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मां से किया वादा या एक्शन को भौकाली बनाने का इरादा... पुरानी फिल्मों से 'जवान' तक आते-आते इतनी बदल गई लोरी!

शाहरुख खान की फिल्म 'जवान' जनता को जमकर एंटरटेनमेंट का डोज दे रही है. इस एक्शन पैक फिल्म में, एक लोरी है जो जनता के इमोशंस खूब जगा रही है. बच्चों के लिए प्यार भरे लोरी गीत, कुछ समय से एक्शन फिल्मों में खूब नजर आ रहे हैं. क्या आपने ध्यान दिया है कि बच्चों की मासूमियत से जुड़ी लोरी, एक्शन फिल्मों में क्या कर रही है?

'जवान' में शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण 'जवान' में शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण
सुबोध मिश्रा
  • नई दिल्ली ,
  • 13 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:12 AM IST

शाहरुख खान की लेटेस्ट फिल्म 'जवान' थिएटर्स में जमकर माहौल जमा रही है. फिल्म की जिस एक चीज की सबसे ज्यादा चर्चा है, वो है शाहरुख का ताबड़तोड़ एक्शन और उनका एक नया भौकाली अवतार. 'जवान' में की कहानी में एक के बाद एक लगातार ऐसे मोमेंट्स की भरमार है, जो पर्दाफाड़ एंटरटेनमेंट के लिए थिएटर पहुंची जनता को जमकर मजेदार मोमेंट्स दे रहे हैं. 

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'जवान' देखकर लौट रही जनता एक तरफ तो शाहरुख के धुआंधार एक्शन से बहुत इम्प्रेस हैं. लेकिन दूसरी तरफ फिल्म का एक इमोशनल मोमेंट जनता को बहुत अपील कर रहा है. इस मोमेंट की खूबसूरती पर बात करने से पहले एक वार्निंग- आगे आपको 'जवान' की कहानी से कुछ तगड़े स्पॉइलर मिल सकते हैं... 

'जवान' का जन्माष्टमी कनेक्शन और लोरी
'जवान' में शाहरुख का डबल रोल है, ये बात अब लगभग सबको पता चल चुकी है. इनके बूढ़े किरदार का नाम विक्रम राठौर है और यंग वाले का नाम है आजाद. आजाद की कहानी में काफी ट्रेजेडी है. उसके पिता को ड्रग डीलर काली (विजय सेतुपति) ने आर्मी ऑफिसर विक्रम राठौर को अधमरी हालत में मरने के लिए छोड़ दिया है और उसका नाम खराब करने के लिए भ्रष्टाचार के केस में फंसा दिया है. 

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'जवान' में शाहरुख खान (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

इस सिचुएशन में फंसी विक्रम की पत्नी ऐश्वर्या, दो भ्रष्ट पुलिसवालों की हत्या कर देती है. इन हत्याओं के लिए उसे फांसी की सजा होती है. लेकिन फांसी होने से पहले पता चलता है कि ऐश्वर्या प्रेग्नेंट है. ऐश्वर्या की फांसी तबतक के लिए टल चुकी है, जबतक उसका बच्चा पांच साल का नहीं हो जाता. आजाद महिला जेल में ही जन्म लेता है और उसके 5 साल का होने के बाद, ऐश्वर्या को फांसी भी हो जाती है. इसके बाद आजाद को जेल की वार्डन कावेरी (रिद्धि डोगरा) पालती है.  

'जवान' में इस पूरे इमोशनल हिस्से को जिस गाने से हाईलाइट किया गया है, वो एक लोरी है. फिल्म में दीपिका ये लोरी गाती दिखती हैं, जिसका टाइटल फिल्म के एल्बम में 'आरारारी रारो' है. ये लोरी थिएटर्स में बहुत लोगों को इमोशनल भी कर रही है. इस लोरी में दीपिका अपने बेटे आजाद को 'कान्हा' बुलाती हैं.

'जन्माष्टमी' पर रिलीज हुई 'जवान' की कहानी में ये पूरी सिचुएशन, भगवान कृष्ण के बचपन की कहानी से बहुत मिलती है. जब उनका जन्म हुआ था तो उनकी माता देवकी और पिता वसुदेव, कंस के कारावास में थे. और जन्म के बाद उन्हें मां यशोदा ने पाला था.

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दीपिका की लोरी ने बनाया शाहरुख के एक्शन का माहौल 
'जवान' में शाहरुख के दोनों किरदार जबरदस्त एक्शन कर रहे हैं. आजाद अपने इस एग्रेशन भरे एक्शन से एक तरफ तो भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहता है, दूसरी तरफ अपनी मां का बदला लेना चाहता है. बड़े पर्दे पर दिखने वाला एक्शन, थिएटर में बैठी ऑडियंस के खून में बिजलियां दौड़ा देता है. ऐसा लगा है जैसे आपकी फीलिंग्स चार्ज हो गई हैं. लेकिन एक्शन भरे सिनेमेटिक मोमेंट्स का असली मजा तभी अच्छे से आता है, जब कहानी से दर्शक का इमोशनल कनेक्शन जुड़ जाए. बिना इमोशन के पर्दे पर लगातार चल रहा एक्शन भी थोड़ी देर में उबाऊ लगने लगता है. 

'जवान' में दीपिका पादुकोण (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

फिल्म का हीरो अपनी कहानी में जितना इमोशनली झिंझोड़ा हुआ होता है, उसे एक्शन करते देखने में ऑडियंस को उतना ही मजा आता है. हीरो पर हुए इमोशनल अत्याचार, पर्दे पर उसके विस्फोटक गुस्से की वजह देते हैं. 'जवान' की कहानी भी यही करती है. लोरी वाला पूरा सीक्वेंस आपको आजाद के बचपन के लिए खेद महसूस करवाता है. 

'जवान' में आई ये लोरी जब कहती है 'कैद में खिलने वाला फूल तू है शेरा... तू करेगा इक दिन दूर अंधेरा', तो आजाद की कहानी के लिए माहौल बहुत जोरदार बन जाता है. और ये कहना कि 'अपने या बेगाने सबका हो प्यारा तू... धरती का सूरज हो, हिम्मत का तारा हो तू...', इस बात को हाईलाइट करता है कि आजाद को सिर्फ अपने पेरेंट्स का बदला नहीं लेना, बल्कि उसे वो करना है जिसमें लोगों का खूब भला हो. इसलिए अगली बार जब वो अपना गुस्सा लिए सिस्टम को बदलने के लिए या काली से बदला लेने निकलता है, तो आप उसके फ्रस्ट्रेशन, उसके गुस्से से कनेक्ट महसूस कर पाते हैं. 

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फिल्मों में बदलता लोरी का रोल 
बचपन की मासूमियत, बेफिक्री और खिलवाड़ को लोरियां बड़े प्यार भरे अंदाज में पेश करती हैं. हिंदी फिल्मों ने 1950s से ही कई यादगार लोरियों को कहानी का हिस्सा बनाया और कहानी के इमोशन को बढ़ाने के लिए यूज किया. हिंदी सिनेमा में, 'जिंदगी' (1940) में लेजेंड के.एल. का गाया 'सो जा राजकुमारी... सो जा...' शुरुआती फिल्मी लोरियों में से एक है.

'अलबेला' (1951) में 'धीरे से आजा री अंखियन में' गाते हुए एक बहन अपने भाई को सुलाने की कोशिश कर रही है. 'दो बीघा जमीन' (1953) का 'आजा री आ... निंदिया तू आ...' लता मंगेशकर की आवाज में एक बहुत प्यारा गीत है. जादुई आवाज वाली गीता दत्त ने 'सुजाता' (1959) में 'नन्ही कली सोने चली' नाम की एक यादगार लोरी गई थी. ये सभी पॉपुलर गाने ट्रेडिशनल लोरी स्टाइल में हैं, जिन्हें गाते हुए माएं बच्चों को सुलाने की कोशिश करती हैं.  

'सुजाता' फिल्म का सीन (क्रेडिट: यूट्यूब)

थोड़ा आगे बढ़ने पर 'आराधना'(1969) में 'चंदा है तू,मेरा सूरज है तू' एक बहुत खूबसूरत लोरी थी. 'कुंवारा बाप' (1974) में रिक्शा चलाने वाले महमूद का, सड़क पर अनाथ मिले बच्चे के लिए 'आ री आ जा, निंदिया तू ले चल...' गाना एक बहुत इमोशनल सिचुएशन की फिल्मी लोरी थी. जबकि 'मुक्ति' (1977) में 'लल्ला लल्ला लोरी' बच्चे की शैतानी वाला फील लिए हुए था. ये शायद हिंदी फिल्मों की सबसे पॉपुलर लोरी कहा जा सकता है. 

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आने वाले सालों में हिंदी फिल्मों में लोरी वाले गीत कम होते चले गए. 80 के दशक में, 'मासूम'(1983) में गुलजार का लिखा 'लकड़ी की काठी' कई बार लोरी समझ लिया जाता है, लेकिन ये बच्चों के खेल का गाना ज्यादा था. इस दौर से ही कमल हासन 'सदमा' (1983) में, याददाश्त खोकर बच्ची बन चुकी श्रीदेवी को लोरी सुनाते याद आते हैं. 

'सदमा' में कमल हासन, श्रीदेवी (क्रेडिट: यूट्यूब)

येसुदास की आवाज से सजा 'सुरमई अंखियों में' गीत, एक बेहद सुकून भरी लोरी है. इसके 10 साल बाद 'अनाड़ी' (1993) में आई लोरी 'छोटी सी प्यारी सी नन्ही सी... आई कोई परी' भी बहुत यादगार है. इसके बाद के सालों से हिंदी फिल्मों की कोई लोरी एकदम जल्दी से तो याद नहीं आती. लेकिन फिर 20 साल बाद जब एक बेहद पॉपुलर लोरी हिंदी फिल्म में आई, तब तक मोबाइल जैसी अद्भुत डिवाइस हर हाथ में थी. और ये फिल्मी लोरी बहुत सारे मोबाइल फोन्स में रिंगटोन बनी. 

एक्शन में वापस लौटी लोरी
2012 में आई अक्षय कुमार की फिल्म 'राउडी राठौर' एक जबरदस्त मसाला एंटरटेनर थी. इस फिल्म में साजिद-वाजिद की जोड़ी ने कई बेहद पॉपुलर गाने दिए, लेकिन उनमें सबसे यादगार शायद एक लोरी थी. श्रेया घोषाल की मखमली आवाज में 'चांदनिया छुप जाना रे' एक कमाल का लोरी गीत था.

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'राउडी राठौर' का एक सीन (क्रेडिट: यूट्यूब)

इस फिल्म में भी एक विक्रम राठौर ('जवान' वाले शाहरुख की तरह) था, जो अपनी बच्ची की जिंदगी से गायब हो चुका था. उसकी बेटी अपनी मां को याद करने के लिए कैसेट में रिकॉर्ड ये लोरी सुनती रहती है. ये फिल्म उस पहले मौके की तरह याद आती है, जब एक्शन फिल्म में लोरी यूज हुई और उसका असर बहुत जबरदस्त रहा. जो अब कुछ सालों में कई बार रिपीट हुआ.  

2015 में अपने हिरोइज्म से बड़े पर्दे को छोटा कर देने वाले 'बाहुबली' के बचपन का पूरा सीक्वेंस, एक लोरी जैसी लाइनों से शुरू होता है. शिवगामी देवी, अपनी गोद में दोनों बच्चों- अमरेन्द्र और भल्लाल को लिए बैठी हैं. और बॉम्बे जयश्री की आवाज में गीत शुरू होता है 'ममता से भरी तुझे छांव मिली... जुगजुग जीना तू बाहुबली'. यही गाना आगे जाकर कहानी कहता है- 'माहिष्मती का वंशज वो, जिसे कहते बाहुबली.' 

'बाहुबली' में रम्या कृष्णन (क्रेडिट: यूट्यूब)

साउथ की फिल्मों में हीरो के किरदार को वजन देने के लिए लोकगाथा वाला ट्रीटमेंट खूब यूज होता है. और इसीलिए चाहे तेलुगू हो या तमिल सिनेमा, वहां फिल्मों में लोरियां खूब यूज होती हैं. लेकिन कन्नड़ सिनेमा से निकली 'KGF'(2018) में गैंगस्टर रॉकी जब अपने बचपन को याद करता है और 'कोख के रथ में लेकर' चलने वाली मां की कहानी बताता है, तो 'तन्ना नी ना रे' धुन से ही थिएटर का माहौल बदल गया. इस लोरी टाइप धुन का पूरा गीत अगली फिल्म 'KGF 2' (2022) में आया. इसके लिरिक्स थे- 'फलक तू गरज तू बरस तू... धूप में छांव का एहसास तू.' 

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KGF का एक सीन (क्रेडिट: यूट्यूब)

RRR(2022) की कहानी में जब ब्रिटिश ऑफिसर की पत्नी जब एक आदिवासी बच्ची को, चंद सिक्कों के एवज में अपने साथ ले जाने का सोचती है, तब वो बच्ची एक लोरी गा रही है- अम्बर से तोड़ा सूरज वो प्यारा, अम्मा के आंचल ने ढंक डाला सारा'. ऑस्कर विनर एम.एम. कीरावानी कम्पोजीशन और वरुण ग्रोवर के लिरिक्स से ये प्यारी लोरी बनी है. इस लोरी के साथ हुई इमोशनल कहानी में कितना और कैसा एक्शन है ये तो अब सारी दुनिया देख चुकी है.

RRR फिल्म का एक सीन (क्रेडिट: यूट्यूब)

पिछले साल ही आई कंगना रनौत की फिल्म 'धाकड़' थिएटर्स में फ्लॉप हुई. मगर इस एक्शन फिल्म में भी कंगना के लीड किरदार के साथ 'सो जा रे...' टाइटल की एक अच्छी लोरी थी. 2023 में 'जवान' से पहले अजय देवगन की धमाकेदार एक्शन भरी 'भोला' में भी एक लोरी थी. अजय का किरदार जेल से छूटते ही अपनी बच्ची से पहली बार मिलने जा रहा है, जो पैदा होने के बाद से ही एक अनाथाश्रम में है. इस इमोशनल लोरी से ही कहानी को वो इमोशनल फोर्स मिलता है, जिससे भोला (अजय का किरदार) हर दुश्मन को चकनाचूर कर देता है.

'भोला' में अजय देवगन (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

लोरी की एक्शन भरी वापसी में साउथ का बड़ा योगदान है. 2012 में आई 'राउडी राठौर' जिस तेलुगू फ़िल्म(Vikramarkudu) का रीमेक थी, उस ऑरिजिनल फ़िल्म में ही लोरी का यूज था. जब ही हिंदी रीमेक बना तो उसमें भी लोरी रखी गई. अजय देवगन की 'भोला' में भी लोरी, ऑरिजिनल तमिल फिल्म 'कैथी' से ही आई है. और शाहरुख की 'जवान' खुद तमिल डायरेक्टर एटली ने बनाई है. और तमिल सिनेमा ने भी लोरी को फिल्मों में खूब यूज किया है.

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