
16 जनवरी की रात सैफ अली खान पर हमला हुआ. पुलिस ने इस हाई प्रोफाइल केस के आरोपी को पकड़ने के लिए दिन रात एक किए. फिर 72 घंटे बाद आरोपी ठाणे से पकड़ा गया. उसका नाम मोहम्मद शरीफुल इस्लाम शहजाद बताया गया. जो कि बांग्लादेशी है. रविवार को उसे बांद्रा कोर्ट में पेश किया गया था. आरोपी को 5 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया है.
कोर्ट में लड़े दो वकील
जानकारी मिली है कोर्ट में आरोपी का केस लड़ने के लिए दो वकील आपस में भिड़ गए थे. वो धक्का-मुक्की तक करने लगे थे. मामले की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट को रेफरी की भूमिका निभानी पड़ी. उन्होंने दोनों वकीलों को एक टीम के रूप में पेश होने का सुझाव दिया.
रविवार दोपहर जब शरीफुल को कोर्ट में पेश किया गया, एक वकील ने आगे आकर दावा किया कि वो आरोपी का केस लड़ रहा है. लेकिन जैसे ही वो आरोपी का वकालतनामे पर हस्ताक्षर लेने गया, उससे पहले मामला ड्रामेटिक हो गया. दूसरे एक वकील ने आरोपी के बॉक्स में जाकर उससे वकालतनामे पर हस्ताक्षर ले लिया. इससे कोर्ट रूम में कंफ्यूजन क्रिएट हुआ कि आरोपी का केस आखिर कौन लड़ने वाला है.
मामले को संभालते हुए मजिस्ट्रेट ने सुझाव दिया कि दोनों ही वकील शरीफुल का केस लड़ सकते हैं. उन्होंने कहा- आप दोनों पेश हो सकते हैं. इस सुझाव पर दोनों वकील सहमत हो गए थे. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी शरीफुल को 5 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा. हालांकि पुलिस ने 14 दिन की रिमांड की अपील की थी.
कैसे पुलिस ने शरीफुल को पकड़ा?
शरीफुल को पकड़ने के लिए तीन चीजों ने अहम रोल प्ले किया. एक तो बांद्रा स्टेशन की सीसीटीवी फुटेज, दूसरा बाइक नबंर और तीसरा चेहरा पहचानने वाली तकनीक. दरअसल, पुलिस के हाथ 9 जनवरी का एक सीसीटीवी फुटेज लगा था जो कि बांद्रा रेलवे स्टेशन का था. उस दिन आरोपी एक बाइक पर दिखा था. पुलिस ने Facial recognition (चेहरा पहचानने वाली तकनीक) से आरोपी की पहचान का पता लगाया. फिर बाइक नंबर से बाइकर को पकड़ा. इसी बाइकर के जरिए पुलिस शराफुल तक पहुंची. आरोपी 1 जनवरी को भी बांद्रा स्टेशन पर दिखा था.
पुलिस पूछताछ में आरोपी ने अपना जुर्म कुबूल किया है. बताया कि वो नहीं जानता था सैफ के घर चोरी करने जा रहा है. चोरी के इरादे से वो घर में घुसा था. नई जानकारी में सामने आया है कि शरीफुल ज्यादा से ज्यादा पैसे लूटकर बांग्लादेश भागने की सोच रहा था. लेकिन अपने मंसूबों में वो कामयाब नहीं हो पाया. उसे अब सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा.