
अभिनेता शेखर सुमन बिहार की नीतीश सरकार से बेहद निराश हैं. निराश भी इस हद तक कि जरा सी बातचीत में उनका गुस्सा फूट पड़ता है. इस गुस्से की वजह भी है. उनके मुताबिक बिहार में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को लेकर सरकार सुस्त और अनदेखी भरा रवैया अपना रही है. हालांकि शेखर को पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और यहां की योगी आदित्यनाथ सरकार से काफी उम्मीदें हैं. उम्मीद की वजह है उनकी मांगों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पॉजिटिव रिस्पांस.
शेखर को लगता है कि बिहार सरकार भोजपुरी इंडस्ट्री को बिलकुल सपोर्ट नहीं कर रही. वो गुस्सा जाहिर कर कहते हैं कि यह बहुत दुखद है. बहुत अफसोसजनक है. मैं वहां के सीएम से कई बार मिला और मैंने बड़ी कोशिशें भी कीं. फिल्म सिटी को लेकर कई बार बात उठाने की कोशिश की. मेरी बड़ी इच्छा है कि मैं एक फिल्म एकेडमी खोलूं. मैं कब से सरकार से इसके लिए मांग कर रहा हूं. लेकिन उनके कानों में जूं नहीं रेंगी और फिल्म सिटी वाली बात आई गई हो गई. कितनी बार हमने उन्हें याद दिलाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
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शेखर नीतीश से भले नाराज हों लेकिन यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर वे बेहद उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि जब मैं बिहार सरकार से पूरी तरह निराश हो गया तो योगी जी के पास गया. योगी से मुलाकात पर शेखर ने बताया, उन्होंने मुझे फौरन बुला लिया. पिछले हफ्ते ही हमारी मुलाकात हुई. मैंने उनसे यही कहा कि जो लोकल व रीजनल टैलेंट हैं, उसको बढ़ावा देना बहुत जरूरी है. क्योंकि हर कोई मुंबई नहीं पहुंच सकता. इसलिए जो इंडस्ट्री यूपी में पनप रही है, कम से कम उसे बढ़ावा मिले. मगध, अवधी जैसी भाषाओं को आगे बढ़ाएं. वे मेरी मांगों से खुश थे और मुझसे पूछा भी कि आप कहां खोलना चाहते हैं, लखनऊ, नोएडा या गोरखपुर में. मैंने उन्हें लखनऊ और नोएडा का सुझाव दिया है.
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शेखर को मलाल है कि वो अपने राज्य के लिए बहुत कुछ करना चाहते थे क्योंकि चैरिटी आपके घर से ही शुरू होती है. लेकिन जो मदद व प्रोत्साहन उन्हें चाहिए था उसे लेकर बिहार सरकार ने उन्हें निराश किया और इसीलिए उन्होंने यूपी जाने का फैसला किया. वो पूछते हैं कि बिहार से यूपी में सारे टैलेंट्स आ जाते हैं, तो फिर नुकसान किसका है. बिहार का ही न. तो उनको सोचना चाहिए कि कला और संस्कृति को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है.
शेखर कहते हैं कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का राज्य व समाज के निर्माण में बहुत बड़ा हाथ होता है. ये लोग समझते ही नहीं है. राजनीति सबकुछ नहीं होती है. पॉलिटिक्स के अलावा भी दुनिया है. ये लोग हमें हल्के में लेकर दरकिनार कर देते हैं कि फिल्म बनाना कोई बड़ी बात नहीं है. नालंदा में खोलने की बात हुई थी लेकिन वो भी कुछ नहीं हुआ. मैं तो रोजाना गुहार लगा रहा हूं, मदद के लिए भीख मांग रहा हूं. कोई फायदा ही नहीं है, ताली दो हाथों से बजती है, आप मदद नहीं करेंगे, तो हम कैसे आगे बढ़ेंगे. मेरी अब भी गुजारिश है कि आप इस पर ध्यान दें. आप फिल्म स्टूडियो खोलें, एक्टिंग एकेडमी खोलें. इससे आपके राज्य को फायदा ही मिलेगा. आपको कला को कितना बढ़ाना है, ये आपको सोचना होगा. मैं बहुत ज्यादा निराश हुआ हूं.