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जब बुखार में भी जिम पहुंच गए थे सिद्धार्थ शुक्ला, कहा- इंजेक्शन लेकर भी एक्सरसाइज करूंगा

सिद्धार्थ शुक्ला के जिम ट्रेनिंग की किस्से कहानियों से तो हम सभी वाकिफ हैं. सिद्धार्थ भले आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन एक्सरसाइज को लेकर उनके डेडिकेशन का यह किस्सा आपको भी हैरान कर देगा.

सिद्धार्थ शुक्ला-सोनू चौरसिया(फाइल फोटो) सिद्धार्थ शुक्ला-सोनू चौरसिया(फाइल फोटो)
नेहा वर्मा
  • मुंबई,
  • 04 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 9:21 AM IST

श्रीदेवी के पति डायरेक्टर व प्रोड्यूसर बोनी कपूर ने जब एक्ट्रेस की मौत का खुलासा किया, तो सोशल मीडिया पर एक्टर्स का हेल्थ के प्रति जुनूनियत को लेकर एक मुद्दा छिड़ गया. आज के दौर में कंपीटिशन इतना बढ़ चुका है कि इन स्टार्स पर रेलिवेंट रहने का लगातार प्रेशर बना रहता है. इसी सिलसिले में हमने बॉलीवुड के सिलेब्रिटी ट्रेनर सोनू चौरसिया से बातचीत की है. उन्होंने स्टार्स और उनके हेल्थ को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.

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आजतक डॉट इन से एक्सक्लूसिव बातचीत पर सोनू कहते हैं, 'फिटनेस फ्रीक जितने भी स्टार्स रहे हैं, मेरे पास ज्यादातर एक्स्ट्रीमिस्ट लोग ही आए हैं. मेरे दोस्त और क्लाइंट सिद्धार्थ शुक्ला की जुनूनियत फिटनेस को लेकर एक अलग ही लेवल पर थी.'

सोनू कहते हैं, 'अमूमन स्टार्स एक्स्ट्रीमिस्ट तब हो जाते हैं, जब उनपर किसी फिल्म के किरदार को लेकर डिमांड आते हैं. ज्यादातर एक्टर्स खुद को उस किरदार के लिए ही तैयार कर रहे होते हैं. वेस्ट में भी कुछ ऐसा ही कल्चर है. हीथ लीजर अपने एक्स्ट्रीम डायट के लिए ही पहचाने जाते हैं. यहां स्टार एक दूसरे को भी फॉलो करते हैं.'

सोनू आगे कहते हैं, 'इस बात में कोई दो राय नहीं है कि स्टार्स पर फिट और हैंडसम व खूबसूरत दिखने का पीयर प्रेशर होता है. मैं अपने सभी क्लाइंट्स से यही डिमांड करता हूं कि आप अपना बॉडी टेस्ट 6 महीने के अंतराल के बजाए क्वार्टरली करवाएं. हर चार महीने में टेस्ट करवा कर पता लगाएं कि आपका सुगर लेवल, थाइरॉइड लेवर, कोलेस्ट्रॉल लेवल कितना है. इससे आपको पता चलता है कि आपका कौन सा हार्मोन डिसबैलेंस हो रहा है. आपको यह नमक व शक्कर कितने मात्रा में रखना है. क्या आपके पास वो लिबर्टी है कि आप अपने डायट से इन्हें निकाल दें. ये सब बातों का पता टेस्ट से ही चल पाता है. इसके लिए प्लानिंग जरूरी है. अक्सर स्टार्स इस प्लानिंग में चूक जाते हैं और यहां से उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ता है. कई बार उन्हें आइडिया भी नहीं होता है कि उसे प्लानिंग में कैसे लाएं. वो बाकी की चीजों में इतने उलझे होते हैं कि इसे ही नजरअंदाज कर जाते हैं.'

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सोनू कहते हैं, 'यहां एक उदाहरण है, मान लो एक बैलून है, आप उसमें उतनी ही हवा भर सकते हो, जितनी उसकी क्षमता हो. अगर ज्यादा हवा भर दी जाए, तो वो आखिरकार फट ही जाता है. यही हाल इंसान के साथ भी है, आपने बाइसेप्स के नाम पर खुद को इतना फूला लिया है कि हार्ट पर उसका असर पड़ता है. नसें फूलने लगती हैं. हार्ट प्रेशर बढ़ने की वजह से वो ब्लास्ट होना लाजमी है.'

सोनू आगे कहते हैं, 'सिद्धार्थ शुक्ला ही बात कर लें. कई बार लगातार शूटिंग करने के कारण उसे फीवर हो जाता था. अब वो फीवर में जिम आ जाता था. मैं उसे मना करता था कि भाई बुखार है, इतना जिम मत कर. तो उसका यही जवाब होता था कि नहीं, मैं जिम नहीं छोड़ सकता हूं. फीवर है, तो मैं पैरासिटामोल के इंजेक्शन लगा लूंगा, लेकिन तुम मुझे करने दो. मुझे कोई दिक्कत नहीं है, मैं फीवर मेंटेन कर लूंगा. ये एक्स्ट्रीम हो गया न. उसे बुखार है, फिर भी वो जिम से छुट्टी नहीं ले सकता है. ये जो चीजें हैं, उसका आपको कतई अंदाजा नहीं होता है, लेकिन बाद में उसका खामियाजा भुगतना ही पड़ता है.'

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