
वेधा बने ऋतिक रोशन का फर्स्ट लुक सामने आने के बाद से लोग टकटकी लगाए 'विक्रम वेधा' फिल्म के टीजर-ट्रेलर का इंतजार कर रहे थे. इस इंतजार के कारण भी कई थे. एक तो ऋतिक फिल्म में खूंखार गैंगस्टर टाइप किरदार निभा रहे हैं, ऊपर से वो सैफ अली खान जैसे दमदार एक्टर के साथ पैरेलल लीड में हैं. और 'विक्रम वेधा', इसी टाइटल से बनी एक जोरदार तमिल फिल्म का हिंदी रीमेक है. हिंदी फिल्म को डायरेक्ट भी पुष्कर-गायत्री ने किया है, जिन्होंने तमिल फिल्म बनाई थी.
बुधवार को जब 'विक्रम वेधा' का टीजर आया, तो लोगों की एक्साइटमेंट उबाल मार गई. नतीजा ये हुआ कि 24 घंटे में ही ये यूट्यूब पर, बॉलीवुड का सबसे ज्यादा 'लाइक' किया गया टीजर बन गया. सोशल मीडिया का माहौल बताता है कि अधिकतर लोगों को टीजर पसंद भी आया है. लेकिन चूंकि ऋतिक वाला किरदार तमिल 'विक्रम वेधा' में विजय सेतुपति जैसे, 'एक्टिंग स्कूल' कहे जाने वाले एक्टर ने निभाया था. इसलिए दोनों एक्टर्स में तुलना भी शुरू हो चुकी हैं.
कुछ को लगता है कि वेधा का किरदार विजय सेतुपति से बेहतर ऋतिक कहां निभा पाएंगे! वहीं कुछ को इस बात से समस्या है कि बॉलीवुड एक और साउथ फिल्म का रीमेक बना रहा है. लेकिन इन सारी चर्चाओं से पहले 'विक्रम वेधा' (हिंदी वाली) के टीजर में एक ऐसी अनोखी चीज भी है, जिस पर लोगों की नजर शायद कम ही गई है. ये चीज है ऋतिक रोशन के एक बॉडी फीचर का यूज. यानी उनका एक्स्ट्रा अंगूठा या उनके दाएं हाथ की 6 उंगलियां.
ऋतिक की 6 उंगलियां और डार्क कैरेक्टर
ऋतिक रोशन के एक हाथ में 6 उंगलियां हैं, ये बात अब सभी को पता है. उन्हें सुपरस्टार बना देने वाली फिल्म 'कोई मिल गया' में भी कुछेक जगह उनकी 6 उंगलियों की झलक मिल जाती है. हमारे आसपास की दुनिया में हाथों या पैरों में इस तरह एक्स्ट्रा उंगली का होना एक 'खामी' जैसा देखा जाता है. कुछ अंधविश्वासी लोग तो इसे बैडलक यानी बुरी किस्मत से भी जोड़ देते हैं. हालांकि, 2014 में जब एक पब्लिकेशन के सर्वे में ऋतिक को चौथी बार एशिया का सबसे सेक्सी पुरुष वोट किया गया, तो उन्होंने कहा था कि इस एक्स्ट्रा अंगूठे को वो 'लकी' मानते हैं.
अपनी फेसबुक पोस्ट में ऋतिक ने लिखा, 'मैं लकी हूं. इसलिए नहीं कि मुझे सबसे सेक्सी वोट किया गया. क्योंकि मैंने नोटिस किया कि भगवान ने मुझे एक 'पीस ऑफ अग्ली' (यानी बदसूरती का टुकड़ा) दिया अपने साथ कैरी करने के लिए, ताकि मैं खुद को और दूसरों को याद करा सकूं कि इमपरफेक्शन (अधूरापन) हमें कितना खूबसूरत बनाता है. मेरा अंगूठा स्कूल में लोगों को मुझसे दूर करता था. आज मैं उन लाखों के लिए पोस्ट कर रहा हूं जो मेरे जैसे हैं. खूबसूरती के साथ इमपरफेक्ट.'
हालांकि, ऋतिक ने अपने एक्स्ट्रा अंगूठे को छिपाने की कभी कोई जाहिर कोशिश नहीं की. फिर भी तगड़े फिल्मची लोग ये बात कन्फर्म कर सकते हैं कि ऋतिक की पिछली फिल्मों में उनके दाएं हाथ (जिसमें एक्स्ट्रा अंगूठा है) को जानबूझकर छिपाने की एक कोशिश सी नजर आती है.
जैसे- 'धूम 2' में जब ऋतिक का किरदार एक मैग्नेटिक डिवाइस का टेस्ट करते हुए कोल्ड ड्रिंक की कैन पकड़ता है, तो वो अपना बायां हाथ इस्तेमाल करता है. जबकि कॉमन जानकारी है कि वो राइट हैंडेड हैं यानी दाएं हाथ से ज्यादा काम लेते हैं. बिल्कुल ऐसा ही एक सीन 'वॉर' में भी था. इस सीन में ऋतिक अपना दायां हाथ जरूर इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इस बार डिवाइस का साइज बड़ा था और उनका वो एक्स्ट्रा अंगूठा इसके पीछे छिप जाता है. ऐसे कई सीन आपको ऋतिक की कई पिछली फिल्मों में मिल जाएंगे.
'विक्रम वेधा' के टीजर में ये एक चीज बदलती दिखती है. टीजर के पहले सीन और आखिरी सीन में ऋतिक का ये एक्स्ट्रा अंगूठा आपको फ्रेम में साफ दिखेगा. बल्कि 'विक्रम वेधा' टीजर के सीन में जब ऋतिक, टेबल पर सैफ के आगे रखे गिलास को सरकाते हैं तो उनके पास पूरा चांस था कि वो सिर्फ अपने बाएं हाथ से ऐसा कर सकते थे. लेकिन इस पूरे फ्रेम को देखकर यही लगता है कि जैसे पुष्कर-गायत्री चाहते थे कि ऋतिक का अंगूठा जरूर कैप्चर हो.
टीजर से ही पता लग रहा है कि ऋतिक के किरदार में वो डार्क शेड्स हैं जो अभी तक उनके निभाए किरदारों में नहीं दिखे हैं. वैसे तो ऋतिक ने स्क्रीन पर आतंकवादी का किरदार भी निभाया है. लेकिन डार्क होना और नेगेटिव होना दो अलग बाते हैं. जैसे नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने नेगेटिव किरदार तो बहुत निभाए हैं, मगर 'रमन राघव 2.0' जितने डार्क वो और किसी रोल में नहीं दिखे.
जितना 'विक्रम वेधा' के टीजर में दिख रहा है, उस हिसाब से ये फिल्म ऋतिक का स्क्रीन पर सबसे डार्क मोमेंट है. और ऐसा लगता है कि उनके किरदार के 'विकेड' यानी शैतानी या सनकी टोन को दिखाने के लिए पुष्कर-गायत्री ने उनके एक्स्ट्रा अंगूठे को एक एलिमेंट बना लिया है. जिसने भी तमिल 'विक्रम वेधा' देखी है और कहानी जानते हैं, वो सहमत होंगे कि इस तरह की थ्रिलर फिल्म में ये साइकोलॉजी वाली गेम कितनी दिलचस्प लगेगी. क्योंकि एक मेजोरिटी जनता के मन में, हाथ में एक्स्ट्रा उंगली के साथ जुड़ी ये 'विकेड' वाली फीलिंग पहले से सेट है.
ऋतिक रोशन और विजय सेतुपति
'विक्रम वेधा' का टीजर देखने के बाद बहुत लोग ऋतिक और विजय सेतुपति में तुलना कर रहे हैं. विजय सेतुपति एक्टिंग के क्राफ्ट में कितने पहुंचे हुए कलाकार हैं, इसपर घंटों बात की जा सकती है. ऋतिक की परफॉरमेंस भी समय के साथ कितनी मंझ रही है इसका एक सबूत है 'सुपर 30' में बच्चों का रिजल्ट आने के बाद उनका रोने वाला सीन. 'सुपर 30' के ट्रेलर में ऋतिक के मेकअप और एक्सेंट से खार खाए लोग भी फिल्म के इस सीन में ऋतिक की तारीफ करने लगे थे.
वेधा के किरदार में विजय और ऋतिक की परफॉरमेंस में एक बड़ा अंतर साफ नजर आ रहा है. ये अंतर दोनों के एक्टिंग टैलेंट का नहीं है, बल्कि दोनों की पर्सनालिटी से कैरेक्टर को मिल रहे गुणों में है. एक एक्टर की परफॉरमेंस में उसकी फिजिकैलिटी का एक बड़ा रोल होता है. विजय अपने अपीयरेंस में कतई कन्वेंशनल नहीं हैं और स्क्रीन पर हीरो वाले फॉर्मूला से बिल्कुल अलग हैं. जब वो खूंखार टाइप किरदार निभाते हैं तो उनकी बॉडी और बॉडी लैंग्वेज इसे ज्यादा खतरनाक बना देती है. जैसा कि हाल ही में आपने 'विक्रम' में देखा होगा. उनका एकदम साधारण दिखना और अचानक से हिंसक हो जाना एक जोरदार कंट्रास्ट हैं.
बहुत लोगों का कहना है कि विजय सेतुपति जब वेधा बने तो एक सटल एलिमेंट भी था, जबकि ऋतिक गुंडई का टशन मार रहे हैं. समझना ये है कि ऋतिक के केस में उनकी फिजिकैलिटी अलग तरीके से डार्क कैरेक्टर को कंट्रास्ट देगी. उनका अपना एक स्वैग है, इसलिए जब सेम किरदार वो निभाएंगे, तो उसका रंग अलग निकलेगा. ऋतिक बिना शक बहुत हैंडसम हैं इसलिए उन्हें इस तरह भयानक एक्ट करते देखना, उन्हें एक स्टाइलिश आदमी के तौर पर देखते आ रहे दर्शक को अजीब भी लग सकता है. 'सुपर 30' में उनका लुक देखकर भी लोगों का ओपिनियन काफी बंटा हुआ था.
'विक्रम वेधा' पूरी तो अभी किसी ने नहीं देखी, इसलिए ऋतिक की परफॉरमेंस को अभी से अच्छा नहीं कहा जा सकता. लेकिन बिना फिल्म देखे, उसी किरदार को विजय सेतुपति से अलग निभाने के लिए आलोचना करना भी गलत है. याद रखिए कि लोगों को 'अर्जुन रेड्डी' में विजय देवरकोंडा और 'कबीर सिंह' में शाहिद कपूर, दोनों का काम अपने-अपने तौर पर बेहतरीन लगा था. (कहानी की दिक्कतों को साइड में रख कर देखें.)
एक और साउथ रीमेक
सोशल मीडिया पर अचानक से बॉलीवुड फिल्मों की एक और आलोचना शुरू हो गई है, जिसका सेंटर होता है कि 'ये तो साउथ का रीमेक है!' इसमें दिक्कत क्या है? 'सिंघम' 'तेरे नाम' या 'गजनी' कोई हल्की फिल्में नहीं थीं, जबकि ये सभी साउथ फिल्मों का रीमेक थीं. साउथ की बहुत सारी बेहतरीन कहानियां ऐसी हैं जो हिंदी सिनेमा देखने वालों ने नहीं देखी. ऐसी बहुत सारी कहानियां रीजनल लैंडस्केप से जुड़ी होती हैं और शहर इनमें किसी किरदार की तरह होते हैं. तमिल 'विक्रम वेधा' में गैंगस्टर का ड्रग बिजनेस शिप्स और डॉकयार्ड पर काम करने वाले लोगों से बहुत गहरा जुड़ा है.
हिंदी 'विक्रम वेधा' में कहानी लखनऊ में बेस्ड है. इसमें शिप्स नहीं फिट हो सकते. एक फिल्म में नॉर्थ चेन्नई का लैंडस्केप है, दूसरी में लखनऊ का. तमिल वाली नियो-नॉएर फिल्म थी, तो बॉलीवुड वाली स्टाइल भरी थ्रिलर ड्रामा लग रही है. एक्टर्स अलग हैं, कहानी की सेंसिबिलिटी अलग हैं. ऐसे में दिक्कत का स्कोप बनता तो नहीं है. KGF जैसी फिल्म जिसकी कहानी खुद मुंबई से गहरी जुड़ी है, उसका हिंदी रीमेक बनाने का सेन्स सच में नहीं बनता. मगर 'विक्रम वेधा' जैसी कहानी में ये सब देखना सिर्फ जबरदस्ती की नुक्ता-चीनी है.
कुछ महीने पहले आई शाहिद कपूर की 'जर्सी', इसी टाइटल की तेलुगू फिल्म का रीमेक थी. एक ही डायरेक्टर ने दोनों फिल्में बनाईं, लेकिन दो बिल्कुल अलग मिजाज के शहरों हैदराबाद और चंडीगढ़ ने एक ही कहानी को दो अलग-अलग रंग दिए. दोनों फिल्में अपने आप में बेहतरीन हैं.
यानी कुल मिलकर बात ये है कि पहले फिल्म देख लीजिए फिर तय कीजिए. 'विक्रम वेधा' एक बांध के रखने वाली कहानी है. पुष्कर-गायत्री अपनी ही तमिल फिल्म को हिंदी सेंसिबिलिटी और स्टाइल के साथ, एक नए अंदाज में ला रहे हैं. फिल्म का स्केल भी पहले से बड़ा है. सैफ अली खान और ऋतिक रोशन दमदार एक्टर कहलाने लायक पर्याप्त काम कर चुके हैं.
इसलिए इंतजार करते हैं 30 सितम्बर का, जब फिल्म थिएटर्स में रिलीज होगी. अभी से फिल्म को नेगेटिव ट्रीटमेंट क्यों देना. और अभी तो फिल्म का पूरा ट्रेलर भी आना बाकी है, तब हमें और जानने को मिलेगा कि फिल्म हमारे लिए क्या लेकर आ रही है.