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सर्द मौसम…दर्द और गम! DOP ने बताया- कैसे और किन हालात में शूट हुई 'द कश्मीर फाइल्स'

द कश्मीर फाइल्स बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है. फिल्म की कहानी और पटकथा तो देखने वालों को झकझोरती ही है उसकी सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग पर भी बातचीत हो रही है. फिल्म के डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफर (डीओपी) उदय सिंह मोहिते हैं. aajtak.in से बातचीत में उदय ने फिल्म की शूटिंग से जुड़े अपने अनुभव शेयर किए.

अनुपम खेर अनुपम खेर
नेहा वर्मा
  • मुंबई,
  • 15 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 4:04 PM IST
  • द कश्मीर फाइल्स की बंपर कमाई
  • काफी मुश्किलों में शूट हुई थी फिल्म

विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ बॉक्स ऑफिस पर पैसे के साथ-साथ देशभर में सुर्खियां भी खूब बटोर रही है. राजनीतिक गलियारों से लेकर मीडिया, सोशल मीडिया में इसपर जबर्दस्त चर्चा जारी है. फिल्म की कहानी और पटकथा तो देखने वालों को झकझोरती ही है उसकी सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग पर भी बातचीत हो रही है. फिल्म के डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफर (डीओपी) उदय सिंह मोहिते हैं. उदय सिंह का विवेक अग्निहोत्री संग ये तीसरा काम है. aajtak.in से बातचीत में उदय ने फिल्म की शूटिंग से जुड़े अपने अनुभव शेयर किए.

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उदय बताते हैं, ‘मैं विवेक सर के साथ तीसरी बार जुड़ा हूं. उनके साथ अच्छी ट्यूनिंग है. जब मुझे विवेक जी ने इस फिल्म की कहानी सुनाई, तो मैं भी काफी शॉक्ड हो गया था. मुझे पता ही नहीं था कि ऐसा भी कुछ हुआ है. उस वक्त तो मैं स्कूल में था. न कभी इस तरह की खबर सुनी थी. रिसर्च मटेरियल और डॉक्यूमेंट्री देखी, तो काफी शर्म आई थी कि हमें कैसे इसका अंदाजा नहीं है’.

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विवेक अग्निहोत्री के साथ (डीओपी) उदय सिंह मोहिते

शूटिंग का एक्स्पीरियंस काफी डिप्रेसिंग था
उदय ने बताया ‘हमने बाकी फिल्मों की तरह इस फिल्म की शूटिंग भी शुरू की लेकिन सच कहूं तो पूरा शूटिंग एक्सपीरियंस ही काफी डिप्रेसिंग था. एक्टर्स अपना शॉट देकर आते और चुपचाप खड़े हो जाते. कुछ दिनों की शूटिंग के बाद पता चला कि सभी कास्ट डिप्रेशन में है. इस दर्द को छिपाने के लिए जबरदस्ती सेट पर हंसी-मजाक किया जाता था लेकिन सब समझते थे कि ये माहौल को लाइट बनाने के लिए किया जा रहा है. हैरानी की बात है कि केवल कोर एक्टर्स ही नहीं बल्कि साइड व लोकल एक्स्ट्रा एक्टर्स भी परेशान दिखते थे.

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तीस दिन में पूरी हुई शूटिंग
उदय कहते हैं ‘पूरी फिल्म की शूटिंग 30 दिन की थी. शूटिंग ज्यादातर मसूरी व देहरादून में हुई है. वहां हमें कश्मीर स्थापित करना था. लेकिन कुछेक ऐसे सीन्स थे जिसे कश्मीर के बाहर शूट किया ही नहीं जा सकता था. तो कश्मीर में हमारा लगभग एक हफ्ते का शेड्यूल रखा गया था. हमें डल लेक में एक सीन फिल्माना था. शॉकिंग बात ये थी कि पूरी लेक बर्फ से जमी हुई थी. वहां के लोकल बिजनेस वाले ने खुद सामने से बताया कि तीस साल बाद आज कश्मीर की डल झील पर बर्फ जमी है. वो कह रहे थे कि उस वक्त कश्मीरी पंडितों के साथ जब हादसा हुआ था, उसी वक्त आखिरी बार झील पर बर्फ जमी थी. ये इत्तेफाफ की बात ही है’.

(डीओपी) उदय सिंह मोहिते

पूरी उंगलियां जम जाती थीं
कश्मीर में शूटिंग के माहौल के बारे में उदय ने बताया ‘सुबह हम डल झील पर शूट करने वाले थे. शूटिंग का यह आखिरी हिस्सा था. इसमें मेरे साथ विवेक जी भी आ गए. वहां टेंप्रेचर माइनस में था. उंगलियां दर्द कर रही थीं, वे ठंड से नीली पड़ कर जकड़ गई थीं. मुझे किसी ने कहा कि आप गाड़ी में बैठकर हीटर ऑन करो वर्ना उंगलियां फट जाएंगी. ये सिलसिला चलता रहा, मैं शूट के बीच कार में आता और हीटर में बैठता फिर वापस शूट के लिए जाता था. पूरा फ्रोजन माहौल था’.

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शूटिंग के एक दिन पहले ही डल झील में हुई थी मौत
उदय कहते हैं कि डल के शिकारा वालों ने हमें चेताया और कहा कि ध्यान से शूट करना क्योंकि कल ही एक लड़की इसमें गिर गई और उसकी मौत हुई है. दरअसल शिकारा के बैलेंस खोने से यह हादसा हुआ था. हम तो यहां शिकारा पर कैमरा सेटअप लेकर बैठे थे. सेफ्टी के लिए स्टीम बोट भी था लेकिन डर तो लग रहा था. लोकल वालों ने भी उस वक्त काफी मदद की. हालांकि पैशन के सामने आपका डर हट जाता है. तो मुझे परफेक्ट शॉट के बाद ही शिकारा से निकलना था. इस एक हफ्ते के दौरान फतवे की भी खबरें आई थीं लेकिन विवेक ने यह सब चीजें हम तक आने नहीं दीं ताकि क्रिएटिव चीजों पर इसका कोई बुरा असर नहीं पड़े.

(डीओपी) उदय सिंह मोहिते

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वो सीन कर एक्ट्रेस का ब्लड प्रेशर लो हो गया था
फिल्म के सबसे चर्चित सीन के बारे में उदय बताते हैं कि भाषा(एक्ट्रेस) का वो आरी वाला सीन पूरे प्रोडक्शन के लिए काफी टफ था. आप कई बार टेक्निकल चैलेंजेस को हैंडल कर लेते हैं लेकिन इमोशंस पर किसी का कंट्रोल नहीं होता है. हमें सुबह से पता था कि यह सीन टफ होने वाला है. फिर भी हमने इसकी लाइट शुरुआत कर दी थी. मिलेट्री के पुलिस स्टेशन आने तक हम नॉर्मल थे लेकिन जब आरी वाला सीन हुआ, तो पैकअप के बाद भी सन्नाटा पसरा रहा था. शायद ही किसी ने खाना खाया होगा. भाषा का तो बुरा हाल था, उसका ब्लड प्रेशर लो हो गया था. वो तो पूरी तरह डिप्रेशन में नजर आ रही थी. सब इससे बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे, जो साफ नजर आ रहा था.

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तारीफ सुन खुशी नहीं होती
फिल्म को मिली तारीफ से कैसा लग रहा है इस सवाल पर उदय मिश्रित प्रतिक्रिया देते हैं. वो कहते हैं कि प्रोडक्शन वालों के काम को सराहना मिले, तो बड़ी खुशी होती है. खासकर हम नाम के लिए ही काम करते हैं लेकिन पहली बार जब कोई आकर कहता है कि कश्मीर फाइल्स में तुम्हारा काम लाजवाब रहा है, तो पता नहीं सुनकर अच्छा नहीं लगता है. इमोशन बहुत ही मिक्स हैं, मैं बहुत कंफ्यूज्ड हो जाता हूं कि इन तारीफों पर कैसे रिएक्ट करूं. मैं इस फिल्म के बाद अच्छा फील नहीं कर पा रहा हूं. शायद फिल्म में दिखाया गया दर्द इतना ज्यादा हो गया है कि इसके इमोशन ओवरशैडो हो गए हैं.

 

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