
हम आज ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां हमारे लिए फोन से बड़ी चीज कुछ नहीं है. हम अपने मोबाइल फोन के प्यार में हैं. हमारी जिंदगी की पहली और आखिरी मोहब्बत वो फोन ही है, जिसमें हम सबने अपने व्यक्तित्व का बड़ा हिस्सा, अपने सीक्रेट और छोटी-छोटी ऐसी चीजें छुपाई हुई हैं, जिनपर अगर किसी की गलती से ही नजर पड़ जाए तो जाने क्या हो! सोचकर ही डर लग रहा है न? जुनैद खान और खुशी कपूर की फिल्म 'लवयापा' में कुछ ऐसा ही हो रहा है. ऊपर से सिंपल से दिखने वाली ये फिल्म, अंदर से बहुत गहरी है. कैसे? आइए आपको बताएं.
क्या है 'लवयापा' की कहानी?
गौरव सचदेवा (जुनैद खान) उर्फ गुच्ची और बानी शर्मा (खुशी कपूर) उर्फ बानी बू एक दूसरे से प्यार करते हैं. 24 साल के दोनों प्रेमी एक दूसरे के लिए पागल हैं. महंगे गिफ्ट्स से लेकर कमिटमेंट बैंड्स और कान-नाक की पियरसिंग तक बहुत कुछ वो अपने प्यार की निशानी के तौर पर एक दूसरे के लिए करते हैं. गुच्ची का कहना है कि उसका और बानी का रिश्ता एकदम ट्रांसपेरेंट है. लेकिन दोनों की जिंदगी में भूचाल तब आ जाता है, जब बानी के पिता अतुल कुमार शर्मा (आशुतोष राणा) उन्हें आपस में अपने फोन एक्सचेंज करने को कहते हैं. बानी और गौरव अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहते हैं, ऐसे में फोन एक्सचेंज करना उनकी अग्नि परीक्षा है. अब दोनों उसमें खरे उतरेंगे या फिर नहीं, ये तो आपको फिल्म देखकर ही पता चलेगा.
डायरेक्टर अद्वैत चंदन के निर्देशन में बनी 'लवयापा' आपके लिए एक फ्रेश जोड़ी के साथ-साथ फ्रेश कहानी और उसकी बोल्ड ट्रीटमेंट भी लेकर आई है. बॉलीवुड में यूं तो हमने कई रोमांटिक कॉमेडी फिल्में देखी हैं, लेकिन उन सबके बावजूद 'लवयापा' आपके दिल पर अपनी अलग छाप छोड़ती है. आम-सी रोमांटिक कॉमेडी फिल्म दिखने वाली ये पिक्चर आज की जनरेशन के अपने फोन से ऑब्सेशन, सोशल मीडिया के फितूर, डीपफेक वीडियो, बॉडीशेमिंग और रिश्तों को बनाने के बाद उन्हें चलाने और प्यार को समझने पर बात करती है.
प्यार और रिश्ते कोई छोटी चीज नहीं होते. जिन लोगों से आप मोहब्बत करते हैं और जिनपर आंख बंद करके एतबार करते हैं, उनकी आपके अलावा भी एक दुनिया होती है, जिसमें वो रहते हैं. हम सबके पास अपना एक बबल होता है, जिसमें हमें सब अच्छा लगता है, सब सुंदर लगता है, प्यारा लगता है. लेकिन रिश्तों को चलाने और प्यार को निभाने के लिए उस बबल से बाहर आकर अपने सामने वाले की आंखों में आंखें डालकर उस इंसान को देखना भी जरूरी है, जो वो सही में है. क्योंकि आंख बंद करके की गई मोहब्बत तो बेवकूफी होती है.
छा गए जुनैद खान
अद्वैत चंदन की 'लवयापा' कलरफुल, क्यूट और फन होने के साथ-साथ आपको बड़ी सीख भी देती है. 'लापता लेडीज' फेम राइटर स्नेहा देसाई ने इस फिल्म की कहानी को भी लिखा है. गौरव सचदेवा के रोल में जुनैद खान कमाल हैं. थिएटर में काम कर चुके जुनैद, गौरव के किरदार में ऐसे जान डालते हैं कि आप उनके फैन हो जाएंगे. भले ही जुनैद का कहना हो कि उन्हें डांस नहीं आता, लेकिन उनका एक्टिंग टैलेंट और मेहनत कमाल है. फिल्म 'महाराज' से नेटफ्लिक्स पर डिजिटल डेब्यू करने वाले जुनैद खान, 'लवयापा' से बड़े पर्दे पर यूं छाए हैं कि दिल खुश हो गया.
बानी के रोल में खुशी कपूर का काम अच्छा है. जुनैद खान के सामने खुशी काफी फीकी हैं, लेकिन 'द आर्चीज' में उनकी परफॉरमेंस की तुलना में खुशी काफी बेहतर हो गई हैं. हालांकि अभी भी उन्हें काफी मेहनत करनी होगी. वैसे जुनैद खान और खुशी कपूर की जोड़ी क्यूट है. दोनों की मस्ती, अनबन, लड़ाई और प्यार देखना काफी मजेदार है.
बानी के शुद्ध हिंदी बोलने वाले और सितार बजाने वाले पिता के रोल में आशुतोष राणा काफी बढ़िया हैं. आशुतोष के सभी सीन्स मजेदार हैं. एक सख्त पिता के रोल में आशुतोष की कमांड इम्प्रेसिव है. उनके डायलॉग भी काफी मजेदार हैं. जैसे उनका गौरव को साफ शब्दों में कहना- चीजों को सही जगह लगाना और लोगों को उनकी सही जगह दिखाना, परम आवश्यक होता है.
गौरव की पंजाबी मां के रोल में ग्रुशा कपूर काफी मजेदार हैं. ग्रुशा अपने बेटे गौरव की अपने फोन से 24 घंटे चिपके रहने की आदत से परेशान हैं और उसे इसके लिए डांटने का कोई मौका नहीं छोड़ती. वो चीखती हैं, चिल्लाती हैं लेकिन वक्त आने पर अपने बेटे को लाइन पर भी लाती हैं. ग्रुशा और जुनैद की मां-बेटे की जोड़ी ही फिल्म में बढ़िया कॉमेडी के पल देती है. फिल्म में कीकू शारदा और तन्विका पार्लिकर ने अहम रोल निभाए हैं, जो अंत में काफी दिल छूने वाले पल देते हैं. डॉक्टर अनुपम के रोल में कीकू काफी अच्छे हैं तो वहीं गौरव की बहन किरण के रोल में तन्विका का काम भी देखने लायक है.
बानी की बहन और गौरव के दोस्तों के रोल में, देविषी मदान, कॉमेडियन आदित्य कुलश्रेष्ठ उर्फ कुल्लू, निखिल मेहता, जेसन थाम, यूनुस खान और युक्तम खोसला ने बढ़िया काम किया है. सभी ने फिल्म के फन को और बढ़ाया. पिक्चर का टाइटल ट्रैक 'लवयापा' तो आपने सुना ही होगा, लेकिन इसके बाकी गाने और बैकग्राउंड स्कोर भी जबरदस्त हैं, जिन्हें सुनते हुए आपको मजा आता है. ये फिल्म GenZ के लिए तो रिलेटेबल है ही, बाकी जनरेशन के लोगों को भी बड़ी सीख देती है. वैलेंटाइन वीक में देखने के लिए ये बेस्ट मूवी है.