
भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया ने टोक्यो ओलंपिक में अपने अभियान की शुरुआत जीत के साथ की है. मंगलवार को उन्होंने पहले प्री-क्वार्टर फाइनल में कोलंबिया के रेसलर ऑस्कर टिगरेरोस उरबानो को मात दी. उसके बाद 57 किलो कैटेगरी के क्वार्टर फाइनल मैच में बुल्गारिया के जॉर्डी वैंगेलोव को 14-4 से हरा दिया. 57 किलो वर्ग के सेमीफाइनल में कजाकिस्तान के सनायेव नूरिस्लाम को हरा दिया है. रवि फाइनल में गोल्ड जीतने के इरादे से उतरेंगे. रवि दहिया से पहले भारत के लिए रेसलिंग में केडी जाधव (1952), सुशील कुमार (2008, 2012), योगेश्वर दत्त (2012) और साक्षी मलिक (2016) पदक जीत चुके हैं.
फाइनल में पहुंचे रवि
रवि दहिया के फाइनल में पहुंचने को लेकर एक्टर रणदीप हुड्डा और विवेक दहिया काफी खुश हैं. दोनों ने ही ट्विटर पर रवि दहिया की फोटो शेयर करते हुए उन्हें बधाई दी है. रणदीप हुड्डा ने लिखा, "अररर्र यो गाड़या लठ, रवि दहिया, मेडल पक्का." विवेक दहिया ने लिखा, "भारत के लिए गर्व की बात, रवि कुमार दहिया और दीपक पुनिया, भाइयों इस ओलंपिक में लठ गाड़ दियो. सारा देश थारी तरफ देख रहा है." इसके साथ ही एक्टर गुरमीत चौधरी ने लिखा, "रवि कुमार दहिया, गोल्ड की ओर एक कदम. दूसरा भारतीय फाइनल में एंटर होने वाला, जय हिंद."
बता दें कि रवि दहिया ने 2019 में कजाखिस्तान के नूर सुल्तान में हुई वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था. 5 फीट 7 इंच की लंबाई वाले दहिया अपनी कैटेगरी में सबसे लंबे पहलवानों में से एक हैं. 1997 में रवि दहिया का जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के नहरी गांव में हुआ था. उनके पिता एक किसान थे, लेकिन उसके पास अपनी जमीन तक नहीं थी. वह किराए की जमीन पर खेती किया करते थे. 10 साल की उम्र से ही रवि ने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. उन्होंने 1982 के एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सतपाल सिंह से ट्रेनिंग ली है.
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रवि दहिया को पहलवान बनाने में उनके पिता का बहुत बड़ा हाथ है. आर्थिक तंगी होने के बावजूद उन्होंने अपने बेटे की ट्रेनिंग में कोई कसर नहीं छोड़ी. उनके पिता राकेश हर रोज अपने गांव से छत्रसाल स्टेडियम तक की 40 किलोमीटर की दूरी तय कर रवि तक दूध और फल पहुंचाते थे. हालांकि, जब रवि ने 2019 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज जीता था, तब भी उनके पिता उनके इस मैच को नहीं देख सके थे, क्योंकि वह उस वक्त भी अपना काम कर रहे थे, ताकि रवि को अपने सपने पूरे करने में कोई दिक्कत न हो.