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क्राइम सीरीज के आने पर बढ़ता है जुर्म? डायरेक्टर बोले- गांधी पर भी बनी फ‍िल्में लोग उनके जैसे तो नहीं बने

सुपर्ण वर्मा को द फैमिली मैन और द ट्रायल जैसी बेहतरीन सीरीज के लिए जाना जाता है. उनसे पूछा गया क्या क्राइम सीरीज का सोसायटी पर फर्क पड़ता है. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा- मेरा मानना है कि हम जो बनाते हैं कि वो सोसायटी को देखते हुए बनाते हैं

सुपर्ण वर्मा, कृतिका कामरा, मिहिर देसाई सुपर्ण वर्मा, कृतिका कामरा, मिहिर देसाई
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:12 PM IST

साहित्य आजतक के दूसरे दिन बॉलीवुड के कई बड़े कलाकार एक्टर्स, डायरेक्टर्स और सिंगर इवेंट में अपने दिल की बात कहते दिखे. साहित्य आजतक के मंच पर क्रि‍एट‍िव डायरेक्टर सुपर्ण वर्मा, मिहिर देसाई और एक्ट्रेस कृतिका कामरा ने नए युग के OTT प्लेटफॉर्म पर ढेर सारी बातें शेयर कीं.

क्या फिल्मों-सीरीज का सोसायटी पर होता है असर?
सुपर्ण वर्मा को द फैमिली मैन और द ट्रायल जैसी बेहतरीन सीरीज के लिए जाना जाता है. उनसे पूछा गया क्या क्राइम सीरीज का सोसायटी पर फर्क पड़ता है. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा- मेरा मानना है कि हम जो बनाते हैं कि वो सोसायटी को देखते हुए बनाते हैं. जब आप किसी फिल्म को देखते हैं तो पता चलता है कि आस-पास क्या हो रहा है. डायरेक्टर से पहले मैं एक पत्रकार था. मैंने पत्रकारिता में जितनी स्टोरीज की थी. उन सभी को आज सीरीज में इस्तेमाल करता हूं. 

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सुपर्ण से पूछा गया कि क्या क्राइम सीरीज देखकर आज के लोग क्राइम की तरफ बढ़ रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा- एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में गांधी के नाम पर भी फिल्में बनी हैं. पर क्या लोगों ने उससे सीख कर गांधी के रास्ते पर चलने की कोशिश की. सीधे लफ्जों में कहें, तो क्या फिल्म का असर सोसायटी पर हुआ.

'हम एंटरटेमेंट के लिए फिल्म बनाते हैं. कोई इंसान कहानी को कैसे देखता है ये उस पर निर्भर करता है. अगर कोई किसी को मारना चाहता है, तो वो क्राइम करने का रास्ता ढूंढ लेगा. पर जिसको नहीं करना होगा, तो वो नहीं करेगा. एक स्टोरी टेलर हमारा काम है कि हम लोगों को ये कहानी दिखाएं. ओटीटी पर क्राइम सीरीज इसलिए ज्यादा बन रही हैं, क्योंकि लोग वही देखना चाह रहे हैं.'

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ओटीटी या बॉक्स ऑफिस कौन है बेहतर? 
सुपर्ण का कहना है कि ओटीटी के आने से मेकर्स को स्टोरी कहने की आजादी मिली है. थिएटर्स की तरह यहां हर फ्राइडे को फिल्म या सीरीज करने का प्रेशर नहीं है. आगे उन्होंने ओटीटी पर बोल्ड सीन दिखाए जाने पर बात करते हुए कहा कि 'हम शो शुरू होने से पहले डिस्केलमर दे देते हैं कि आपको क्या दिखाया जा रहा है. अगर आपको लगता है कि सीरीज में गाली या बोल्डनेस है, तो फैमिली के साथ बैठ कर मत देखिए. यहां अचानक कुछ नहीं होता है, आपको जो दिखाया जाएगा वो पहले ही बता दिया जाएगा.'

बॉलीवुड और साउथ सिनेमा में क्या फर्क है?
सुपर्ण कहते हैं कि 'मैंने साउथ सिनेमा में काफी काम किया है. आज के वक्त में फर्क ये है कि ऑडियंस समझदार हो चुकी है. वो हर भाषा में सारी फिल्में देखना चाहती है.  इसका नतीजा ये है कि आज अल्लू अर्जुन भी उतने ही बड़े स्टार हैं, जितने कि शाहरुख खान. साउथ के लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला. वहां गॉसिप नहीं है. वहां की एक्ट्रेसेस ने बड़े खानदान में शादी की है. साउथ में नेपोटिज्म पर बात नहीं होती है. आज की तारीख में हिंदी किताबें कम छपती हैं. पर साउथ के लोग अपनी जमीन से जुड़े हुए हैं और वहां की भाषा में किताबें छपती रहती हैं. जबकि हम इंग्लिश नॉवेल पढ़ने में बिजी हैं.' 

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जल्द आएगा मिर्जापुर का तीसरा सीजन 
मिहिर देसाई ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मिर्जापुर जैसी सीरीज से धूम मचा दिया था. लोगों ने इसके दोनों सीजन को बेशुमार प्यार दिया. इसलिए इवेंट में उनसे सबसे पहला सवाल यही पूछा गया कि मिर्जापुरा का तीसरा सीजन कब आ रहा है. इस पर मिहिर ने जवाब देते हुए कहा कि जल्द. यानी 2024 में मिर्जापुर 3 देखने को मिल सकती है. 

मिर्जापुर पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि 'सीरीज एक पिता और बेटे की कहानी है. लोग काली भईया और मुन्ना भईया जैसे कैरेक्टर से कनेक्ट कर सके. उन्हें लगा कि अरे ये तो हमारे जैसी ही कहानी है. सीरीज में क्राइम से ज्यादा लोगों को इमोशन अच्छा लगा. मुन्ना भईया और गुड्डु भईया जैसे रोल लोगों को अच्छे लगे. मिहिर से पूछा गया कि क्या मुन्ना, कालीन भईया जैसे किरदारों का लोगों पर असर होता है.'

इस पर वो कहते हैं- हम जब भी कहानी बना रहे होते हैं, तो हम खुद से सवाल करते रहते हैं. हम क्राइम को बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि जब वो मिर्जापुर बना रहे थे, तो उन्होंने यूपी या बिहार के किसी से बाहुबली से मुलाकात नहीं थी. पंकज त्रिपाठी की तारीफ करते हुए मिहिर ने कहा कि उन्होंने सच में कालीन भईया के रोल को बखूबी निभाया. 

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इंडस्ट्री पर क्या बोलीं कृतिका 
कृतिका कामरा ने अपने करियर की शुरूआत टीवी से की थी. आज वो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी अच्छा काम कर रही हैं. बम्बई मेरी जान में उन्होंने हबीबा कादरी का रोल अदा किया था. ये किरदार डॉन दाउद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर से प्रेरित था. अपने रोल के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा- मैं मुंबई से नहीं हूं. मुझे उसे जानने के लिए बहुत रिसर्च की. उनकी जो बदले की भावना है. हम उस तरह से नहीं सोचते हैं. मैंने आज तक जो कैरेक्टर किए हैं, उन्हें कभी जज नहीं किया है. जब आप एक किरदार निभा रहे होते हैं, तो आपको कुछ समय के लिए उस डूबना होता है.

अफताब और श्रद्धा जैसे केस पर रिएक्ट करते हुए एक्ट्रेस ने कहा कि 'ऐसी खबरों का उन पर असर होता है. दिल दहल जाता है. मुझे एक्ट्रेस के तौर पर एहसास है कि सिनेमा लोगों को इनफुलेंस करता है. हमारी जिम्मेदारी होती है. इसलिए कहानी ऐसी बनाई जाती है कि आपको समझ आ जाए कि क्या गलत है और सही. ओटीटी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यहां बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की टेंशन नहीं होती है. कृतिका ने ये भी कहा कि इंडस्ट्री उन लोगों के लिए सुरक्षित है, जो अपनी शर्तों पर काम करना चाहते हैं.'

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