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इस गलती की वजह से अनिल-अक्षय से पीछे रह गए सुनील शेट्टी, बोले- भूल गया था मजदूर हूं

करियर के बीच में अचानक गायब होने पर सुनील शेट्टी कहते हैं, पापा जब बीमार थे, तो उस वक्त मैंने अपनी जिंदगी के चार साल उनके साथ रहकर गुजारे हैं. उस दौरान मैंने कोई काम ही नहीं किया. इस बीच मैं बैठकर अपने पास्ट के बारे में सोचता था कि आखिर मैं कहां गलत रहा.

सुनील शेट्टी सुनील शेट्टी
नेहा वर्मा
  • मुंबई ,
  • 26 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:56 AM IST

सुनील शेट्टी को इंडस्ट्री में आज तीन दशक से ज्यादा हो गए हैं. सुनील मानते हैं कि उन्होंने अपने इस करियर में बहुत सी गलतियां की हैं. करियर की उतार-चढ़ाव, फैमिली, समकालीन एक्टर्स की सक्सेस आदि पर सुनील हमसे दिल खोलकर बातचीत करते हैं. 

यह साल बॉलीवुड बिजनेस के हिसाब से ड्राई रहा है. पब्लिक भी दूर जा रही है. आपकी राय?
'मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर हमारी पब्लिक हमसे दूर क्यों जा रही है. मैं जब सोशल मीडिया पर ध्यान देने लगा, तो पता चला कि हम खुद इसके कारण हैं. हम प्रोडक्ट के कंज्यूमर को ही नहीं समझेंगे, तो प्रॉडक्ट को कैसे समझेंगे. हम बस भीड़ में दौड़े जा रहे हैं. अब आप ही बताएं अगर फाइनेंशियल एड्स, सीएफओ, डेटा एनालिस्ट जैसे लोग शोबीज का बिजनेस चलाएंगे, तो कहां से कनेक्शन पैदा कर पाएंगे.' 

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'ये लोग थोड़े राइटिंग और डायरेक्शन को समझ सकते हैं. क्या वो बता सकते हैं कि क्या चलेगा, इसकी समझ तो राइटर, डायरेक्टर और एक्टर को होनी चाहिए न. जाहिर सी बात है मशीनरी चीजें आ गई हैं, जो दिखता बहुत बड़ा है, लेकिन अंदर से खोखला है. क्योंकि उन्हें सिर्फ बिजनेस से मतलब है, वो इंडस्ट्री को चलाने के लिए नहीं काम कर रहे हैं. लोग हजार रूपये खर्च कर फिल्म देखने जाएंगे, तो प्रोडक्ट में दम होना चाहिए. इसी बीच देखें, दृश्यम चल ही रही है न, कंटारा भी बिजनेस कर रहा है. ये तो नहीं हुआ कि अजय देवगन जगह-जगह जाकर फिल्म को प्रमोट करने के लिए भांगड़ा कर रहा हो. विजिबिलिटी से कुछ नहीं होता है, इंपैक्ट से होता है. ये मेरी कर्म भूमि है और मैं नहीं चाहूंगा कि इसके साथ कुछ भी बुरा हो.'

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'कंतारा' देखी? कैसी लगी आपको?
'अरे मत पूछो, लास्ट के जो पंद्रह मिनट थे, उसे देखकर मैं तो हैरान रह गया था. समझ नहीं आ रहा था कि क्या से सच में पोसेस्ड है या एक्टिंग कर रहा है. फिल्म देखने के बाद सोचने लगा कि मैं तीस साल से जो कर रहा था, वो एक्टिंग है या इसे एक्टिंग कहते हैं. मुझे कोई शर्म नहीं है इस बात को कबूलने में. मुझे लगता है कि हम ऐसे ही चीजों से सीखते हुए आगे बढ़ते हैं.'

आप मानते हैं कि हीरो की परिभाषा बदली है?
'हां, सौ प्रतिशत बदली है, क्योंकि नैरेटिव बदला है. आज के हीरो वर्चुअल दुनिया में रह रहे हैं, उनका रिएलिटी से कोई वास्ता नहीं है. आप मुझसे आकर पर्सनली मेरे काम के बारे में बात करो, तो मुझे ज्यादा खुशी होगी न कि आपने मेरी किसी पोस्ट को लाइक या शेयर किया है. वो बात संतुष्ट करेगी. आज तो इंस्टाग्राम डिक्टेट करता है कि एयरपोर्ट पर क्या कपड़े पहनने चाहिए. आप फैशन शो के लिए जा रहे हो या ट्रैवल कर रहे हो. भई मैं तो चाहूंगा कि मैं कंफर्टेबल ट्रैक पहनकर ट्रैवल करूं ना कि कोई अतरंगी चीजें पहनकर असहज हो जाऊं. मैं ऐसी दुनिया से आता हूं कि इन चीजों का प्रेशर नहीं लेता.'

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'मैं एक जींस आठ बार पहन लूंगा और मुझे उसमें कोई शर्म नहीं है. मेरे लुंगी और शर्ट वाले लुक ने वो हलचल मचा दी है, जो शायद ही मेरे साथ कभी ऐसा हुआ हो. बहुत ही डिग्लैमराइज्ड लुक था. मैं चेहरे पर रिंकल को छुपाता नहीं हूं. मैं कंटेंट हूं और किसी से जलता नहीं हूं. अगर मेरे साथी का कोई अच्छा कर रहा है, तो मैं फॉरन जाकर उसकी तारीफ करता हूं. अजय देवगन और अमिताभ जी ही ऐसे एक्टर हैं, जिन्होंने बुरे वक्त पर विजयी पाया है. उन्हें मार्केट में कितने पैसे देने थे. काम कर पाई-पाई दुनिया का चुकाया और पूरी ताकत के साथ. बाकि लोग तो भाग चुके हैं, लेकिन इन दोनों ने फैल्यॉर में अपने आपको खड़ा किया है. मैं इन दोनों को अपना रियल हीरो मानता हूं.'

आप अचानक से करियर के बीच में गायब हो गए थे. इसकी क्या वजह थी?
'पापा जब बीमार थे, तो उस वक्त मैंने अपनी जिंदगी के चार साल उनके साथ रहकर गुजारे हैं. उस दौरान मैंने कोई काम ही नहीं किया. इस बीच मैं बैठकर अपने पास्ट के बारे में सोचता था कि आखिर मैं कहां गलत रहा. मेरे करियर के साथ ऐसा क्यों हुआ. 120 फिल्में करने के बावजूद मैं क्यों गायब हो गया. क्यों मेरे कंटेम्प्ररी आगे बढ़ गए. क्या मैं उनसे जलता हूं. फिर जवाब मिलता गया. अब मैं तो समकालीनों की तरक्की देखकर उल्टा एक्साइटेड हो जाता हूं. मैं अपने बच्चों को कहता हूं कि अनिल कपूर, अक्षय, अजय इनसे तुम्हें सीखना चाहिए. मैं अब भी चलता जा रहा हूं. भले ही उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाया हूं, लेकिन उम्मीद नहीं हारी है.'

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'मैं एवरेज भी कहलाता हूं, तो मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है. आज भी मैं चाहूं, तो 500 फिल्में कर लूं, लेकिन मेरी यही कोशिश रही है कि इन पांच सौ में से पांच ऐसे प्रोजेक्ट सिलेक्ट करूं, जो मुझे रिस्पेक्ट और प्यार दे. खुद को रेलेवेंट रखने के लिए मैंने अपनी हेल्थ पर ध्यान दिया. बिजनेस बढ़ाया, फैमिली को तवज्जों दी, ताकि वो रिस्पेक्ट मुझे मिलता रहे. मुझे यूथ ने जिंदा रखा, मीडिया ने जिंदा रखा है.'

सुनील शेट्टी को बॉलीवुड इंडस्ट्री में तीन दशक से ज्यादा हो गए हैं. इस जर्नी में क्या खोया क्या पाया?
'जब भी पीछे मुड़कर देखता हूं, तो यही सोचता हूं कि मैंने पाया ही पाया है. दरअसल कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक्टर बनूंगा. जेपी सिंघल और प्रह्लाद जी की वजह से मूवमेंट हुई और उन्होंने मुझे एक मौका दिया. एक्टिंग कभी सीखा नहीं था. वो सीखने का मौका मिला. आगे चलकर एक्शन हीरो कहलाया. इतना सारा प्यार पाया है. मैं आज भी इन्हीं को अपनी पूंजी मानता हूं. हालांकि, यह प्यार कभी टिकट में कभी कन्वर्ट नहीं हो पाया है. इसके लिए भी मैं खुद को ही जिम्मेदार मानता हूं. मैंने उस वक्त बहुत सी गलतियां की थी. मैं दर्शकों को फॉर ग्रांटेड लेने लगा था. अब मैं उन्हीं गलतियों पर काम कर रहा हूं. मैं उन्हें सही कॉन्टेंट दूं और अब पैसे के लिए काम नहीं करूं. ये छोटी-छोटी चीजें हैं.'

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किसी चीज का मलाल है ?
'हां, बिलकुल मलाल इसी बात का है कि मैंने करियर की पीक में ये सब गलतियां की हैं. मैं ऊंचाई में था, तो उस चमकती रौशनी में अंधा हो गया था. फिल्म लाइन का हूं, तो यही कहूंगा कि वो एचएमआई की लाइट से कुछ वक्त के लिए अंधा हो गया था. मैं अपने काम को हल्के में लेने लगा. स्क्रिप्ट सुनते ही कह देता था कि अरे हो जाएगा... ये कर लेंगे... ऐसे स्क्रीन पर दिखा देंगे... मैं मजदूरी करता था, लेकिन इस बात को भूल गया था. किसी भी आर्टिस्ट को यह बात नहीं भूलनी चाहिए. अब भी उन्हीं गलतियों से सीख लेते हुए मेहनत कर रहा हूं और खुद को मजदूर मानता हूं. हालांकि, मेरी इन गलतियों से मेरे बच्चों की अच्छी ट्रेनिंग मिली होगी. वो मेरी तरह गलत रास्ते में नहीं जाएंगे कि फौरन दस फिल्में साइन कर लेंगे. वो माहौल को समझेंगे और अपनी समझदारी से काम लेंगे.'

क्या थलाइवा किरदार की ही तरह अपनी फैमिली को लेकर प्रोटेक्टिव हैं?
'हां, मैं ऐसा ही हूं बिलकुल.. मेरी फैमिली ही मेरे लिए सबकुछ है. फैमिली और दोस्तों को लेकर बहुत प्रोटेक्टिव हूं. आज भी मेरे पुराने दोस्त ही मेरे सर्किल में हैं. हमारी 50 साल से भी गहरी दोस्ती है. मैंने इनको वैल्यू दिया है. मैं इनके लिए कुछ भी कर गुजरता हूं. मेरे बच्चे हमेशा अपने दादा-दादी के साथ रहे हैं. वो उन्हीं का संस्कार पाकर बड़े हुए हैं. दादा-दादी को मतलब ही नहीं है कि उनका बेटा सुनील शेट्टी एक्टर है. वो इस फिल्मी दुनिया को जानते ही नहीं हैं. उन्हें बस मेरी खुशी ही मायने रखती है. इससे ज्यादा डिमांड नहीं है. आज भी जब मां को बिजनेस क्लास पर भेजता हूं, तो डांटती है कि इतने पैसे खर्च करने की क्या जरूरत है. हमें पहुंचना ही तो है न. यही सादगी मैंने मेरे बच्चों को देने की कोशिश की है.'

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जाहिर सी बात है आपकी लिगेसी का प्रेशर बच्चों पर होगी. आप कैसे उन्हें तैयार करते हैं?
'मैंने उन्हें सीखाया है कि मैं हर निगेटिविटी से आगे बढ़कर यहां पहुंचा हूं और चीजों को मैनेज किया है. तुम भी करोगे, लोग क्या कहते हैं, उसे भूल जाओ. बस अपनी नीयत अच्छी रखो. तुम रिस्पॉन्सिबल बनो. अपने दिल की सुनो. एरोगेंस से दूर रहो. मैं उन्हें हमेशा कहता हूं कि जो लोग आपके साथ हैं, उनकी कद्र करो. जमीन से जुड़े रहो. अगर कोई आपकी मदद करे, तो उसे जिंदगीभर मत भलो.'

'मैं उन्हें एहसास दिलाता हूं कि तुम ब्लेस्ड हो, क्योंकि आप अगर किसी बुजुर्ग को रास्ता क्रॉस करा देते हैं, तो भी आपकी तारीफ करेंगे. आप जमीन पर बैठकर खाना खाओगे या ऑटो से जाओगे, या किसी को फ्लाइट में बैग उतार कर भी दोगे, तो आपकी अच्छाई की तारीफ होगी. बाकि इंसान तो इससे पचास गुना अच्छा काम करते हैं, लेकिन उन्हें कभी तारीफ नहीं मिलती, क्योंकि तुम प्रीविलेज्ड हो और इस बात से वाकिफ रहो.'

अंत में हम इतना ही कहेंगे कि सुनील शेट्टी जिस तरह अपनी गलतियों को सीखकर आगे बढ रहे हैं. वो काबिले-ए-तारीफ है. 

 

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