्शन को कोरियोग्राफ किया जाता है, ठीक वैसे ही इंटीमेट सीन्स भी आपको उनके द्वारा कोरियोग्राफ कर दिए जाते हैं. यह पूरी तरह से टेक्निकली शॉट किया जाता है. आप बिना डिफरेंस आसानी से पता लगा पाते हैं. जब भी आप इंटीमेसी सीन्स के दौरान फंस जाते हो, तो कोई है, आपको प्रैक्टिकली उन चीजों को सहजता से समझा जा जाता है. यह कॉन्सेप्ट वाकई में हम एक्ट्रेसेज के लिए बेहतरीन है. पहले, तो वर्कशॉप किया जाता है, वो आपकी मनोस्थिती को समझने की कोशिश करते हैं. पहले जब वो सिखा रहे थे, तो हंसी भी आती थी कि क्या ये सब भी सीखना पड़ेगा. लेकिन यह वाकई में हमारे लिए बहुत अच्छा है. मैंने कई बार सुना है कि एक्ट्रेसेज इस तरह के सीन्स के दौरान ट्रॉमा से गुजरती हैं. कई बार एक्टर्स ने सामने वाली का फायदा उठाया है लेकिन यहां को-ऑर्डिनेटर आपके लिए स्टैंड लेते हैं, वो आपकी भावना, असहजता को समझ लेते हैं.

क्या कोर्स कर बन सकते हैं इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर 
आस्था बताती हैं, इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर बनने के लिए हमें एक रिग्रेस ट्रेनिंग प्रॉसेस के थ्रू जाना पड़ता है. इसमें 6 महीने का कोर्स अवेलेबल है. हर इंस्टीट्यूशन के कोर्स का टाइम पीरियड अलग है. इंडिया में एक ही छ महीने का कोर्स अवेलेबल है, जिसे मेरी कंपनी द इंटीमेसी लैब ट्रेनिंग देती है. हम हर साल को-हॉट लेते हैं. हमने ऑलरेडी 7 स्टूडेंट्स को पिछले साल इस को-हॉट के जरिए सर्टिफाई किया है. मैंने जब ट्रेनिंग ली थी, तो लंदन बेस्ड ऑर्गनाइजेशन IPA(इंटीमेसी प्रफेशनल असोसिएशन) मैंने इंडिया में भी इन्हीं की असोसिएशन कर अपना लैब खोला है. अगर वो हमारे लैब से अपना कोर्स करते हैं, तो उन्हें IPA और हमारे लैब का भी सर्टिफिकेट साथ मिलता है.

आस्था के अनुसार, इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर बनने के लिए आपको एक कोर्स करना पड़ता है. इसे बिना किए आपको इस आर्ट की समझ नहीं आएगी. इसके बिना आप इंटीमेसी को-ऑर्डिनेटर बन ही नहीं सकते हैं. कोर्स में बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक्स हैं, जिसे कवर करने पड़ते हैं ताकि वो काम सेट पर आसानी से हो सके. मसलन ट्रॉमा इंफोर्म केयर, जेंडर और सेक्सुअलिटी के बीच की अंडरस्टैंडिंग, इंटीमेसी प्रॉसेस की समझ, फिल्ममेकिंग के दौरान होने वाली समझ, वैसे कई और टॉपिक्स हैं, जो इस कोर्स का हिस्सा होते हैं. अगर कोई इसमें फ्यूचर देखता है, तो उसकी समझ इन सारे टॉपिक्स में होना जरूरी है. कोर्स करने के बाद ही आपको सर्टिफाई किया जाता है और आपको इसमें जॉब मिलने में आसानी होती है.

इनकम स्कोप पर आस्था बताती हैं, बहुत स्कोप है, जिस तरह इस इंडस्ट्री के दूसरे विभाग कॉस्ट्यूम डिजाइनर, स्टाइलिश जैसी फील्ड में पैसे कमाने के चांसेस हैं, तो इस तरह के कोर्स कर आप भी आराम से अपना इनकम सिक्यॉर कर सकते हैं. जितना ज्यादा ये काम बढ़ेगा और लोग हमारे काम की अहमियत देंगे, उतना मार्केट बड़ा होगा. हम तो अभी ग्रोइंग स्टेज पर हैं लेकिन फ्यूचर इसका बेशक ब्राइट है.

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