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सलमान खान के कट्टर फैंस को ही लुभाएगी 'सिकंदर', इंटरेस्टिंग प्लॉट के बेमजा ट्रीटमेंट से बिगड़ी भाई की ईदी

Sikandar Review: सलमान खान का अपना एक फैनडम है, जो फिल्म कैसी भी हो, पूरे शो में सीटियों-तालियों से माहौल बनाए रखता है. मगर फर्स्ट हाफ में 'सिकंदर' ने इन फैन्स को अपने बंधे हाथ खोलने का एक भी मौका नहीं दिया है. आखिर फिल्म में ऐसा क्या है? जानने के लिए पढ़ें फर्स्ट रिव्यू...

सलमान खान सलमान खान
सुबोध मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 30 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 3:31 PM IST

Sikandar First Review: 'सिकंदर' आ गया है...लंबे इंतजार के बाद सलमान खान ने ईद के मौके पर अपनी फिल्म रिलीज करके फैंस को बड़ी ईदी दे दी है. मगर सलमान खान की ईदी फैंस की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरी है? जानने के लिए यहां पढे़ं फिल्म का फर्स्ट रिव्यू...

कैसा है 'सिकंदर' का फर्स्ट हाफ?

सलमान खान का अपना एक फैनडम है, जो फिल्म कैसी भी हो, पूरे शो में सीटियो-तालियों से माहौल बनाए रखता है. मगर फर्स्ट हाफ में 'सिकंदर' ने इन फैन्स को अपने बंधे हाथ खोलने का एक भी मौका नहीं दिया है. किसी के हाथ उठे भी हैं तो माथा पकड़ने के लिए. 

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'सिकंदर' का पूरा फर्स्ट हाफ इतना बिखरा हुआ है कि शायद एडिटर भी ये समझ नहीं पाए कि कौन सा सीन, किस सीन से जुड़ना चाहिए. सलमान की सबसे औसत फिल्में भी 'सिकंदर' जितनी ऊबाऊ नहीं हैं, और ये अपने आप में बहुत कुछ कहता है. उनकी खराब फिल्मों में भी आप ये देख कर एंटरटेन हो सकते थे कि क्या अतिविचित्र आइडिया सोचा गया है. मगर 'सिकंदर' में ये भी नहीं है.

फर्स्ट हाफ में ये केवल एक खोखली फिल्म है, जिसमें सलमान अपने डायलॉग बुदबुदा रहे हैं-खुसफुसा रहे हैं और औसतन हर 8 मिनट बाद अपने ही पुराने स्वैग को दोहराने की कोशिश कर रहे हैं. दिक्कत ये है कि ऐसा करने में वो बार-बार नाकाम हो रहे हैं, जो कि दुखद है. 

'सिकंदर' के सेकंड हाफ को झेलना भी मुश्किल

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फर्स्ट हाफ में 'सिकंदर' का पूरा आइडिया-राइटिंग-प्रेजेंटेशन बुरी तरह बिखर चुका था. सेकंड हाफ पर फिल्म को बर्दाश्त करने लायक बनाने की भारी जिम्मेदारी थी. मगर 'सिकंदर' का सेकंड हाफ, फर्स्ट हाफ से भी ज्यादा गर्त में चला जाता है. फिल्म पूरी होने के बाद आप केवल मुंह बाए आश्चर्यचकित बैठे रह जाते हैं कि आपने आखिर ये देख क्या लिया. 

फर्स्ट हाफ देखते हुए लग रहा था कि 'सिकंदर' की राइटिंग आखिर कितनी बुरी है. मगर पूरी फिल्म खत्म होने के बाद समझ आता है कि इस फिल्म के लिए राइटिंग जैसी कोई कोशिश हुई ही नहीं. सत्यराज जैसे दमदार एक्टर, सलमान जैसे सुपरस्टार, गजनी-हॉलिडे के डायरेक्टर ए आर मुरुगदास और तमाम कास्ट-क्रू की शक्तियों का एक साथ गलत इस्तेमाल हुआ है. ये सोचना या खोजना अब इन लोगों का काम है कि ये किया किसने है. 

'सिकंदर' वो एक जॉब है जिसे लोग अपने सीवी में कभी मेंशन नहीं करना चाहते. ये वो फिल्म है जिसे देखने वाले दर्शक, 4 लोगों के बीच ये बताने से बचते हैं कि उन्होंने ये देखी है. लेकिन दिक्कत ये है कि सलमान के नाम भर से ही इसे कम से कम पहले दिन बहुत दर्शक मिल जाएंगे. मगर उसके बाद जो होगा वो सलमान जैसे जेनुइन सुपरस्टार को 30 साल से पर्दे पर देखते आ रहे किसी भी दर्शक के लिए निराशाजनक होगा. 'सिकंदर' वो फिल्म है जिसके बाद सलमान को ठहरकर सोचना चाहिए कि बॉलीवुड दर्शकों की एक पूरी नई पीढ़ी के सामने वो अपनी क्या विरासत छोड़ना चाहते हैं. 

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फाइनल रिव्यू, थोड़ी देर में...

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