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Shyam Benegal Birthday Special: सेट पर कोई एक्टर स्क्रिप्ट याद करे, तो गुस्सा हो जाते हैं श्याम बेनेगल 

'सूरज का सातवां घोड़ा' से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाले रजित कपूर और श्याम बेनेगल की जुगलबंदी कुछ ऐसी है कि लगभग उनकी सभी फिल्मों में रजित किसी न किसी किरदार में नजर आ ही जाते हैं. बेनेगल को अपना मेंटॉर मानने वाले रजित हमसे उनके जन्मदिन के मौके पर कुछ दिलचस्प बातें शेयर करते हैं. 

श्याम बेनेगल-रजत कपूर श्याम बेनेगल-रजत कपूर
नेहा वर्मा
  • मुंबई,
  • 14 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:32 AM IST

बॉलीवुड इंडस्ट्री में अगर पैरलल सिनेमा की नींव को पुख्ता करने का श्रेय किसी को जाता है, तो बेशक श्याम बेनेगल का नाम उन चुनिंदा डायरेक्टर्स में से एक होगा. हिंदी सिनेमा को श्याम ने न केवल बेहतरीन फिल्में दी हैं, बल्कि नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल जैसे जहीन एक्टर्स भी इन्हीं की देन हैं. आज श्याम बेनेगल का जन्मदिन है, इस खास मौके पर पेश है उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अनोखे किस्से..

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एक्टर रजित कपूर आजतक डॉट इन से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहते हैं, 'श्याम जी के साथ सबसे बड़ी बात यह है कि वो एक्टर्स को बहुत चाहते हैं. मतलब वो एक नक्शा सा बना देते हैं कि उन्हें उस किरदार से क्या चाहिए. फिर वो उसी दायरे के अंदर आपको खेलने का मौका भी देते हैं. शूटिंग के पहले जब भी ही रिहर्सल हो रहा होता है, तो वहां वो इसी ताक में रहते हैं कि मुझे एक्टर क्या दे पा रहा है. कई बार वो उस एक्टर का डेडिकेशन देखते हुए अपना शॉट व एंगल तक चेंज कर देते हैं. एक्टर का जो कंट्रीब्यूशन है, उसे वो समझते हैं उसे निखारते हैं और उसका पूरा इस्तेमाल भी करते हैं.'

उनके लिए चपरासी बनने को तैयार हूं 

श्याम बेनेगल संग अपने इक्वेशन पर रजित कहते हैं, 'मेरे साथ उनका रिश्ता एक विश्वास का है. 'सूरज का सातवां घोड़ा' से मैंने अपने करियर की शुरुआत उनके साथ की थी. तब से लेकर अभी तक उनका साथ बना हुआ है. मैंने उनसे कह दिया है कि अब आप मेरे बिना अपना कोई प्रोजेक्ट बना ही नहीं सकते हैं, वर्ना मुझे बहुत बुरा लगेगा. अब इस तरह से हक जताने लगा हूं. हालांकि एक बार बीच में एक वाकया हुआ था. वो वेलकम टू सज्जनपुर बना रहे थे, तो उस वक्त उन्होंने मुझे कॉल कर कहा कि यार, इसमें तो तुम्हारे लिए कुछ है नहीं, मैं अब क्या रोल दूं.. वो क्लर्क का रोल है.. बस एक सीन है.. मैंने जवाब में कहा कि कोई नहीं, मैं आ रहा हूं. मैंने फौरन फ्लाइट ली और रामोजी फिल्मसिटी हैदराबाद जा पहुंचा. कोई बात नहीं, मैं आपके लिए चपरासी बनने को तैयार हूं. उन्होंने शुरूआत में ही मुझे बतौर एक्टर इतना टटोला है कि मैं इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि आज जो भी हूं उन्हीं की वजह से हूं.'

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सेट पर गाली-गलौच देने की नहीं थी इजाजत 
श्याम बेनेगल के सेट की दुनिया के बारे में बात करते हुए रजित कहते हैं, 'उनके सेट पर जो डिसीप्लीन है, वो आज के दौर में कहीं नहीं देखने को मिलता है. मुझे उनके सेट की इतनी अच्छी आदत हो गई है कि अब कहीं और चिल्लम चिल्ली होती है, तो मैं एक पॉइंट के बाद बर्दाश्त नहीं कर पाता हूं. उनके सेट पर गाली-गलौच कभी देखने को नहीं मिलती थी. वो सेट में टफ डायरेक्टर के रूप में ही पहचाने जाते रहे हैं. वो पहले ही स्क्रिप्ट की मार्किंग कर देते हैं कि हम शॉट को यहां से यहीं तक में शूट करेंगे. मुझे याद है सूरज का सातवां घोड़ा के दौरान भी मुझे यही नसीहत मिली थी, लेकिन पता नहीं उस दिन किस इमोशन में था, मैं मार्क की गई लाइन से भी आगे चला गया और आगे की डायलॉग्स बोलने लगा. इस बीच उन्होंने टोक तक नहीं लगाई, मैं अपनी फ्लो पर था. वो कैमरामेन को रोलिंग का इंस्ट्रक्शन ऑन रखने के लिए बोलते रहे. उस सेंसिटिविटी ने मुझे बहुत टच कर लिया था.' 

स्क्रिप्ट याद नहीं होने पर गुस्सा हो जाते हैं श्याम 
श्याम जी को एक बात से जो चिढ़ रही है कि वो सेट पर किसी को लाइन याद करता देख गुस्सा हो जाते थे. ये बात उनसे बर्दाश्त नहीं होती थी. वो एक्टर्स को नसीहत यही देते थे कि अपनी लाइनें यादकर सेट पर पहुंचा करो. सभी एक्टर्स उनके इस इंस्ट्रक्शन को सख्ती से फॉलो करते थे. दूसरी बात और प्रोडक्शन हाउस की तरह उनके यहां 15 या 18 घंटे की शिफ्ट नहीं होती थी. वो 8 से 9 घंटे तक काम करने में यकीन रखते हैं. यही वजह है उनके प्रोडक्शन हाउस में कोई भी एक्टर व यूनिट कभी थका नहीं दिखता था.

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