
मिथुन चक्रवर्ती के दूसरे बेटे नमाशी अपना फिल्मी डेब्यू करने जा रहे हैं. राजकुमार संतोषी की फिल्म बैड बॉय में नमाशी एक अनोखे किरदार में हैं. फिल्म, स्टारकिड्स, नेपोटिज्म, ऑडिशन जैसे कई मुद्दों पर वो हमसे खुलकर बातचीत करते हैं.
अमूमन स्टारकिड्स तो 20 साल की उम्र से ही डेब्यू की तैयारी में लग जाते हैं. आपको इतनी देरी क्यों हुई. जवाब में नमाशी कहते हैं, सबसे पहला कारण तो, कोविड था. इसने मेरे दो साल खत्म कर दिए. इसके अलावा मैं मानता हूं कि अगर आप बहुत जल्दी आ जाते हैं, तो यह आपको बैकफायर कर सकता है. मैंने अपना डेब्यू 27 साल की उम्र किया था, फिल्म को रिलीज होने में 2 साल लग गए हैं. मुझे लगता है कि यह 26 से 27 साल की उम्र डेब्यू के लिए परफेक्ट है. वरुण धवन, रणबीर कपूर ने भी इसी ऐज में अपना करियर शुरु किया था. एक्टर के तौर पर आप स्क्रीन पर मैच्यॉर भी लगते हो.
2016 से हजारों ऑडिशन दे चुका हूं
नमाशी बचपन से ही एक्टर बनना चाहता थे. उन्होंने 2016 से अपने करियर के प्रति काम करना शुरू किया है. नमाशी बताते हैं, मैं 2016 से केवल ऑडिशन देता आ रहा हूं. 2019 में जाकर मुझे यह फिल्म मिली है. जब फिल्म बनी, तो कोरोना आ गया. मुझे डेब्यू के लिए दोबारा लगभग तीन साल इंतजार करना पड़ा था.
आपके एरयपोर्ट लुक नहीं बल्कि एक्टिंग को याद रखा जाए
स्टारकिड होने के बावजूद नमाशी खुद को हमेशा लाइमलाइट से दूर रखते रहे हैं. इसके जवाब में नमाशी कहते हैं, मुझे एक बात बताओ कि कौन सा ऐसा एक्टर है, जो एयरपोर्ट में पहने ड्रेस से याद रखा गया है? या किसी बड़े पोर्टल पर दिए इंटरव्यू की वजह से जाना जाता है? मैं मानता हूं कि एक अच्छा एक्टर बीस साल बाद ही अपनी एक्टिंग के लिए पहचाना जाएगा. पैसे, पीआर स्ट्रैटेजी मुझे कहीं कभी मदद नहीं आने वाली है. अगर टैलेंट है, तो ही आप सरवाइव कर सकते हैं. मैं इन पचड़ों में पड़ना ही नहीं चाहता हूं और केवल अपने काम पर ही फोकस करता हूं.
मैं 'स्टार एक्टर' बनना चाहता हूं
यहां अक्सर स्टार और एक्टर को अलग देखा गया. कई डिबेट भी होते रहे हैं. आपकी चाहत क्या है. मेरी चाहत यही है कि मैं स्टार एक्टर बनूं. वो तो फिल्म रिलीज के बाद ही मुझे पता चल पाएगा कि मेरी एक्टिंग में कितना दम है. मेरा दावा है कि दर्शक निराश नहीं होंगे, फिल्म देखकर उन्हें बहुत मजा आएगा. मैं सच में मानता हूं कि इंडस्ट्री एक अच्छे राइटर पर फोकस करने के बजाए इररेलिवेंट चीजों पर ज्यादा उलझ कर रह गई है. हमें यह समझना होगा कि हम यहां सोशल मीडिया के बजाए फिल्मों के लिए काम कर रहे हैं. कई बार एक्टर्स को इसलिए भी फिल्में नहीं मिलतीं क्योंकि उनका सोशल मीडिया इतना पावरफुल नहीं है. लेकिन आखिरकार में यही होता है कि हुनर है, तो ही काम मिलेगा, चाहे आप खुद की कितनी भी पीआर कर लें.
और पापा ने छिन ली थी कार की चाभी
2016 की बात है, मैं सोच रहा था कि कैसे क्रैक करूं. फिर उसी बीच मुझे कहीं एक ऑडिशन का पता चला. मैं मालाड के मड आयलैंड एरिया में रहता हूं. मैं बस ऑडिशन के लिए निकलने लगा. तो पापा ने पूछा कि कहां जा रहा है. मैंने कहा ऑडिशन देने. उन्होंने पूछा कि कैसे जा रहा है. मैंने कहा कि ये जो कार रखी है, उसे लेकर जा रहा हूं. तो कहने लगे कि तुम मेरे बेटे बनकर जा रहे हो या फिर नमाशी बनकर. उन्होंने फिर कहा कि एक काम करो यहां से ऑटो लो और मडआइलैंड से फेरी लो और समुद्र के रास्ते से ओशिवारा जाओ और वहां से रिक्शा लेकर अपने ऑडिशन वाले वेन्यू में जाओ. अगर तुम मेरे बेटे बनकर जा रहे हो, तो मैं तुम्हें सबकुछ दूंगा लेकिन खुद की पहचान बनानी है, तो फिर ये ही रास्ता तुम्हारे लिए है. उन्होंने मुझसे चाभी ले ली और मैं भी वही रास्ते से ऑडिशन के लिए निकल गया. तब से मैं अपना सरनेम और पापा का नाम बिना इस्तेमाल किए हुए ऑडिशन देता आया हूं. तीन साल के ऑडिशन के बाद बैड बॉय मुझे मिली है. सच कहूं, बहुत ही लिब्रेटिंग फील करता हूं. सब सरनेम का खेल है, नमाशी होता हूं, तो ऑर्डनरी हूं लेकिन जहां चक्रवर्ती लग जाता है, तो एक्स्ट्रा ऑर्नडरी बन जाता हूं.
मेरे प्रोड्यूसर का पैसा न डूबे
बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों के बदले डायनामिक पर नमाशी कहते हैं, बस एक न्यूकमर के हैसियत से मेरी यही चाहत है कि मेरे प्रोड्यूसर का पैसा बच जाए. चीजें बहुत बदली हैं. एक डेब्यू एक्टर होने के नाते मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मेरे प्रोड्यूसर ने यह रिस्क उठाया है कि वो फिल्म को थिएटर्स पर रिलीज कर रहा है. मैं तो उनकी हिम्मत को सलाम करता हूं. बस यही उम्मीद है कि जब 28 अप्रैल को फिल्म रिलीज हो, तो जितने भी पैसे आए, मेरे प्रोड्यूसर को नुकसान न हो.