
साल 1994 में फिल्म आई थी 'बैंडिट क्वीन'. इसे डायरेक्टर शेखर कपूर ने निर्देशित किया था. हाल ही में इस फिल्म का प्राइम वीडियो पर रिलीज किया गया. पर जैसे ही शेखर ने ये फिल्म देखी तो उनका गुस्सा फूट पड़ा. दरअसल, हुआ यूं कि शेखर ने देखा कि फिल्म में काफी सारे एडिट्स किए गए हैं. सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए शेखर ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है.
शेखर की पोस्ट
शेखर ने लिखा कि फिल्म को बिना उनकी जानकारी के कट किया गया है. हालांकि, उन्हें डायरेक्टर होने का क्रेडिट दिया है. शेखर ने सवाल खड़े किए हैं कि कोई उनके नजरिए को कैसे बदल सकता है. अगर बदल रहा है तो ये बेइज्जती है और इसपर सवाल खड़े करने बनते भी हैं. यही चीज अगर क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म के साथ की जाती तो ठीक होती?
"मुझे आश्चर्य है @IAmSudhirMishra क्या ओटीटी प्लेटफॉर्म मुझे 'बैंडिट क्वीन' वैसे ही बनाने देंगे, जैसे मैंने सालों पहले बनाई थी. अमेजन प्राइम पर जो 'बैंडिट क्वीन' है, वह मेरी फिल्म से बिल्कुल अलग दिखती है. किसी ने इसे इस हद तक काट दिया है कि पहचानना मुश्किल है. फिर भी, इसमें मेरा नाम निर्देशक के रूप में दिया गया है. और किसी ने मुझसे पूछने की जरूरत तक नहीं समझी! क्या हम पश्चिमी निर्देशकों से कमतर हैं? क्या उनमें इतनी हिम्मत है कि वे क्रिस्टोफर नोलन की किसी फिल्म को बिना उनकी अनुमति के काट सकें?"
बता दें कि 'बैंडिट क्वीन', फूलन देवी की कहानी पर आधारित है. फूलन का किरदार सीमा बिस्वास ने अदा किया था. निर्देशक कुणाल कोहली ने ओटीटी प्लेटफॉर्म द्वारा फिल्म को काटे जाने पर हैरानी जताई. शेखर कपूर के पोस्ट का जवाब देते हुए उन्होंने लिखा,
"आज के @shekharkapur, जिनके पास हॉलीवुड की सफलताएं हैं, उन्हें इसे बनाने की अनुमति मिल जाती, लेकिन 'बैंडिट क्वीन' से पहले वाले शेखर कपूर को कोई भी ओटीटी प्लेटफॉर्म अपनी शर्तों पर 'बैंडिट क्वीन' बनाने नहीं देता. आपकी फिल्म को बिना आपकी अनुमति के काटना और बिगाड़ना कम से कम कहने पर भी चौंकाने वाला है."
साल 1995 में इस फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म के अंतर्गत नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला था. 67th Academy Awards में इस फिल्म को Best Foreign Language Film के अंतर्गत एंट्री मिली थी. पर नॉमिनेशन में ये अपनी जगह नहीं बना पाई थी.