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Film Review: साहस, संयम और जीत की असली दास्तां 'एयरलिफ्ट'

अक्षय कुमार अक्सर असल जिंदगी पर आधारित कहानियों का हिस्सा बनते रहते हैं, पहले वे स्पेशल छब्बीस में अभिनय करते हुए दिखाई दिए, अब कुवैत से भारतीयों को छुड़ाए जाने वाले ऑपरेशन पर आधारित फिल्म 'एयरलिफ्ट' में अक्षय ने काम किया है. आइए जानते हैं आखिर क्या है 'एयरलिफ्ट' की कहानी.

फिल्म 'एयरलिफ्ट' फिल्म 'एयरलिफ्ट'
सना जैदी/आर जे आलोक
  • नई दिल्ली,
  • 22 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 8:52 AM IST

फिल्म का नाम: एयरलिफ्ट
डायरेक्टर: राजा कृष्णा मेनन
स्टार कास्ट: अक्षय कुमार, निमरत कौर, पूरब कोहली, कुमुद मिश्रा, लेना, इनामुल हक
अवधि: 2 घंटा 04 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 3.5 स्टार

अक्षय कुमार अक्सर असल जिंदगी पर आधारित कहानियों का हिस्सा बनते रहते हैं, पहले वो स्पेशल छब्बीस में अभिनय करते हुए दिखाई दिए. अब कुवैत से भारतीयों को छुड़ाए जाने वाले ऑपरेशन पर आधारित फिल्म 'एयरलिफ्ट' में अक्षय ने काम किया है. आइए जानते हैं आखिर क्या है 'एयरलिफ्ट' की कहानी.

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कहानी:
यह कहानी कुवैत में रहने वाले भारतीय मूल के बिजनेसमैन रंजीत कटियाल (अक्षय कुमार) की है. रंजीत अपनी बीवी अमृता कटियाल (निमरत कौर) और बच्ची के साथ कुवैत में रहते हुए अच्छा कारोबार कर रहा होता है. रंजीत उन भारतीय मूल के लोगों में से है जिसे भारत वापसी करने में कोई भी इंट्रेस्ट नहीं है और सिर्फ मुनाफे का काम करते हुए कहानी आगे बढ़ती है. कई मोड़ लेते हुए अचानक से इराक और कुवैत के बीच जंग छिड़ जाती है जिसकी वजह से वहां मौजूद भारतीय मूल के लोगों को युद्ध के दौरान भारत वापस भेजे जाने की कवायद शुरू हो जाती है. रंजीत कटियाल खुद ना जाकर वहां मौजूद 1 लाख 70 हजार भारतीयों को देश वापसी कराने पर ध्यान देता है, इस दौरान कई घटनाएं भी घटती हैं जिसे जानने के लिए आपको थिएटर तक जाना होगा.

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स्क्रिप्ट:
फिल्म की स्क्रिप्ट असल जिंदगी की घटना पर आधारित है. जिसके राइटर डायरेक्टर राजा कृष्णा मेनन ने सुरेश नायर, राहुल नांगिया, और रितेश शाह के साथ मिलकर बहुत अच्छा ड्राफ्ट लिखा है. युद्ध के दौरान जब इराक की सेना कुवैती लोगों को मार रही थी उस दौरान भारतीयों और कुवैतियों में अंतर को कैसे पहचाने, उसे भी राजा ने अच्छे ढंग से दर्शाया है. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भी कमाल की है जिसके लिए प्रिया सेठ बधाई की पात्र हैं. वैसे तो फिल्म की शुरुआत के 5 मिनट आपको बांध देते हैं लेकिन फर्स्ट हाफ में कहानी धीरे-धीरे फैलने लगती है, जिसे थोड़ा टाइट किया जा सकता था. लेकिन फिल्म का सेकंड हाफ फास्ट और दिलचस्प है, जो आपको फिर से बांधे रखता है. फिल्म के आखिर में क्रेडिट्स के दौरान आने वाली जानकारियां भी एक अच्छा प्रभाव छोड़कर जाती हैं.

अभिनय:
अक्षय कुमार ने एक बार फिर से अपने किरदार के लिए भरसक प्रयास किया है. उनका उम्दा अभिनय देखना भी एक ट्रीट जैसा है. हम ये कह सकते हैं कि अक्षय कुमार की सर्वोच्च एक्टिंग आप इस फिल्म में देख सकते हैं. अक्षय का खासतौर से एक सीन जब भारतीय तिरंगा आसमान में लहराता है तो उनके चेहरे के भाव को देखते ही आप भी भावुक हो जाते हैं. वहीं एक पत्नी के रूप में निमरत कौर ने भी अच्छा काम किया है. फिल्म के बाकी कलाकारों जैसे पूरब कोहली ने ठीक ठाक काम किया है. इनामुल हक ने बेहतरीन तरीके से अरबी लहजे को बोलते हुए काबिल ए तारीफ अभिनय किया है. वहीं कुमुद मिश्रा ने अपने किरदार के साथ शत प्रतिशत न्याय किया है, जो दिल को छू जाता है.

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संगीत:
फिल्म का संगीत, कहानी के हिसाब से सही है. अंकित तिवारी और अमाल मलिक ने अच्छा म्यूजिक दिया और तर्कसंगत गीतों को कुमार ने अपनी लेखनी से सजाया है. साथ ही अरिजीत सिंह ने अपनी लाजवाब आवाज दी है.

कमजोर कड़ी:
असल घटनाओं पर आधारित इस फिल्म के फर्स्ट हाफ का स्क्रीनप्ले थोड़ा कमजोर सा लगता है. सब कुछ इतनी आसानी से होता हुआ दिखाई देता है जैसे कि 1 लाख 70 हजार लोगों का रेस्क्यू कोई आसान काम हो. फर्स्ट हाफ थोड़ा और बेहतर हो सकता है.

क्यों देखें:
अगर आप अक्षय कुमार के दीवाने हैं, असली घटनाओं पर आधारित फिल्में देखना पसंद है, तो एक बार 'एयरलिफ्ट' जरूर देख सकते हैं.

 

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