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'सॉरी दीदी हम आपको बचा नहीं पाए'...द कश्मीर फाइल्स की 'शारदा' को आ रहे हैं ऐसे मैसेज!

फिल्म द कश्मीर फाइल्स की जबरदस्त चर्चा है. मूवी में शारदा की भूमिका एक्ट्रेस भाषा सुंबली ने निभाई है. भाषा खुद कश्मीरी पंडित हैं और उन्होंने नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से अपनी पढ़ाई पूरी की है. भाषा के काम की काफी तारीफ हो रही है.

भाषा सुंबली भाषा सुंबली
नेहा वर्मा
  • मुंबई,
  • 16 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 12:40 AM IST
  • बॉक्स ऑफिस पर द कश्मीर फाइल्स की धूम
  • पीएम मोदी ने भी फिल्म की तारीफ

द कश्मीर फाइल्स की बॉक्स ऑफिस पर कमाई जारी है और साथ ही इसे लेकर अलग-अलग मंचों पर चर्चा, बहस भी खूब हो रही है. फिल्म का एक सीन खासतौर पर चर्चा में है जब शारदा नाम की एक महिला को आतंकी आरी से काट देते हैं. फिल्म में शारदा की भूमिका एक्ट्रेस भाषा सुंबली ने निभाई है. भाषा खुद कश्मीरी पंडित हैं. पिछले पांच साल से बॉलीवुड में अपना करियर तलाश रहीं भाषा फिल्म को मिले रिस्पॉन्स से खासी उत्साहित हैं. 

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aajtak.in से बातचीत में भाषा अपने उस सीन के बारे में बताती हैं कि मैं तो बचपन से ऐसे किस्से सुनते-सुनते बड़ी हुई हूं. घर पर अक्सर इस क्रूर नरसंहार की बात होती रही है. जब शूटिंग में आरी से मुझे काटने वाला सीन फिल्माया जा रहा था, मेरी तबीयत बहुत खराब हो गई. मुझे रील और रियल लाइफ में फर्क नजर नहीं आ रहा था. मेरा बीपी लो हो गया और सांस लेने में दिक्कत होने लगी. सीन पूरा करने के बाद मैं एक कोने में बैठ गई. वहीं एक और सीन फिल्माया जा रहा था, जहां लोगों को एक साथ खड़ा कर शूट किया जा रहा था.

विवेक सर ने वहां कश्मीरी पंडितों को कास्ट किया था. जब उन्हें गोलियों से मार रहे रहे थे, मैं वहां चिल्लाने लगी और बोलने लगी कि मेरे लोगों को मत मारो. मैं भूल गई थी कि एक्टिंग हो रही है. प्रोडक्शन टीम मेरे पास आकर मुझे सांत्वना देने लगी. यहां तक विवेक सर भी आ गए. मुझे उस वक्त सांस नहीं आ रही थी, पैनिक अटैक था. समझ नहीं आ रहा था कि मेरी जान कैसे बचेगी. फिर मुझे होटल वापस भिजवा दिया गया. मैं तीन दिन तक होटल के कमरे में रही और किसी से बात नहीं की. हालांकि इसके बाद मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई कि एक एक्टिंग कोच होने के बावजूद मेरा ब्रेकडाउन ऐसे कैसे हो सकता था. मैं क्रू मेंबर्स से आंख तक नहीं मिला पा रही थी.

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अपने किरदार के बारे में भाषा ने कहा कि यह किरदार मेरे जेहन से शायद ही कभी जा पाएगा. यह निकलेगा भी नहीं, यह मेरा दुख है. आप अपने दुश्मन को माफ कर सकते हैं लेकिन भूल नहीं सकते. मैं इस किरदार को हमेशा अपने साथ जिंदा रखूंगी. मैं आज भी खुद को शरणार्थी मानती हूं. मेरा पूरा परिवार जम्मू आ चुका है. जब हमें निकाला जा रहा था, तो उस वक्त मैं एक से दो साल की होऊंगी. मुझे कुछ याद नहीं है. मां बताती हैं कि हमने अपना कश्मीर वाला घर छोड़ दिया. मां मुझे गोद में लेकर निकली थीं. वहां से मेरा परिवार दिल्ली आ गया था. तो मैं दिल्ली के शरणार्थी शिविर में पली-बढ़ी हूं. मेरे मामा और मासी भी इसी हादसे में चले गए थे. वो वहां से निकल नहीं पाए. सैकड़ों लोग शिविर की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाए, तो मर गए. फिर हम वहां से फाइनली जम्मू में शिफ्ट हो गए.

फिल्म को मिल रहे पब्लिक रिस्पॉन्स पर भाषा कहती हैं, लोगों का बहुत प्यार मिल रहा है. इंडस्ट्री से लोग क्राफ्ट पर बात कर रहे हैं. कॉमन लोगों से इतने मैसेज आ रहे हैं, जिससे मेरा डीएम फुल हो गया है. कोई इंदौर से मैसेज कर लिखता है कि तुम हमारी बेटी हो. कोई कानपुर से कहता है कि आप हमारी दीदी हो. किसी ने तो यहां तक कहा कि सॉरी दी हम आपको बचा नहीं सके. मैं आपको स्क्रीन पर घुसकर बचा लूं. लोगों ने मुझसे रिश्ता बना लिया है. यह वाकई में सुकून देता है.

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अपनी एक्टिंग करियर के बारे में भाषा कहती हैं, पिछले पांच साल से मुंबई में हूं. सैकड़ों ऑडिशन दिए होंगे. फिर लगा कि सिर्फ ऑडिशन के भरोसे नहीं बैठ सकती इसलिए थिएटर की कहानियां लिखती हूं, एक्ट करती हूं और कई इंस्टीट्यूट में बतौर एक्टिंग कोच पढ़ाया है. फिल्म छपाक में बहुत छोटा सा रोल था. कश्मीर फाइल्स के बाद इंडस्ट्री के रवैये में बदलाव आया है, अब लोग मुझे स्क्रिप्ट भेज रहे हैं. अब वो ही कास्टिंग डायरेक्टर अप्रोच कर रहे हैं, जिन्होंने मुझे रिजेक्ट किया था.

 

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