
RRR अब सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर बेहद कामयाब फिल्म नहीं रही, बल्कि दुनिया भर में भारत की एक और नई पहचान बन गई है. भारतीय सिनेमा के जीनियस डायरेक्टर एसएस राजामौली की इस फिल्म ने पिछले कुछ महीनों में दुनिया भर की ऑडियंस, फिल्म क्रिटिक्स और सिनेमा लवर्स का दिल जीता है. ऑस्कर में 'इंटरनेशनल फीचर फिल्म' की कैटेगरी में भारत की तरफ से RRR को नहीं चुना गया. लेकिन RRR के मेकर्स ने इंटरनेशनल तारीफ को देखते हुए, अपनी फिल्म के लिए खुद ऑस्कर कैम्पेन शुरू किया.
अब ऑस्कर्स की सेरेमनी को बस दो दिन बचे हैं और RRR का गाना 'नाटू नाटू' इन अवार्ड्स की 'ऑरिजिनल सॉन्ग' कैटेगरी में टॉप 5 में है. एमएम कीरावानी का कम्पोज किया हुआ और चंद्रबोस का लिखा 'नाटू नाटू', अपनी कैटेगरी में ऑस्कर जीतने का एक मजबूत दावेदार है. दुनिया के सबसे बड़े सिनेमा अवार्ड्स में इस गाने का जीतना सिर्फ भारत के लिए एक ऑस्कर ट्रॉफी ही नहीं लेकर आएगा. 'नाटू नाटू' को अगर आप डिटेल में देखें, तो इस गाने में हर वो फीलिंग, हर वो धागा है जिसे 'भारतीयता' से जोड़कर देखा जाता है. आइए बताते हैं कैसे...
सिचुएशन और इतिहास
ब्रिटिश राज में भारत की जनता ने जो कुछ झेला उसकी गवाही देने के लिए तो पूरा इतिहास मौजूद है. RRR में 'नाटू नाटू' शुरू होने से ठीक पहले की सिचुएशन देखिए. भीम (जूनियर एनटीआर) और राम (राम चरण), जेनी (ऑलिविया मॉरिस) के इनविटेशन पर ब्रिटिश छावनी में पार्टी अटेंड करने पहुंचे हैं. आदिवासी इलाके से आने वाला भीम, अंग्रेजों का डांस तो नहीं समझता लेकिन म्यूजिक की बीट्स पर उसके पांव थिरकने लगते हैं. जेनी उसे डांस सिखा रही है. उसका ब्रिटिश साथी जेक, धोखा करते हुए टांग अड़ा कर भीम को गिरा देता है और 'देसी गंवार अनपढ़' कहकर उसे भरी महफिल में जलील कर रहा है.
चमड़ी के रंग से लेकर रहन-सहन के तरीकों तक को नीचा दिखा रहा जेक सारी हदें पार करता जा रहा है. ये सीन देखकर अंग्रेजों की इस पार्टी में वेटर बने दो हिंदुस्तानी लगने वाले आदमी भी सर झुकाए खड़े हैं. और पार्टी के म्यूजिक ऑर्केस्ट्रा में ड्रम्स बजा रहा एक अश्वेत आदमी बहुत शर्मिन्दा हो रहा है. इतिहास में दर्ज है कि ब्रिटिश शासन के कोलोनियल एजेंडा ने सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं, अफ्रीका के देशों को भी चपेट में लिया था.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम से अफ्रीकी देशों ने भी खूब प्रेरणा ली और कोलोनियल शासन से लड़े. 'नाटू नाटू' के पूरे सीक्वेंस में ड्रम्स बजाने वाला अश्वेत व्यक्ति इसी का एक रेफरेंस है. वो ताल दे रहा है और दोनों भारतीय हीरो ताबड़तोड़ डांस कर रहे हैं. यहां से 'नाटू नाटू' सिर्फ एक गाना नहीं बचता, एक युद्ध बन जाता है. बस इसमें तलवार-गोलियां नहीं, डांस कॉम्पिटिशन चल रहा है.
यहां 'नाटू नाटू' का असर कुछ उस तरह का हो जाता है जैसा मनोज कुमार के गाने 'है प्रीत जहां की रीत सदा' में था. 'नाटू नाटू' सिर्फ एक गाना नहीं एक पूरा सीक्वेंस है जिसे डायरेक्टर एसएस राजामौली ने अपने ट्रेडमार्क परफेक्शन से तैयार किया है.
म्यूजिक
मोहल्ले में किसी अनजाने आदमी की बारात गुजरती है, और ढोल की आवाज पर लोग घर में बैठे थिरकने लगते हैं. इंडिया में लोग ढोल, ढोलक, तबला किसी भी थाप वाले इंस्ट्रूमेंट यानी ड्रम्स की साउंड के दीवाने होते हैं. RRR में म्यूजिक देने वाले एम एम कीरावानी ने 'नाटू नाटू' में ड्रम्स जिस तरह इस्तेमाल किए हैं, वो अद्भुत है. हिन्दुस्तानी जनता का ड्रम्स के लिए प्यार 'नाटू नाटू' में खुलकर सुनाई देता है.
डांस और एग्रेशन
हाल ही में एक इंटरनेशनल चैनल से बातचीत में राजामौली ने बताया कि 'नाटू नाटू' के हुक-स्टेप के लिए कोरियोग्राफर प्रेम रक्षित ने करीब 100 अलग-अलग डांस वेरिएशन तैयार किए थे. जिसमें से 4-5 डांस स्टेप गाने में यूज हुए. 'नाटू नाटू' में एक हुक स्टेप नहीं है, कई स्टेप्स का कॉम्बिनेशन है. लेकिन इन सभी में एक बात कॉमन है. सारे डांस स्टेप बहुत देसी हैं. ये हाथ-पैर समेट के, कोहनी को धड़ के करीब रखकर स्मूथ फ्लो के साथ मूव करने वाले तथाकथित 'एलिगेंट' मूवमेंट नहीं हैं.
'नाटू नाटू' के डांस मूव्स को देसी भाषा में 'हाथ-पैर फेंक के नाचना' कहा जाएगा. गाने में राम चरण और जूनियर एनटीआर का बॉडी मूवमेंट, डांस की कला दिखाने के लिए नहीं है. यहां डांस एक एक्सप्रेशन बन गया है. दबे हुए गुस्से और एग्रेशन का एक्सप्रेशन. जनता को बांध के रखने वाली सत्ता के सामने, डांस मूवमेंट के बंधन तोड़कर नाचने का एक्सप्रेशन.
गाने के लिरिक्स
'नाटू नाटू' का म्यूजिक जितना कदम थिरकाने वाला है, इसके लिरिक्स उतने ही देसी हैं. हिंदी में RRR देखने वालों को याद होगा कि ये गाना 'बैल जैसे धूल उड़ा के, सींग उठा के' नाचने की बात करता है. रिया मुखर्जी को इस बात का पूरा क्रेडिट मिलना चाहिए कि उन्होंने तेलुगू गाने के लिरिक्स को, पूरी फीलिंग बनाए रखते हुए हिंदी के 'नाचो नाचो' में उतारा है. चंद्रबोस की कलम से निकले ऑरिजिनल 'नाटू नाटू' के लिरिक्स और भी ज्यादा भारतीय मिट्टी से जुड़े हुए लगते हैं.
'बरगद के पेड़ के नीचे जुटे लड़कों' और 'मिर्च के साथ ज्वार की रोटी' खाकर होने वाली फीलिंग के साथ नाचना एक बेहद देसी कॉन्टेक्स्ट है. 'हरी मिर्च' और 'खंजर' की बात करता 'नाटू नाटू', पूरे एग्रेशन के साथ नाचने को तो कहता ही है. साथ ही, गाने के लिरिक्स के साथ जो छवियां दिमाग में बनती हैं वो जमीन से जुड़े, देहात से आने वाले भारतीय को भी उसकी जड़ों की याद दिलाती हैं.
फिल्मी पहचान पर सवाल का परफेक्ट जवाब
नाचना और गाना हमेशा से भारतीय संस्कृति का एक अटूट हिस्सा रहा है. शहरों से लेकर, आदिवासी इलाकों तक में तमाम तरह के डांस परम्पराओं का हिस्सा रहे हैं. हमारे कल्चर से निकली ये चीज हमारी फिल्मों में भी उतरी और आज चाहे कोई भी फिल्म इंडस्ट्री हो, भारतीय फिल्मों को बिना डांस के सोच पाना भी मुश्किल है.
मगर बहुत सालों से विदेशों में, भारतीय फिल्मों में दिखने वाले नाच-गाने का मजाक बनता रहा है. विदेशी जनता में ये परसेप्शन रहा है कि इंडियन फिल्मों में सिर्फ नाच-गाना होता है और कुछ नहीं. ऑस्कर को दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित फिल्म अवार्ड कहा जाता है. 'नाटू नाटू' अगर ऑस्कर में 'बेस्ट ऑरिजिनल सॉन्ग' का अवार्ड जीतता है तो ये इंडियन सिनेमा के लिए ये बहुत जोरदार मोमेंट होगा. ये उस सवाल का जवाब होगा जो इंडियन फिल्मों में डांस को लेकर अक्सर उठाया जाता रहा है.
'नाटू नाटू' अगर ऑस्कर जीतता है तो तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी एक बहुत बड़ी बात होगी. पिछले कई सालों तक दुनिया भर में इंडियन सिनेमा के नाम पर बॉलीवुड या हिंदी फिल्मों को ही पहचान मिलती रही है. RRR को मिली ग्लोबल पॉपुलैरिटी ने दुनिया में ये फैक्ट भी लोगों तक पहुंचाया कि भारत में सिर्फ एक ही फिल्म इंडस्ट्री नहीं है. हमारे देश में कई भाषाओं में सिनेमा फिल्में बनती हैं और सभी जगह से एक से बढ़कर एक दमदार फिल्में निकलती हैं. इंडिया में 13 मार्च को सुबह 5 बजकर 30 मिनट से ऑस्कर सेरेमनी का टेलेकास्ट शुरू होगा. आप 'नाटू नाटू' को जीत की शुभकामनाएं देने के लिए तैयार हैं न!