
भारत में आज भी कई जगहों पर शादियों में दहेज के लेन-देन की प्रथा चली आ रही है. लड़के वाले शादी में लड़की वालों से महंगे गिफ्ट्स की मांग करते हैं, जिसमें वो उनसे गाड़ी, पैसा जैसी चीजें मांगते हैं. ये चीज शहरों में तो देखी जाती ही है, लेकिन गांव-देहातों में दहेज के लेन-देन की प्रथा काफी ज्यादा चलन में होती है. अब इसी दहेज के लेन-देन की कहानी पर एक कमाल की वेब सीरीज रिलीज हुई है. अमेजॉन प्राइम वीडियो पर 'दुपहिया' नाम से वेब सीरीज आई है, जो गांव-देहात की कहानी को कॉमेडी और ह्यूमर के तड़के के साथ आपके सामने पेश करती है, जिसमें थोड़ी राजनीति भी शामिल है. सीरीज में क्या खास है, चलिए जानते हैं.
क्या है 'दुपहिया' की कहानी?
ये कहानी है बिहार के एक गांव धड़कपुर की है, जहां एक पिता बनवारी झा (गजराज राव) अपनी बेटी रौशनी (शिवानी रघुवंशी) की शादी कराना चाहता है. उसे देखने एक लड़का जरूर आता है लेकिन लड़की को उसका छोटा भाई कुबेर (अविनाश द्विवेदी) पसंद आ जाता है क्योंकि वो मुंबई में जाकर काम करने वाला है. ये सुनकर रौशनी का भाई भुगोल (स्पर्श श्रीवास्तव) भी खुशी के मारे फूला नहीं समाता है. भुगोल अपने जीजा के कंधे पर बैठकर मुंबई जाना चाहता है, क्योंकि उसे सुपरस्टार बनना होता है. इन सारी बातों में लड़के वाले दहेज में रौशनी के साथ एक दुपहिया यानी मोटरसाइकल या बाइक मांगते हैं. उस दुपहिया के साथ उसके पेट्रोल का खर्चा भी दहेज में देने की मांग रखते हैं जिसे बनवारी झा स्वीकार कर लेता है.
देखें दुपहिया का ट्रेलर:
वो कहीं ना कहीं से दुपहिया खरीदने का पैसा जुटा लेता है और खरीदकर गांव ले आता है. लेकिन एक रात वो दुपहिया चोरी हो जाती है. बनवारी झा इस पूरे मामले में रौशनी के प्रेमी अमावस (भुवन अरोड़ा) पर शक करता है लेकिन उसने दुपहिया नहीं चुराया होता है. पिछले 24 सालों से धड़कपुर 'क्राइम फ्री' गांव का खिताब जीतता आ रहा है. अब 25 साल में पहली बार गांव से कोई चोरी होती है जिसके बारे में पता चलने पर पुश्पलता यादव (रेणुका शहाणे) बनवारी झा से विनती करती है कि वो इस मामले में पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज ना कराएं ताकि गांव का 'क्राइम फ्री' रिकॉर्ड ना टूट पाए. अब कुबेर बिना दुपहिया के शादी नहीं करेगा. तो आखिर कैसे बनवारी झा अपने चोरी किए हुए दुपहिया को वापस ला पाएगा, यही इस वेब सीरीज की कहानी है.
मजेदार है कहानी, कॉमेडी का तड़का है जबरदस्त
इस सीरीज के कुल 9 एपिसोड्स हैं और सभी लगभग 30 मिनट के आसपास हैं. दुपहिया ढूंढने की इस कहानी में हर एपिसोड के अंदर कुछ ना कुछ मजेदार और रोमांचक होता रहता है जिससे ये आपको अपनी सीट से बांधे रखती है. इसमें दिखाए गए किरदार भी एकदम परफेक्ट नजर आते हैं. जिससे पता चलता है कि मेकर्स ने अपनी कहानी के लिए रिसर्च अच्छी की है. उन्होंने ऑडियंस को बिहार के गांव की सटीक प्रेजेंटेशन दिखाने की कोशिश की है. कहानी में कई सारे इमोशनल एंगल भी हैं जो आपको इससे जोड़े रखती है.
डायरेक्टर सोनम नायर ने सीरीज के काफी अच्छे से सेटअप किया है. उन्होंने इस बात का खास ध्यान दिया है कि सभी एक्टर्स सीरीज में बिहार की बोली या वहां का लेहजा ठीक से पकड़ पाएं जिससे वो अपने किरदार में फिट नजर आते हैं. 'दुपहिया' में कॉमेडी की भरमार है. हर किरदार सीरीज में ऐसा है जिसकी कॉमिक टाइमिंग बेमिसाल रही है. हर सीन के अंदर अपकी हंसी पक्का छूटती है और उसी के साथ-साथ कहानी भी आगे बढ़ती रहती है. सीरीज में चोरी होने का सस्पेंस भी अच्छा है. आप पूरे समय सोचते रहते हैं कि आखिर चोर कौन हो सकता है. आप हर किसी पर शक करेंगे लेकिन जब अंत में सस्पेंस से पर्दा उठता है वो चौंकाने वाला होता है.
एक्टर्स ने उड़ाया गर्दा, छा गए 'लापता लेडीज' वाले स्पर्श
इस सीरीज के ट्रेलर में हमें कई सारे एक्टर्स दिखाए गए थे जिन्होंने इसे मिलकर सजाया है. एक्टर गजराज राव पिता के किरदार में असरदार रहे. उन्होंने एक चिंतित और स्ट्रगलिंग पिता का रोल बहुत अच्छे से प्ले किया. वहीं रौशनी के किरदार में एक्ट्रेस शिवानी रघुवंशी भी सुंदर और मनमोहक दिखीं. उनके एक्सप्रेशन्स सही समय और सही इमोशन के साथ स्क्रीन पर नजर आए. लेकिन अगर कोई एक्टर आपको अपनी एक्टिंग से इस पूरी सीरीज में सरप्राइज कर सकता है. तो वो हैं 'लापता लेडीज' वाले दीपक यानी स्पर्श श्रीवास्तव. उनका किरदार पूरी सीरीज में शुरुआत से लेकर अंत तक छाया रहता है.
स्पर्श की कॉमिक टाइमिंग शानदार थी. उनकी हरकतें आपको हंसा-हंसाकर लोटपोट कर देंगी. उनके साथ 'फर्जी' फेम एक्टर भुवन अरोड़ा की जुगलबंदी और खींचातानी मजेदार ही लगती है. सीरीज में रेणुका शहाणे का काम भी लाजवाब है. उन्होंने गांव की नेता का किरदार निभाया है जो न्याय और गांव की इज्जत और प्रगति के लिए काम करती हैं. उनके अलावा एक्टर यशपाल शर्मा भी हैं जिन्होंने एक पुलिस ऑफिसर का रोल निभाया है जो गांव का दुपहिया ढूंढने में मदद करते नजर आते हैं. उन्हें जितने भी सीन्स वेब सीरीज में दिए गए, उसमें वो अच्छे ही लगे. उनका काम आपको किसी भी पल निराश नहीं करता है.
क्या 'दुपहिया' दिलाती है 'पंचायत' की याद?
इस सीरीज को देखकर हर किसी को यही लगता है कि ये आपको टीवीएफ की 'पंचायत' की याद दिलाएगी. उस सीरीज में भी गांव-देहात की कहानी दिखाई गई थी जहां राजनीति के चलते काफी कुछ घटता-बढ़ता रहता था. लेकन 'दुपहिया' की कहानी अलग है. इसमें राजनीति का एंगल थोड़ा ही है, इसकी पूरी कहानी गांव के लोगों और उनके संघर्ष पर है. हालांकि इसे जिस तरह से सजाया गया है उसे देखकर हर कोई कह रहा है कि इसे देखकर पंचायत की याद आती है.
अगर आपको 'पंचायत' वेब सीरीज पसंद आई है, तो 'दुपहिया' भी आपको बिलकुल निराश नहीं करने वाली है. इसकी कहानी और प्लॉट आपके दिल को पंचायत की ही तरह जरूर छूती है. इस सीरीज की खास बात ये है कि इसमें कोई गाली-गलोच का इस्तेमाल नहीं किया गया है. जिसका यही मतलब है कि आप इसे अपने पूरे परिवार के साथ बेझिझक होकर देख सकते हैं. हां इसमें थोड़े गाने हैं जो कहानी के हिसाब से अच्छे लगते हैं. अगर आप वेब सीरीज देखने में दिलचस्पी रखते हैं तो 'दुपहिया' आपको पसंद आने वाली है.