
बॉलीवुड फिल्मों के फैन्स बड़ी बेसब्री से 15 अगस्त का इंतजार कर रहे हैं. इस इंतजार की एक नहीं तीन-तीन वजहें हैं क्योंकि स्वतंत्रता दिवस वाला वीकेंड बॉलीवुड की तीन बड़ी फिल्में लेकर आ रहा है. 2018 की सुपरहिट फिल्म 'स्त्री' का सीक्वल इसी दिन रिलीज हो रहा है, जिसमें श्रद्धा कपूर, राजकुमार राव और उनकी गैंग एक नए भूतिया एडवेंचर पर निकलने के लिए तैयार हैं.
अक्षय कुमार इसी दिन तापसी पन्नू और एमी विर्क के साथ 'खेल खेल में' लेकर भी 15 अगस्त को ही आ रहे हैं. फिल्म के ट्रेलर में उनका कॉमिक अंदाज जनता को एंटरटेनमेंट के सॉलिड डोज की उम्मीद कर रहा है. अक्षय की फिल्म के साथ ही उनके अच्छे दोस्त जॉन अब्राहम भी, शरवरी वाघ के साथ अपनी फिल्म 'वेदा' लेकर आ रहे हैं. यानी 15 अगस्त को थिएटर्स में जनता की भीड़ जुटाने की पूरी व्यवस्था है. लेकिन सवाल ये है कि इस हफ्ते क्या?
बिना बड़ी फिल्मों के गुजरते शुक्रवार
15 अगस्त को भले बॉलीवुड के चर्चित स्टार्स की तीन फिल्में आ रही हों, लेकिन इस शुक्रवार, यानी 9 अगस्त को एक भी ऐसी फिल्म थिएटर्स में नहीं रिलीज हो रही, जिसके लिए दर्शकों में किसी भी तरह की एक्साइटमेंट हो. बीते शुक्रवार, 2 अगस्त को भी थिएटर्स का यही हाल था. अजय देवगन और तब्बू की 'औरों में कहां दम था' और जाह्नवी कपूर की 'उलझ' थिएटर्स में रिलीज हुईं जरूर. मगर इन फिल्मों में इतनी जान ही नहीं थी कि जनता को थिएटर्स तक खींच सकें. दोनों ही फिल्में बहुत बुरी तरह फ्लॉप साबित हो रही हैं.
थिएटर्स में रिलीज होने वाली आखिरी एक्साइटिंग बॉलीवुड फिल्म, विक्की कौशल और तृप्ति डिमरी की 'बैड न्यूज' थी, जो 19 जुलाई को रिलीज हुई थी. यानी एक्साइटिंग फिल्मों की अगली खेप आने से लगभग महीना भर पहले. और ये सिर्फ एक-दो महीने की बात नहीं है. बल्कि लॉकडाउन के बाद से ऐसा खूब हो रहा है. जबकि दूसरी तरफ छुट्टियों वाले हफ्तों में फिल्में रिलीज करने के लिए बॉलीवुड मेकर्स में ऐसी होड़ मची हुई है कि पिछले दो साल में कई बार, अनाउंस की हुई रिलीज डेट से महीना भर पहले फिल्मों की नई डेट शेयर की गई है.
किसी हफ्ते में क्लैश, किसी में सूने थिएटर्स
पिछले साल से ही देखें तो, 15 अगस्त 2023 को बॉलीवुड में एक बड़ा क्लैश हुआ था. सनी देओल की 'गदर 2' और अक्षय कुमार के स्पेशल रोल वाली 'OMG 2' एक साथ रिलीज हुई थीं. दोनों ही फिल्में हिट भी रही थीं. इसी तरह 1 दिसंबर को एकसाथ रिलीज हुईं रणबीर कपूर की 'एनिमल' और विक्की कौशल की 'सैम बहादुर' भी हिट रहीं.
यानी क्लैश हुई सभी फिल्मों को उनकी ऑडियंस मिली और जनता इन फिल्मों के लिए एक्साइटेड भी थी. इसीलिए फिल्में चलीं भी. लेकिन इस साल ईद पर रिलीज हुई 'मैदान' और 'बड़े मियां छोटे मियां' तगड़ी फ्लॉप बनीं. यहां ये पहले से ही नजर आ रहा था कि दोनों ही फिल्मों के लिए जनता में कोई उत्साह नहीं है.
यानी जहां जनता को सिर्फ एक अच्छी फिल्म से मतलब है, वहीं मेकर्स कमाई की गारंटी के लिए सिर्फ बड़ी डेट्स और छुट्टी वाले वीकेंड पर फिल्में रिलीज करने की जिद पर अड़े हैं. अभी दीवाली पर जनता को कार्तिक आर्यन की 'भूल भुलैया 3' और अजय देवगन की 'सिंघम' में से किसी एक को चुनना है. वहीं क्रिसमस वाले हफ्ते में वरुण धवन की 'बेबी जॉन' और आमिर खान की कमबैक फिल्म कही जा रही 'सितारे जमीन पर' में से एक को चुनना पड़ेगा. जबकि बड़े फिल्मी क्लैश वाले हफ्तों के बीच कई-कई हफ्ते ऐसे जा रहे हैं कि थिएटर्स में कोई एक्साइटिंग फिल्म नहीं होती.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मेकर्स इन खाली हफ्तों में फिल्में रिलीज करने से इसलिए बच रहे हैं क्योंकि उन्हें ये दांव फिल्म की कमाई के लिए 'सेफ' नहीं लग रहा? क्योंकि ऐसा होने की कोई वजह तो नजर नहीं आती.
ऑडियंस में लौट आई है सिनेमा की भूख
लॉकडाउन के बाद खुले थिएटर्स में बड़ी फिल्मों के अलावा, बाकी फिल्मों के लिए थिएटर्स पहुंचने में जनता थोड़ी सुस्त जरूर थी. लेकिन पिछले साल से इस साल तक 'जरा हटके जरा बचके', 'सत्यप्रेम की कथा', 'आर्टिकल 370', '12वीं पास' और 'मुंज्या' तक तमाम फिल्मों का हिट होना ये बताता है कि जनता में सिनेमा की भूख पूरी तरह वापस जाग चुकी है.
दिक्कत इंडस्ट्री और मेकर्स की तरफ से है कि इस भूख को शांत करने के लिए वो रेगुलरली, एक्साइटिंग फिल्में नहीं दे पा रहे. ऐसे में छुट्टी वाले हफ्तों में फिल्में क्लैश करवाने की बजाय अगर इन्हें बाकी खाली हफ्तों के लिए शिड्यूल किया जाए, तो जनता और मेकर्स दोनों का भला हो सकता है. शर्त बस एक है कि फिल्म में मजा होना चाहिए क्योंकि कमजोर फिल्में तो 'एक के साथ एक फ्री' टिकट ऑफर के बावजूद जनता को नहीं खींच पा रही.
खाली हफ्तों में भौकाल जमा रहा साउथ
ऐसे ही मौकों को साउथ में बनी पैन इंडिया फिल्में लपक रही हैं. जून में 'मुंज्या' के अलावा बॉलीवुड की कोई फिल्म नहीं थी जिसके लिए जनता में एक्साइटमेंट दिखी हो. जबकि इसी महीने प्रभास, दीपिका पादुकोण, अमिताभ बच्चन स्टारर 'कल्कि 2898 AD' रिलीज हुई और सिर्फ हिंदी में 300 करोड़ कमाने के करीब पहुंच चुकी है. सितंबर में बॉलीवुड की सिर्फ दो फिल्में शिड्यूल हैं और उनका अभी कोई माहौल नहीं बना है- कंगना रनौत की 'इमरजेंसी' और करीना कपूर की 'द बकिंघम मर्डर्स'. जबकि 27 सितंबर को ही जूनियर एनटीआर की पैन इंडिया फिल्म 'देवरा' आ रही है, जिसकी हिंदी ऑडियंस में काफी चर्चा है.
अक्टूबर में राजकुमार राव, तृप्ति डिमरी की फिल्म 'विक्की विद्या का वो वाला वीडियो' से कहीं ज्यादा माहौल, तमिल स्टार सूर्या की फिल्म 'कंगुवा' के लिए नजर आ रहा है. जबकि 6 दिसंबर को विक्की कौशल की 'छावा' के साथ अल्लू अर्जुन की 'पुष्पा 2' आ रही है. 'छावा' अगर अल्लू अर्जुन की फिल्म को टक्कर देती भी है, तो 25 दिसंबर से पहले तक दोनों फिल्में आराम से चल सकती हैं क्योंकि इससे पहले को रिलीज नहीं है.
जनता ने तो कम चर्चित स्टार्स वाली अच्छी फिल्मों को हिट करवाकर अपनी भूख का सबूत दे दिया है, अब टेस्ट मेकर्स का है... देखना है कि क्या वो हर एक या कम से कम दो शुक्रवार बाद जनता को अच्छी फिल्में दे पाएंगे? या फिल्मों को कमाई की गारंटी में रखने के लिए इसी तरह क्लैश करवाकर अपना और जनता का नुक्सान करते रहेंगे? क्योंकि आम जनता भले फिल्मों के लिए एक्साइटेड हो, मगर आज के टिकट प्राइस में, हर महीने परिवार या दोस्तों के साथ सिनेमा आउटिंग का प्लान भी हर हफ्ते तो नहीं बन सकता.