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'ताली' की स्क्रिप्ट के लिए हामी भरने में लगे थे 6 महीने, फिर ऐसे ट्रांसजेंडर बनीं सुष्मिता

बॉलीवुड में हमेशा ट्रांसजेंडर का किरदार मर्दों ने ही प्ले किया है. यह पहली बार होगा, जब कोई फीमेल ट्रांस के किरदार में होंगी. सीरीज ताली के लिए हामी भरने में सुष्मिता को एक लंबा समय लग गया था. लगभग 6 महीने के बाद सुष्मिता इस किरदार से जुड़ी थीं. फिल्म के मेकर अर्जुन-कार्तिक ने इस बातचीत के दौरान फिल्म से जुड़े कई खुलासे किए हैं. 

सुष्मिता सेन सुष्मिता सेन
नेहा वर्मा
  • मुंबई,
  • 08 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 7:56 PM IST

सुष्मिता सेन की अपकमिंग सीरीज 'ताली' का ट्रेलर आ चुका है. एक बार फिर सुष्मिता लीक से हटकर एक अनोखी कहानी का हिस्सा बनने जा रही हैं. सुष्मिता इस सीरीज में ट्रांसजेंडर गौरी सावंत के किरदार में हैं. ट्रेलर रिलीज के बाद से ही ताली को सुष्मिता के करियर का सबसे दमदार किरदार बताया जा रहा है. बता दें, इस सीरीज के लिए हामी भरने में सुष्मिता को एक लंबा समय लग गया था. लगभग 6 महीने के बाद सुष्मिता इस किरदार से जुड़ी थीं. सीरीज के मेकर अर्जुन-कार्तिक ने इस बातचीत के दौरान फिल्म से जुड़े कई खुलासे किए हैं. 

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6 महीने के बाद सुष्मिता हुई थी राजी 
जब हमने सुष्मिता से इस स्क्रिप्ट पर बात की, तो उन्हें पता था कि यह सीरीज ट्रांसजेंडर पर बेस्ड है. वो तब से ही इस कहानी को लेकर उत्सुक थीं. वो 6 महीने तक स्क्रिप्ट पढ़ती रही थी. वो कह रही थी कि मुझे स्क्रिप्ट तो बहुत पसंद आई है लेकिन मैं उसे गहराई से समझना चाहती हूं. वो लगातार 6 महीने तक स्क्रिप्ट पढ़ती रहीं. वो स्क्रिप्ट को दिल से इतना रट चुकी थीं कि जब सेट पर कहानी में कोई बदलाव होता देखा, तो खुद कहतीं कि अरे ये बदल दिया है क्या? इन महीनों में सुष्मिता हमसे लगातार टच में थीं. वो मेकर्स के विजन को भी समझना चाहती थीं. वो कई सवालों से घिरी थीं. उनकी डिटेलिंग कमाल की थी, एक बार उन्होंने हमसे कहा कि गणेश जो लड़का है, उसे सेक्स एक्सचेंज कर गौरी बनना है. अगर वो पहली बार ब्रा पहनेगा, तो उसे स्क्रीन पर किस तरह से दिखाया जाएगा? इस दौरान वो पूरी तरह से रिसर्च में डूब गई थीं. 

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इसलिए सुष्मिता बनीं पहली पसंद 
बॉलीवुड में हमेशा ट्रांसजेंडर का किरदार मर्दों ने ही प्ले किया है. यह पहली बार होगा, जब कोई फीमेल ट्रांस के किरदार में होंगी. इसके पीछे की खास वजह पर कहते हैं, 'अगर आप देखें, तो श्रीगौरी जी जो हैं, वो बहुत ही फेमिनीन पर्सनैलिटी हैं. बेशक उन्होंने पेटिशन फाइल किया था. इसके साथ ही वो एक मां भी हैं. एक मां वाली फीलिंग कोई मेल एक्टर नहीं निभा सकता था. सुष्मिता खुद एक मां हैं, वो अपने बच्चों के करीब हैं. इसलिए पहले दिन से ही हमारी चॉइस सुष्मिता ही रही हैं. आगे कहते हैं, अगर आप बॉलीवुड की फिल्में देखें, तो यहां किरदारों में बहुत गुस्सा, जलन, समाज के प्रति रोष और कई बार तो मजाकिया तौर पर दिखाया गया है. लेकिन यहां हमारा किरदार बिलकुल भी वैसा नहीं है. वो तो बहुत स्वीट सा है. हम उस खूबसूरत औरत की कहानी बता रहे हैं, जो मां है. जैसे ही यहां हम मर्द को लेते हैं, तो बहुत ही कैरिकेचर सा सिमट कर रह जाएगा.'

मराठी फिल्म बनने वाली थी 'ताली'
इस बायोपिक को सीरीज का रूप देने पर अर्जुन कहते हैं, 'जब हमारे पास सीरीज आई थी, तो यह एक मराठी स्क्रिप्ट में लिखी थी. कहानी के राइट्स मराठी फिल्म बनाने के मकसद से लिए गए थे. जब हमने स्क्रिप्ट पढ़ा, तो लगा कि यह एक खूबसूरत वेबसीरीज बन सकती है. अगर किसी व्यक्ति की जर्नी बतानी है, तो वो दो घंटे में सिमट जाए, ये संभव नहीं है. उसके ग्राफ को समझाना भी जरूरी होता है. यहां से थॉट्स आया और हमने क्षीतिज पटवर्धन जो राइटर हैं, उनको सीरीज के लिए राजी किया. जब गौरी को हमने बताया कि इसके लिए हम सुष्मिता को सोच रहे हैं, तो उनका रिएक्शन बिलकुल ऐसा था कि उनसे बेहतर कोई और नहीं हो सकता है.'

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'अमूमन ऐसा होता है कि अगर रूम में सुष्मिता सेन हैं, तो केवल वो ही बात करती हैं. लेकिन जब गौरी और सुष्मिता साथ मिले, तो उनका समायोजन कमाल का था. गौरी की सबसे बड़ी खासियत यही है कि आप उन्हें किसी के सामने भी बिठा दें, वो अपनी जगह बना लेती हैं. उनकी बातें इतनी लॉजिकल होती हैं. वो इतनी कॉन्फिडेंट हैं, जो उनकी पर्सनैलिटी में चार चांद लगाते हैं. एक साथ दोनों को देखना, वो किसी ट्रीट से कम नहीं होता है.'

ताकि किसी की भावना को ठेस न पहुंचे 
आप एक एलजीबीटी कम्यूनिटी को रिप्रेजेंट कर रहे हैं. ऐसे में इस बात पर कितना फोकस किया गया कि किसी की भावना आहत न हो. इसके जवाब में अर्जुन-कार्तिक कहते हैं, इस चीज को लेकर हम ज्यादा अलर्ट भी थे. हम पूरी तरह से सतर्क थे कि किसी की भावना को ठेस न पहुंचे. जब गौरी से मुलाकात हुई थी, तो उस वक्त हम कई ट्रांसजेंडर से मिले थे. हमने पूरी फिल्म में रेग्यूलर जुनियर आर्टिस्ट्स को कास्ट करने के बजाए, पूरी फिल्म में ट्रांसजेंडर्स को ही कास्ट किया है. पूरी फिल्म में 2200 ट्रांसजेंडर ने एक्टिंग की है. हमारी कोशिश उन्हें जॉब देने के साथ यह भी है कि इसे नॉर्मलाइज किया जाए. हमें उन्हें एंटरटेनमेंट वर्ल्ड के लिए मौका भी देना चाहिए. 

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2200 ट्रांसजेंडर की हुई है कास्टिंग 
फिल्म में हम किसी एक्टर एक्ट्रेस को लेने के बजाए क्यों किसी ट्रांसजेंडर एक्टर को मौका नहीं देते. जवाब में अर्जुन-कार्तिक कहते हैं, कास्टिंग को तीन भागों में बांटा जाता है. प्राइमरी, सेकेंडरी और जूनियर आर्टिस्ट को हायर किया जाता है. सेकेंडरी कास्टिंग में 8 से 10 ट्रांसजेंडर हैं, जिनके डायलॉग्स हैं. वहीं जूनियर आर्टिस्ट्स में सौ प्रतिशत ट्रांसजेंडर्स रखे हैं. हां, रही बात मेन लीड की, तो इसके पीछे कमर्शल एंगल समझने की जरूरत है. अगर हम यहां किसी ट्रांसजेंडर को सुष्मिता की जगह कास्ट करते, तो यह एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनकर रह जाती. महज 10 हजार तक दर्शक बटोर पाती है. सुष्मिता एक इंटरनैशनल चेहरा है, मिस यूनिवर्स जो ट्रांसजेंडर बन रही है. तो यह कमर्शल मायने पर हमारे लिए फायदेमंद हो सकती हैं. 

 

 

 

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