
'गलियां' 'कौन तुझे' और 'तेरी मिट्टी' जैसे कई बेहतरीन गाने लिखने वाले मनोज मुंतशिर जनता में काफी पॉपुलर हैं. सोशल मीडिया पर लोग उन्हें खूब फॉलो करते हैं और उनकी लिखे-कहे से इम्प्रेस होते हैं. शनिवार को मनोज, लखनऊ में हुए साहित्य आजतक 2023 में मंच पर मौजूद थे. 'मां,मातृभूमि और मोहब्बत' सेशन में बात करते हुए मनोज ने मंच से ऐसी बातें कहीं कि जनता की तालियां लगातार जारी रहीं.
मनोज मुंतशिर की पत्नी नीलम मुंतशिर भी इस कार्यक्रम में मौजूद थीं और उन्होंने जनता को अपनी पत्नी से इंट्रोड्यूस भी करवाया. गौरी गंज, अमेठी से आने वाले मनोज ने सालों पहले लखनऊ छोड़ा था. साहित्य आजतक के मंच पर उन्होंने 'नवाबों के शहर' से अपने कनेक्शन पर भी बात की.
'हम लखनऊ के हैं, लखनऊ हमारा'
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में, साहित्य आजतक का हिस्सा बने मनोज से पूछा गया कि उन्हें इस शहर से कितना प्यार है? इस सवाल का जवाब मनोज ने अपने ट्रेडमार्क अंदाज में देते हुए कहा:
वो गीत गाती गोमती की लहरें भूल जाएं
कैसे अमीनाबाद की दोपहरें भूल जाए
शाम ए अवध सा सुर्ख है अब भी लहू हमारा
हम लखनऊ के हैं और लखनऊ हमारा
मां, मातृभूमि और मोहब्बत
मनोज अपने रोमांटिक गीतों में भी एक खास इंकलाबी तेवर रखते हैं. जब उनसे पूछा गया कि वो इंकलाब के कवि हैं या मुहब्बत के कवि? तो जवाब देते हुए मनोज ने कहा- मैं इंकलाबी मुहब्बत का कवि हूं. मनोज ने आगे कहा कि हर मोहब्बत में बेवफाई हो सकती है, सिवाय एक के- 'मां की मोहब्बत'. मनोज ने कहा कि 'माना बिना थर्मामीटर के बता देती है कि उसके बेटे को बुखार है'.
मातृभूमि से ओहाब्बत की बात करते हुए मनोज ने कहा कि 'कलियुग में राम होना बहुत कठिन है, जो इसे पार कर जाता है वो फौजी है.' उन्होंने यह भी कहा कि वो फिल्म में 'तेरी मिट्टी' गाना लिखने की फीस लेते हैं तो ये उनका काम है. लेकिन जब वो सैनिकों के लिए कुछ भी लिखते हैं तो उसके लिए कुछ नहीं चार्ज करते.
मनोज मुंतशिर ने स्टेज से अपने चाहनेवालों के लिए एक बहुत खास अनाउंसमेंट भी की. उन्होंने बताया कि उनकी दूसरी किताब इस साल 29 अप्रैल से अवेलेबल होगी और इस किताब का टाइटल है- 'मां, मातृभूमि और मोहब्बत.'