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क्यों नाना सुशील कुमार शिंदे की राह पर नहीं चले वीर पहाड़िया? बोले- राजनीतिक परिवार में होने का मतलब...

वीर बॉलीवुड में अपने लिए एक अलग जगह बनाना चाहते हैं. उन्होंने न्यूज 18 को बताया कि, "मेरे परिवार के लोगों ने बहुत कुछ हासिल किया है और मुझे पता था कि इस परिवार में होने का मतलब है एक छत्रछाया में रहना.

वीर पहाड़िया वीर पहाड़िया
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 9:22 PM IST

बॉलीवुड एक्टर वीर पहाड़िया के सितारे इन दिनों बुलंदी पर है. इनकी डेब्यू फिल्म स्काई फोर्स हाल ही में रिलीज हुई है, और वीर की एक्टिंग की खूब तारीफ की जा रही है. हैंडसम हंक वीर की अभी से तगड़ी फैन फॉलोइंग बन गई है. 

हालांकि ये किसी से छुपा नहीं है कि वीर का एक जबरदस्त पॉलिटिकल कनेक्शन भी है. उनके नाना सुशील कुमार शिंदे महाराष्ट्र के पूर्व चीफ मिनिस्टर रहे हैं, उनकी मौसी प्रणीति शिंदे, लोकसभा सांसद हैं. लेकिन वीर ने अपने परिवार की विरासत को न अपनाते हुए बॉलीवुड की राह चुनी. क्या कभी वीर ने पॉलिटिक्स जॉइन करने का नहीं सोचा? एक्टर ने इस बारे में बात की. 

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परिवार से अलग बनानी है खुद की पहचान

वीर बॉलीवुड में अपने लिए एक अलग जगह बनाना चाहते हैं. उन्होंने न्यूज 18 को बताया कि, "मेरे परिवार के लोगों ने बहुत कुछ हासिल किया है और मुझे पता था कि इस परिवार में होने का मतलब है एक छत्रछाया में रहना. अपने जीवन में बहुत पहले ही, मुझे पता चल गया था कि मैं कुछ अलग करना चाहता हूं. मैं हमेशा से अपनी खुद की पहचान बनाना चाहता था, जहां तक मुझे याद है. जब मैं किसी कमरे में जाता था, तो मैं नहीं चाहता था कि लोग मुझे उस परिवार के लिए जानें जिससे मैं आता हूं. मैं चाहता था कि वो मुझे इस लिए जानें कि मैं कौन हूं और मैं क्या लेकर आता हूं.''

सिक्योर्ड थी लाइफ

वीर अपने बचपन को याद करते हुए कहते हैं कि एक राजनीतिक परिवार से होने के अपने नुकसान हैं, फिर भी वो अपने यंग डेज में एक नॉर्मल लाइफ जीने में कामयाब रहे. "जब मैं पांच या छह साल का था, तो मुझे पता था कि मेरी लाइफ बेहद सिक्योर है. ऐसे कई कारण थे जिनकी वजह से हम कुछ चीजें नहीं कर सकते थे. लेकिन मैंने बहुत ही नॉर्मल लाइफ जिया. मेरे बहुत ज्यादा दोस्त नहीं हैं और जो हैं, वो देश भर के बहुत ही कॉमन और सरल लोग हैं.''

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दोस्तों ने सिखाया अलग-अलग कल्चर

वीर के मुताबिक, जब वो हरियाणा के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने गए तो उन्हें नई दुनिया के दर्शन हुए. और वहां बने दोस्तों ने उन्हें एक नई जिंदगी के लिए तैयार किया. "मुझे लगता है कि मैं अपने दोस्तों की वजह से इस देश के कल्चर्स से जुड़ा हुआ हूं, जो अलग-अलग बैकग्राउंड से आते हैं. मैं, वैसे भी, मुंबई या दिल्ली जैसे शहरी परिवेश में नहीं पला-बढ़ा हूं. बात ये है कि मैं हमेशा विद्रोही रहा हूं क्योंकि मैं एक्टिंग करना चाहता था." 

बता दें, वीर पहाड़िया 'भेड़िया' फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर रह चुके हैं.

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