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मनोज बाजपेयी की फिल्म सत्या का शाहरुख-माधुरी कनेक्शन, 'गोली मार भेजे में' गाने से खुश नहीं थे अनुराग कश्यप

राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'सत्या' आज ही के दिन 1998 में रिलीज हुई थी. फिल्म के शान में कसीदे पढ़ते आप को और हमें 24 साल बीत चुके हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इस फिल्म का एक शाहरुख खान कनेक्शन भी है? इतना ही नहीं. 'सत्या' के राइटर अनुराग कश्यप को 'गोली मार भेजे में' गाना पसंद ही नहीं आ रहा था. लेकिन फिर गुलजार साहब ने उन्हें टोचन दे दिया! नहीं समझे, अंदर पढ़िए समझ आ जाएगा...

मनोज बाजपेयी और शाहरुख खान मनोज बाजपेयी और शाहरुख खान
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 03 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 9:13 PM IST
  • आज से 24 साल पहले रिलीज हुई थी सत्या
  • 'सत्या' के बाद आई गैंगस्टर फिल्मों की बाढ़
  • म्यूजिक भी था यादगार

1994 में रिलीज हुई 'द्रोहकाल' मनोज बाजपेयी की पहली फिल्म थी, लेकिन 1998 में जब सत्या रिलीज हुई तो भीकू म्हात्रे के रोल में उन्हें देखकर लोग आंखें मलते रह गए. स्क्रीन पर ऐसा किरदार भी उतर सकता है और उसे इतनी सफाई के साथ कोई उतार भी सकता है, ये देखकर जनता दंग थी. 3 जुलाई 1998 को रिलीज हुई डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'सत्या' आज 24 साल की हो गई है. 

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इस फिल्म में बहुत कुछ ऐसा था जो भारतीय दर्शकों ने इससे पहले स्क्रीन पर देखा ही नहीं था. फिल्मों में एक टाइप होता है जिसे 'नॉएर' कहा जाता है. यानी ऐसी कहानी जिसमें नैतिकता के तराजू का कांटा गायब हो. क्या सही, क्या गलत, कुछ भी तय कर पाना मुश्किल हो और स्क्रीन पर दिखने वाला सच उतना ही खतरनाक या घिनौना हो, जितना अक्सर रियल जिंदगी में होता है. 

'सत्या' से बॉलीवुड में एक नए किस्म के सिनेमा की शुरुआत हुई, जिसे मुंबई नॉएर कहा गया. आगे चल के इसी कड़ी में राम गोपाल वर्मा ने 'कम्पनी' और 'डी' जैसी फ़िल्में भी बनाईं. इसके बाद बॉलीवुड में गैंगस्टर फिल्मों की बाढ़ सी ही आ गई. करण जौहर ने 'सत्या' को उन 11 फिल्मों की लिस्ट में रखा था जिन्होंने हमेशा के लिए बॉलीवुड को बदल दिया. 

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गैंगस्टर ड्रामा और नॉएर वाली विरासत से अलग अगर 'सत्या' को याद करना हो तो लोगों को जो सबसे पहली चीज याद आती है वो है सत्या का म्यूजिक. चाहे विशाल भारद्वाज के कम्पोज किए हुए गाने हों या फिर एस. भट्टाचार्य का स्कोर, फिल्म का म्यूजिक भी कहानी जितना ही यादगार था. लेकिन क्या आपको पता है कि 'सत्या' का शाहरुख खान और माधुरी दीक्षित से भी कनेक्शन है? चलिए, आपको बताते हैं:

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'सत्या' का शाहरुख कनेक्शन 

'सत्या' के लिए म्यूजिक तैयार करने का काम एस. भट्टाचार्य का था. गाने नहीं, फिल्म का म्यूजिक. भट्टाचार्य की उस समय फिल्म इंडस्ट्री में बहुत डिमांड थी और वो 'दिल तो पागल है' पर भी काम कर रहे थे. शाहरुख खान, करिश्मा कपूर और माधुरी दीक्षित की इस फिल्म का एक सुपरहिट गाना 'अरे रे अरे' तो आपने यकीनन सुना होगा.

अब कभी आपको 'सत्या' देखने का मौका मिले तो ध्यान से देखिएगा. फिल्म की शुरुआत में ही एक सीन है जिसमें पुलिस, मनोज बाजपेयी के किरदार भीकू म्हात्रे को अरेस्ट कर लेती है. ये सीन एक आम सुबह से शुरू होता है और भीकू के बच्चे बैठ के नाश्ता कर रहे हैं. बैकग्राउंड में गाना चल रहा है. ये वही 'दिल तो पागल है' का गाना है- 'अरे रे अरे ये क्या हुआ'! 

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शाहरुख खान और माधुरी दीक्षित

माधुरी और अल्ताफ राजा के भी गाने

'सत्या' लिखने वाले अनुराग कश्यप ने एक बार एक इंटरव्यू में बताया था कि जिस सीन में भीकू और गैंग पार्टी कर रहे हैं, वो असल में माधुरी दीक्षित के गाने 'मेरा पिया घर आया' पर शूट हुआ था. पहले ये तय हुआ था कि फिल्म में गाने रखे ही नहीं जाएंगे. मगर वो दौर ऐसा था कि बिना गाने के फिल्म चल ही नहीं सकती थी. इसलिए बाद में फिल्म में गाने जोड़े गए.

अनुराग ने बताया कि पहले पार्टी का पूरा सीन, 'याराना' (1995)  फिल्म में माधुरी दीक्षित के गाने 'मेरा पिया घर आया ओ रामजी' पर शूट किया गया था. वो तो बाद में फिल्म में गाने जोड़े गए तो 'गोली मार' गाना आया. इसके अलावा फिल्म में एक बार का सीन भी है जिसमें अल्ताफ राजा के गाने 'तुम तो ठहरे' परदेसी पर लड़कियां डांस कर रही हैं. 

'गोली मार' गाना अनुराग को नहीं आया था पसंद 

अनुराग कश्यप ने यह भी बताया था कि फिल्म का बेहद पॉपुलर गाना 'गोली मार भेजे में' पहले किसी और तरह लिखा गया था. उसी धुन पर पहले 'ग़म के नीचे बम लगा के ग़म उड़ा दे' बोल लिखे गए थे. लेकिन फिर बॉलीवुड लेजेंड गुलजार साहब ने 'गोली' मार लिख दिया. फिल्म के कम्पोजर विशाल भारद्वाज और डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा, दोनों को पहले लिखा हुआ 'ग़म उड़ा दे' वर्जन ज्यादा पसंद आया था, लेकिन गुलजार साहब सीनियर थे तो उन्हें बोले कौन.

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अनुराग को शुरुआत से खरा बोलने वाला माना जाता है, तो तय हुआ कि वो जाकर गुलजार साहब से बात करें. तो अगली मीटिंग पर दोनों लोग अपने साथ अनुराग को भी ले गए. फिल्म के राइटर की हैसियत से अनुराग के गुलजार साहब से साफ कहा- "सर, गम नहीं चल रहा". गुलजार साहब ने अनुराग की तरफ देखा और बोले- 'गम नहीं, ग़म (नुक्ते के साथ). पहले बोलना सीखो."

अनुराग बताते हैं कि उसके बाद तो सारी बहस ही खत्म हो गई. आखिरकार, 'गोली मार' ही रिलीज हुआ और वो गाना कितना बड़ा हिट है, ये शायद ही किसी को बताने की जरूरत है! 

 

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