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Oscar की रेस में 'Writing With Fire', चर्चा में दलित महिला पत्रकार की ये कहानी

94वें Academy Award (Oscars) में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर कैटेगरी में नाम‍िनेट हुई इस भारतीय डॉक्यूमेंट्री ने कमाल कर दिखाया है. दो डेब्यूटेंट डायरेक्टर्स सुष्म‍ित घोष और रितु थॉमस ने अपने निर्देशन में बनाई पहली फिल्म को इतनी बारीकी से पर्दे पर उतारा है कि इसे दुन‍ियाभर में प्रशंसा मिल रही है. आइए बताते हैं इस क्या है फिल्म की कहानी.

राइट‍िंंग व‍िद फायर (स्क्रीनग्रैब) राइट‍िंंग व‍िद फायर (स्क्रीनग्रैब)
प्रिया शांडिल्य
  • नई द‍िल्ली ,
  • 10 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:45 PM IST
  • ऑस्कर के ल‍िए इंड‍ियन डॉक्यमेंट्री का नॉम‍िनेशन
  • दल‍ित मह‍िला पत्रकार की मुश्क‍िलों को दिखाती

'Writing with Fire'...जब फिल्म का टाइटल ही ऐसा हो तो आग लगना तय था. पत्रकार‍िता के क्षेत्र में मह‍िलाओं का होना अपने आप में बड़ी बात है. और जब दल‍ित मह‍िलाओं ने इसे अपना कर‍ियर बनाकर समाज में बदलाव लाने की कोश‍िश की तो मुश्क‍िलें तो होनी ही थी. लेक‍िन जिसके हाथ में कलम जैसा हथ‍ियार हो भला उसे कितनी देर कोई चुप रख सकता है. इन मह‍िला पत्रकारों की इसी कठ‍िनाई को दर्शाती है 'राइट‍िंग विद फायर'. 

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94वें Academy Award (Oscars) में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर कैटेगरी में नाम‍िनेट हुई इस भारतीय डॉक्यूमेंट्री ने कमाल कर दिखाया है. दो डेब्यूटेंट डायरेक्टर्स सुष्म‍ित घोष और रितु थॉमस ने अपने निर्देशन में बनाई पहली फिल्म को इतनी बारीकी से पर्दे पर उतारा है कि इसे दुन‍ियाभर में प्रशंसा मिल रही है. आइए बताते हैं इस क्या है फिल्म की कहानी. 

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राइट‍िंंग व‍िद फायर स्क्रीनग्रैब

अखबार की खास‍ियत

सबसे पहले पर‍िचय करा दें भारतीय अखबार 'Khabar Lahariya' से जो हिंदी सह‍ित बुंदेली, अवधी जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाश‍ित होती है. 2002 में स्थाप‍ित खबर लहर‍िया आज आठ पन्नों का साप्ताह‍िक अखबार है. इसका पहला अंक मई 2002 में उत्तर प्रदेश के च‍ित्रकूट स्थ‍ित करवी टाउन से हुआ था. देखते ही देखते अखबार की पहुंच बढ़ने लगी और फरवरी 2013 में अखबार के डिजिटल वेबसाइट को लॉन्च किया गया. 

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इस अखबार को कव‍िता देवी और मीरा जाटव ने शुरू किया था. अखबार की सबसे खास बात ये है कि इसे केवल मह‍िला पत्रकारों द्वारा संचाल‍ित किया जाता है. सभी पिछड़े वर्ग की मह‍िलाएं हैं लेक‍िन इनका काम देख उनकी जात‍ि को बीच में लाना अनुच‍ित है. हालांक‍ि जानकारी के तौर पर हम ये दे रहे हैं. 

इस अखबर में मह‍िलाएं ही रिपोर्ट्स हैं मह‍िलाएं ही एड‍िटर्स हैं, यहां तक क‍ि वे इसे प्रोड्यूस भी करती हैं, मार्केट‍िंग भी और इसका ड‍िस्ट्र‍िब्यूशन भी. समाज की सभी अंदरुनी खबरें भी गांव की मह‍िला पत्रकार देती हैं. फिल्म में यह काफी अच्छे से दिखाया गया है. फिल्म के ट्रेलर को देखें तो ये इतनी वास्तव‍िक है क‍ि लगता ही नहीं ये कोई डॉक्यूमेंट्री है. 

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क्या है राइट‍िंग विद फायर की कहानी? 

यह डॉक्यूमेंट्री दल‍ित मह‍िला पत्रकारों के ऊपर आधार‍ित है जो 14 साल के प्र‍िंट जर्नल‍िज्म (अखबार) से अब डिज‍िटल जर्नल‍िज्म (न्यूज वेबसाइट) में श‍िफ्ट होती है. इसके लिए वे बस अपना स्मार्टफोन का इस्तेमाल करती हैं. ये पत्रकार देश के मुश्क‍िल इलाके में जाकर सच को सामने लाने में अपनी पूरी ताकत झोंक देती हैं. चीफ र‍िपोर्टर मीरा और क्राइम रिपोर्टर सुनीता इस डॉक्यूमेंट्री में अहम रोल में हैं. सभी समाज की उन कहान‍ियों को भी सामने लाते हैं जो शायद कहीं और ना मिले. 

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लेक‍िन उनके लिए ये काम आसान नहीं होता है. डिजिटल न्यूज के लिए उनके पास स्मार्टफोन तो है पर क्या हर कोई उन्हें रिकॉर्ड‍िंग की इजाजत दे देता है, या सच को सामने लाना इतना आसान होता है. घर-पर‍िवार भी है, उन्हें भी समय देना है. हादसे का कोई समय नहीं है जिसे कवर करने के लिए रात-बेरात उन्हें काम पूरा करना होता है. और भी कई परेशान‍ियों से जूझती ये जांबाज पत्रकार, समाज के विकास में अपना योगदान देती हैं.   

राइट‍िंंग व‍िद फायर स्क्रीनग्रैब

डॉक्यमेंट्री बनाने में लगे 5 साल 

राइट‍िंग विद फायर डॉक्यूमेंट्री को बनाने में पांच साल लगे हैं. सालों की इस मेहनत का फल आज सभी के सामने है. इसे Sundance Film Festival में सबसे पहले प्रीमियर किया गया था. और यहीं से डॉक्यमेंट्री पर पॉज‍िट‍िव रिस्पॉन्स आने शुरू हो गए थे. यहां इसे स्पेशल जूरी अवॉर्ड, ऑड‍ियंश अवॉर्ड से सम्मान‍ित किया गया था. इसके बाद कई इंटरनेशनल फिल्म फेस्ट‍िवल में इस इंड‍ियन डॉक्यमेंट्री ने अवॉर्ड जीते. मंगलवार को एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के सबसे प्रतिष्ठ‍ित अवॉर्ड में राइट‍िंग विद फायर का नॉम‍िनेशन एक भावुक पल था. 27 मार्च 2022 को अकेडमी अवॉर्ड्स के विनर्स की घोषणा की जाएगी. उम्मीद है इस बार भारत के ह‍िस्से भी ऑस्कर होगा.  . 

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