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जिन लोगों ने संजय दत्त को जेल से निकालने में की मदद, अब उनसे नहीं म‍िलते, बोले शत्रुघ्न

शत्रुघ्न सिन्हा ने बताया कि जब संजय दत्त जेल गए थे तब पिता सुनील दत्त के साथ बाला साहब ठाकरे, राजन लाल और खुद शत्रुघ्न ने भी उन्हें छुड़ाने के लिए बहुत मदद की थी. लेकिन आज संजय सबसे दूर हो गए हैं. वो किसी से मिलते नहीं हैं. राजन लाल ने उन्हें ढूंढने तक की कोशिश की, लेकिन कभी बात नहीं हो पाई.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 7:00 AM IST

बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त 1993 मुंबई ब्लास्ट से कनेक्शन के आरोप में अरेस्ट हो चुके हैं. ये दौर पूरे दत्त परिवार के लिए बेहद मुश्किल भरा था. खासकर उनके दिवंगत पिता सुनील दत्त के लिए. उन्होंने बेटे को जेल से बाहर निकालने में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था. हाल ही में सुनील दत्त के क्लोज रहे एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा ने इस पूरे इंसीडेंट पर बात की. 

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प्रोड्यूसर राजन लाल की बायोग्राफी लॉन्च के मौके पर शत्रुघ्न ने बताया कि कैसे उन्होंने, शिव सेना फाउंडर बाला साहेब ठाकरे और राजन लाल ने संजय को बचाने के लिए सुनील दत्त की मदद की थी. और आज संजय ही उन सबकी जिंदगी से गायब हो चुके हैं. इनके बीच कोई कॉन्टैक्ट नहीं है. 

जब जेल गए संजय

शत्रुघ्न ने बताया कि सुनील दत्त मेरे बड़े भाई जैसे थे. मुंबई दंगों के दौरान, वो, मैं, राजन लाल और शशि रंजन हर शाम एक साथ बैठते थे. हम जोखिम भरी और खतरनाक सड़कों को पार करते थे. उस दौरान दत्त साहब के सिर पर एक बड़ी मुसीबत आ गई. हमारा और सबका लाडला संजय दत्त जेल में था. हम सभी चिंता में आ गए थे. 

'हम सही में दिल से उसके लिए फिक्रमंद और चिंतित थे. इतना अच्छा और प्यारा इंसान, सुनील दत्त का चश्मों चिराग, उसको कैसे बाहर निकालें? हम उनके लिए कैसे कुछ कर सकते हैं? सोचा करते थे. तब सुनील साहब ने बाला साहब ठाकरे से मदद मांगी.' 

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सुनील दत्त के दोस्तों ने की मदद

शत्रुघ्न आगे बोले कि हम भाग्यशाली थे कि महाराष्ट्र के शेर, पिता समान या यूं कहें गॉडफादर बालासाहेब ठाकरे हमारे साथ थे. हमने उन्हें उनसे मिलवाया और बालासाहेब ठाकरे जी ने संजय दत्त के मामले में अहम भूमिका निभाई. चाहे जेल से उनकी वापसी हो या फिर वहां सुविधाएं मुहैया कराना. आज अगर सुनील दत्त यहां होते तो बहुत अच्छा होता. 

शत्रुघ्न ने बताया कि जिस दिन संजय जेल से बाहर आए, वो हमारे साथ थे. बाहर आने के बाद वो सब सिद्धिविनायक मंदिर से आशीर्वाद लेने के बाद सीधे हमारे घर आए. फिर हम राजन लाल के घर गए, उन्हें बधाई दी और घंटों बातें कीं. हालांकि, उन्हें ये सोचकर दुख होता है कि वो अब संजय दत्त को नहीं देख पाते हैं और वो किसी से नहीं मिलते हैं. 

संजय ने बनाई दूरी

एक्टर बोले कि इसके बाद कहानी में कई मोड़ आए. हमने तब से संजय को कई बार ढूंढने की कोशिश की, खासकर राजन लाल ने बहुत कोशिश की. उन्होंने हमारे सामने और हमारे जरिए कोशिश की, लेकिन दत्त साहब का चश्मो चिराग जो हमें नहीं मिला है, उनके ऊपर एक टाइटल लग चुका है 'ढूंढते रह जाओगे'. लेकिन, इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि वो प्यारे नहीं हैं, हो सकता है कि उनके अपनी वजह हों, समस्याएं हों या वो बस बिजी हों.

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