
देशभक्ति या किसी फेमस पर्सनैलिटी पर फिल्म बनाने का एक फायदा होता है कि आपको ये पता होता है कि कहानी की डोर को पकड़े रहना है. लेकिन सबसे बड़ा चैलेंज होता है उस किरदार को पर्दे पर जीकर दिखाना जिसकी कहानी वहां कही जा रही है. उस उम्मीद पर खरे उतरना बेहद मुश्किल काम होता है.
इस हफ्ते सारा अली खान स्टारर 'ऐ वतन मेरे वतन' अमेजन प्राइम पर स्ट्रीम हुई है. जो कि एक बायोपिक है. फिल्म की कहानी क्रांतिकारी उषा मेहता के जीवन पर आधारित है, जिन्हें एक सच्ची गांधीवादी और कांग्रेस रेडियो की फाउंडर के रूप में भी जाना जाता है. तो चलिए आपको बताते हैं कैसी है ये फिल्म और किरदार को जीवंत करने में सारा अली खान कितनी खरी उतर पाईं.
क्या है कहानी
जैसा कि नाम और ट्रेलर से ही क्लियर है, ये एक देशभक्ति फिल्म है, जो कि फ्रीडम फाइटर उषा मेहता के क्रांतिकारी जीवन पर बेस्ड है. एक 9 साल की बच्ची जिसके मन में आजाद भारत का सपना पल रहा है. बड़े होते होते वो सपना एक जज्बे में बदल चुका है. और बस अब क्रांति लाने को तैयार उषा घर और अपना परिवार तक छोड़ देती है. उषा अपने कर्तव्य पर इतनी अडिग है कि महात्मा गांधी से मिलने के बाद ब्रह्मचार्य अपनाने की कसम तक खा लेती है. लेकिन सभी लीडर्स के अरेस्ट होने के बाद कैसे अंडरकवर कांग्रेस रेडियो की शुरुआत करती है. उषा सभी क्रांतिकारियों के दिल में ठंडी पड़ती जा रही आजादी की आग को फिर से जलाने का काम करती है, ये दिखाया गया है.
कैसा है कहानी का ट्रीटमेंट
एक बायोपिक को पर्दे पर ऐसे दिखाना कि वो सच्ची कहानी तो दिखाए लेकिन उस सार्वजनिक कहानी से थोड़ी अलग भी लगे, बहुत मुश्किल काम है. फिल्म इस पैमाने पर बहुत हद तक खरी उतरी है. फिल्म में उषा की पर्सनल लाइफ को पूरी तरह से नहीं कुरेदा गया है. फिल्म का सेंटर पॉइंट रेडियो के गठन और उसके संचालन पर रखा गया है. कैसे बचपन में उषा के जज साहब पिता एक रेडियो लेकर आते और ब्रिटिश पुलिस से मार खाई बेटी चहक कर डांस करने लग जाती है. इसके बाद वही बेटी एक रेडियो प्रेजेंटर के घर में उसी यंत्र को देख फिर इनफ्लुएंस हो जाती है.
फिल्म में उषा का लव ट्रायंगल भी दिखाया गया है. लेकिन वो इसकी वजह से आजादी के अपने सपने को पूरा करने से बिल्कुल भी भटकती दिखाई नहीं देती है. फिल्म एक 9 साल की बच्ची की मासूमियत के साथ शुरू होती है, और 20-22 साल के युवाओं के मासूम से जज्बे पर खत्म होती है- जिन्हें चाहिए सिर्फ आजादी. फिल्म एक लाइन पर चलती है, देखते हुए आप कहीं खोएंगे नहीं, लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं कि आप अपनी जगह से उठकर खड़े हो जाएंगे और वंदे मातरम का नारा लगाने लगेंगे. कुल मिलाकर कहें तो फिल्म एक बार तो जरूर देखी जा सकती है.
फिल्म की कास्ट ने दिया साथ
फिल्म में सारा अली खान ने उषा मेहता का किरदार निभाया है, तो वहीं राम मनोहर लोहिया बने हैं इमरान हाशमी. सारा के दो दोस्त हैं- कौशिक (अभय वर्मा) और फहाद (स्पर्श श्रीवास्तव). सारा के पिता का रोल निभाया है सचिन खेड़ेकर ने और एलेक्स ओ'नील बने हैं वो पुलिस वाले जो उषा को गिरफ्तार कर टॉर्चर करने का काम करते हैं.
बड़ी सीधी बात में आपको बता देते हैं कि फिल्म की सभी कास्ट ने अच्छा काम किया है. अपने-अपने रोल में हर कोई सधा हुआ नजर आया है. अभय और फहाद एक अच्छे दोस्त के रूप में सारा का बखूबी साथ देते दिखे हैं, तो वहीं पिता के रोल में सचिन भी बेहतरीन हैं. लेकिन बात करें लीड एक्ट्रेस सारा अली खान की तो अगर हम कहें कि ये उनके करियर में अब तक की बेस्ट फिल्म रही तो गलत नहीं होगा. बतौर एक्टर सारा में इम्प्रूवमेंट साफ दिखाई दिया. सारा में वो चंचलता नजर आई है जो एक युवा क्रांतिकारी में दिखनी चाहिए. वहीं इमरान हाशमी को देखकर कहा जा सकता है कि उन्होंने अपनी क्षमता के हिसाब से कम प्रदर्शन किया.
ऐ वतन मेरे वतन फिल्म को कनन अय्यर ने डायरेक्ट किया है और लिखने में उनका साथ दिया है दरब फारुकी ने. फिल्म करण जौहर, अपूर्व मेहता और सोमेन मिश्रा के प्रोडक्शन तले बनाई गई है. फिल्म अमेजन प्राइम पर स्ट्रीम हो रही है, तो अब आप भी जाकर देख लीजिए और हमें बताइये कि ये 133 मिनट की फिल्म आपको कैसी लगी?