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Film Review: सस्पेंस थ्रिलर और कॉमेडी का मजा है 'बैंक चोर'

मुख-विवेक ओबेरॉय की जोड़ी एक बार फिर से आपको हंसाने की कोशिश में जुट गई है, फिल्म के रिलीज से पहले चोरी के पोस्टर, रोस्ट, चोरी का ट्रेलर, चोरी के इंटरव्यू जैसे कई प्रोमोशनल कैम्पेन किए गए हैं और अब फाइनली यह फिल्म रिलीज हो गई है.

फिल्म 'बैंक चोर' फिल्म 'बैंक चोर'
आर जे आलोक
  • मुंबई,
  • 16 जून 2017,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST

फिल्म का नाम: बैंक चोर
डायरेक्टर: बम्पी
स्टार कास्ट: रितेश देशमुख, विवेक ओबेरॉय , विक्रम थापा, भुवन अरोड़ा, साहिल वैद, रिया चक्रवर्ती, बाबा सहगल
अवधि: 2 घंटा
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 3 स्टार

डायरेक्टर बम्पी इस फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू कर रहे हैं और रितेश देशमुख-विवेक ओबेरॉय की जोड़ी एक बार फिर से आपको हंसाने की कोशिश में जुट गई है, फिल्म के रिलीज से पहले चोरी के पोस्टर, रोस्ट, चोरी का ट्रेलर, चोरी के इंटरव्यू जैसे कई प्रोमोशनल कैम्पेन किए गए हैं और अब फाइनली यह फिल्म रिलीज हो गई है, आखिर कैसी बनी है यह फिल्म आइए फिल्म की समीक्षा करते हैं.

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कहानी
यह कहानी मुंबई के रहने वाले चंपक (रितेश देशमुख) और उसके दिल्ली के रहने वाले दो दोस्तों (गुलाब और गेंदा) की है, जो बैंक ऑफ इंडियंस नामक बैंक लूटने जाते हैं, इसी बीच कहानी में ट्विस्ट आता है जब सीबीआई का ऑफिसर अमजद खान (विवेक ओबरॉय) बैंक के बाहर इस वाकये की शिनाख्त के लिए आता है. इंटरवल के ठीक पहले कहानी में एक और मोड़ आता है जो आपको सरप्राइज करता है. मीडिया, मिनिस्टर, पुलिस और चोर के बीच अंतत: क्या रिजल्ट आता है, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
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जानिए आखिर फिल्म को क्यों देख सकते हैं
फिल्म की लिखावट बहुत ही बढ़िया है. हंसी वाले पंच, ट्विस्ट, टर्न्स, संवादों का आदान-प्रदान गजब का है. गंभीर सिचुएशन में भी कॉमेडी के पंच हंसाते हैं. स्क्रीनप्ले भी कमाल है.

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बंपी का डायरेक्शन, सिनेमेटोग्राफी और कैमरा वर्क कमाल का है. साथ ही बिफोर और आफ्टर के सीक्वेंस दिखाने का स्टाइल भी बहुत उम्दा है. फिल्म डिमानिटाइजेशन से पहले शूट की गई थी, जिसकी वजह से नए नोटों को सटीक तरह से एडिट किया गया है.

रितेश देशमुख का काम बहुत ही गजब का है जिसमें कई वैरियेशन आते हैं और आपको वो हंसाने के साथ-साथ सोचने पर भी विवश करते हैं. बाकी दो चोरों के रूप में विक्रम थापा और भुवन अरोड़ा का काम भी सुपर है. विवेक ओबरॉय का काम अच्छा है. रिया चक्रवर्ती ने भी रिपोर्टर के रूप में काम अच्छा किया है. साहिल वैद ने भी जुगनू का बहुत अहम किरदार निभाया है. बाबा सहगल ने बाकी किरदारों का काम भी अच्छा है.

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कहानी में आपको दिल्ली-एनसीआर और मुंम्बई के बीच कई सारे तुलना किए जाने वाले संवादों को सुनने का मौका मिलता है. जिसमें छोटे-छोटे रोजमर्रा की जिंदगी के वाकयों को शेयर किया गया है. बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है. जो आपको बांधे रखता है.

कमजोर कड़ियां
एक कॉमेडी थ्रिलर फिल्म है जिसमें अगर आप दिमाग लड़ाएंगे तो आपको मजा नहीं आएगा, दिमाग घर पर रखकर फिल्म का बहुत मजा आएगा. साथ ही साथ फिल्म का क्लाईमैक्स और बेहतर हो सकता था.

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बॉक्स ऑफिस
फिल्म का बजट लगभग 15 करोड़ बताया जा रहा है और फिल्म को 700-800 स्क्रीन्स में रिलीज किया जाने वाला है और वर्ड ऑफ माउथ से फिल्म की ओपनिंग और वीकेंड की कमाई अच्छी हो सकती है.

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