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FILM REVIEW: 'ओशो रजनीश' की बाल्यावस्था से किशोरावस्था तक की कहानी है 'रेबेलियस फ्लावर'

'रेबेलियस फ्लावर', 'ओशो रजनीश' पर आधारित एक फिल्म है, अगर आपको लगता है कि‍ यह फिल्म उस ओशो रजनीश की बात कहती है, जो सेक्स, पावर स्ट्रगल और विवादों के लिए जाने जाते थे, तो आप गलत हैं. यह फिल्म, ओशो की बाल्यावस्था की कहानी है.

पूजा बजाज
  • मुंबई,
  • 14 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 6:40 PM IST

फिल्म का नाम: रेबेलियस फ्लावर
डायरेक्टर: कृशन हूडा
स्टार कास्ट: मंत्रा, प्रिंस शाह, शशांक शेखर, बच्चन पचेरा
अवधि: 1 घंटा 50 मिनट
सर्टिफिकेट: U
रेटिंग: 3.5 स्टार

'रेबेलियस फ्लावर', 'ओशो रजनीश' पर आधारित एक फिल्म है, अगर आपको लगता है कि‍ यह फिल्म उस ओशो रजनीश की बात कहती है, जो सेक्स, पावर स्ट्रगल और विवादों के लिए जाने जाते थे, तो आप गलत हैं. यह फिल्म, ओशो की बाल्यावस्था की कहानी है.

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ओशो 70 और 80 के दशक में देश-विदेश तक अपने सिद्धांतो के लिए जाने जाते थे, अमेरिका के प्रेसिडेंट रोनाल्ड रीगन ने उस जमाने में 'ओशो' को 'तड़ीपार' घोषित कर दिया था क्योंकि ओशो के फॉलोवर्स ने अमेरिका की एक बंजर जमीन को 'रजनीशपुरम' नामक शहर में तब्दील कर दिया था. ओशो के फॉलोवर्स की ताकत सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक बहुत ज्यादा हुआ करती थी. लेकिन 'रेबेलियस फ्लावर' उस ओशो की कहानी नहीं है जिसने 'संभोग से समाधि तक' जैसी किताब लिखी.

'रेबेलियस फ्लावर' मुंबई के समीप 'पुणे' में स्थित ओशो सन्यासी डॉक्टर स्वामी जगदीश भारती की देख रेख में बनाई गयी है, ओशो की गैर आधि‍कारिक बायोग्राफी को स्क्रीनप्ले में बखूबी उतारने का काम जगदीश भारती ने किया है. हालांकि फिल्म के डायरेक्टर कृशन हूडा हैं, जो एक ओशो फॉलोवर तो नहीं हैं लेकिन उन्होंने फिल्म को ओशो के बाल्यावस्था के मद्देनजर जीवंत जरूर किया है.

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'रेबेलियस फ्लावर' कहानी है उस ओशो की जिसने अपने 'बाल्यावस्था' में ऐसे सवाल पूछे, जिसका जवाब काफी मुश्किल हुआ करता था. ओशो नेधर्म के प्रचारक से जुड़े कई सवाल पूछे जिसका जवाब किसी के पास नहीं था.

फिल्म में चाइल्ड एक्टर प्रिंस शाह बचपन के ओशो के किरदार में हैं वहीं शशांक शेखर ने किशोरावस्था के ओशो का किरदार निभाया है. ओशो की जिंदगी में तीन बाबाओं (मग्गा बाबा, पग्गल बाबा और मस्तो बाबा) का अहम रोल था, जिसे एक्टर मंत्रा ने निभाया है.

फिल्म को देश विदेश में कई फिल्म समारोहों में दिखाया जा चुका है, तो अगर आपको अध्यात्म में यकीन है, एक साफ सुथरी और छोटे बालक के सवालों पर आधारित फिल्म देखना चाहते हैं और ओशो की जिंदगी से जुड़ी कई अनकही बातों के बारे में जानने की इच्छा रखते हैं तो आप यह फिल्म देख सकते हैं.

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