
सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर सिर्फ संगीत ही नहीं बल्कि लोगों के दिलों पर भी राज करती थीं. उनके मिलनसार मिजाज और दयालुता के किस्से आम हैं. पर लता अपने खास लोगों को अक्सर तोहफा भी भेजा करती थीं. आजतक के इवेंट 'श्रद्धांजलि तुम मुझे भूला ना पाओगे' में उदित नारायण ने लता जी के उस तोहफे का जिक्र किया जो हमेशा उनके करीब रहेगा.
उदित ने लता मंगेशकर संग अपनी मुलाकातों को याद करते हुए यह किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा- पहली मुलाकात- नेता जी स्टेडियम फिर बाटा, पुणे में एक चैरिटी शो में लता जी से मेरी मुलाकात हुई थी. फिर बेंगलुरू में एक कार्यक्रम था और इत्तेफाक से 1 दिसंबर का दिन था जो कि मेरा जन्मदिन है. जब लता जी को मेरे जन्मदिन का पता चला तो उन्होंने मुझे सोने की चेन तोहफे में दी. इस तोहफे के साथ ही उन्होंने मुझे खास टाइटल भी दिया था.
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5-6 साल की उम्र में पहली बार सुनी लता जी की आवाज: उदित नारायण
उदित नारायण ने लता जी की आवाज का वो पल बताया जब वे पहली बार लता जी की आवाज सुन मंत्रमुग्ध हो गए थे. सिंगर ने कहा- 'मैं लगभग 5-6 साल का था. उस वक्त बैलगाड़ी पर गाने बजते थे. उसमें लता जी का गाना बज रहा था. मैं उस बैलगाड़ी में गाना सुन उसके पीछे पीछे दौड़ता चला गया. सोचिए मैं उनकी आवाज को सुनते हुए मीलों दूर तक चला गया. उस वक्त से ही मेरे दिमाग मेरे जेहन में लता मंगेशकर जी का नाम छप गया था.'
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लता मंगेशकर संगीत की दुनिया का कोहीनूर थीं: उदित
दिग्गज गायक ने लता जी की तारीफ में कहा 'वे संगीत की दुनिया का कोहिनूर थीं. कोहिनूर हीरा पूरी दुनिया में एक ही है. लता जी वही थीं. ये बिना तपस्या के नहीं हो सकता. उनकी जो तपस्या थी, उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी संगीत से कभी अपना रास्ता अलग नहीं किया, यहां तक कि शादी भी नहीं की. उन्होंने संगीत को सबकुछ सौंप दिया.'