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शाहिद कपूर इन दिनों अपनी फिल्म 'देवा' को लेकर चर्चाओं में हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू में शाहिद ने अपनी मां के साथ बॉन्डिंग और करियर के शुरुआत में होने वाले संघर्षों पर बात की. शाहिद कपूर जब बड़े हो रहे थे तो उन्होंने पिता की कमी झेली. उन्हें नीलिमा अजीम ने अकेले ही पाला, क्योंकि शाहिद और उनकी मां दिल्ली में रहते थे और पिता पंकज कपूर मुंबई में.
इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में, शाहिद कहते हैं, 'पिता से तलाक के बाद मेरी मां ने अकेले ही मेरा पालन-पोषण किया था. जिसे देखकर मुझे बेहद कम उम्र से ही काम करना शुरू करना पड़ा.' नीलिमा अजीम सिर्फ 22 साल की थी जब उन्होंने शाहिद को जन्म दिया था. उनके जन्म के 3 साल बाद ही नीलिमा और पंकज कपूर का तलाक हो गया था.
कम उम्र में ही बन गए थे घर के गार्जियन
शाहिद कहते हैं, जब मेरा जन्म हुआ तब मां बेहद छोटी थी. हम दोस्त जैसे थे. मेरी मां जहां जाती थीं, मुझे भी साथ ले कर जाती थीं. मैं अपनी मां का बड़ा बेटा था. मैं भी खुद को रिस्पांसिबल समझने लगा था. मैं अपने पिता के साथ नहीं रहा, ऐसे में आप अपनी उम्र तो नहीं देखते हैं, लेकिन ऐसा महसूस होता है कि आप घर के गार्जियन है. उस समय मेरे पास देने के लिए बहुत कुछ नहीं था. लेकिन मुझमें अपनी मां के लिए खड़े होने का साहस था. मैं हमेशा अपनी मां के लिए प्रोटेक्टिव था. मुझे उनसे बेहद प्यार था. मेरी मां हमेशा मुझे दोस्त की तरह ट्रीट करती थी. हम आज भी अच्छे दोस्त है.
18 साल की उम्र से ही शाहिद कपूर ने काम करना शुरू कर दिया था. वो करियर की शुरुआत में कई फिल्मी गानों में बैकग्राउंड डांसर के तौर पर काम करते थे साथ ही कई Ad में भी काम करते थे. इतनी कम उम्र में काम के प्रति अपने समर्पण को लेकर शाहिद कहते हैं, 'मुझे लगता है कि मेरे माता-पिता दोनों सुपर अचीवर्स थे. मैं भी खुद को साबित करना चाहता था और जिंदगी में कुछ बड़ा करना चाहता था. मैं अपना जीवन बर्बाद नहीं करना चाहता था.'
'सबसे बड़ी एक बात ये था कि मेरी मां सिंगल पैरेंट थीं और मैं उन पर अपने खर्चों का बोझ नहीं डालना चाहता था. मेरे दिमाग में एक ही चीज चलती थी कि मुझे पैसा कमाना शुरू करना होगा. मैं 14-16 साल की उम्र से ही अपनी मां को सपोर्ट करना चाहता था. मेरी मां अकेले ही सब कुछ कर रही थी. मैं उनकी मदद करना चाहता था, उनका हाथ बटाना चाहता था. तो ये सब वहीं से शुरू हुआ.
खुद को आउटसाइडर मानते हैं शाहिद
शाहिद हमेशा से ही अपने करियर में जो कुछ भी चुनते थे, उसमें अच्छा करना चाहते थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि आगे क्या होगा. शाहिद कपूर ने अपने करियर की शुरुआत 2003 में आई फिल्म 'इश्क विश्क' से की थी. एक्टर पकंज कपूर और एक्ट्रेस नीलिमा अजीम का बेटा होते हुए भी शाहिद खुद को आउटसाइडर मानते हैं, उन्हें अपनी पहली फिल्म के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था.
शाहिद कहते हैं, 'लोगों को लगता है कि मैं एक्टर इसलिए बना क्योंकि मेरे पिता एक्टर थे. लेकिन ऐसा नहीं है. मेरे पिता एक्टर हैं, पर मैं उनके साथ कभी नहीं रहा. मैं एक्टर बनना चाहता था पर नहीं जानता था कि मैं सफल होऊंगा या नहीं. मेरी डेस्टिनी ने मेरी काफी मदद की है.
2003 की फिल्म इश्क विश्क से अपने डेब्यू के बाद, शाहिद ने कई फिल्मों में काम किया जो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रहीं. उन्हें 2006 में सूरज बड़जात्या की फिल्म 'विवाह' से पहचान मिली. बाद में, उन्होंने इम्तियाज अली की 'जब वी मेट' में एक्टिंग किया, इसके बाद 'हैदर', 'कमीने' और 'चुप चुप' के जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया.